25 साल से सक्रिय नक्सली दंपत्ति ने किया सरेंडर, माओवादी स्कूल में थे टीचर

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित मोहला मानपुर अंबागढ़ जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहाँ 25 वर्षों से सक्रिय माओवादी दंपत्ति ने आत्मसमर्पण कर दिया है।

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Harrison Masih
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Naxalite couple surrendered after 25 years they were teachers in Maoist school chattisgarh the sootr
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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित मोहला मानपुर अंबागढ़ जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहाँ 25 वर्षों से सक्रिय माओवादी दंपत्ति ने आत्मसमर्पण कर दिया है। ये आत्मसमर्पण ‘ऑपरेशन प्रयास’ के तहत राज्य पुलिस और सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। IG अभिषेक शांडिल्य और SP यशपाल सिंह के निर्देशन में चल रहे ‘ऑपरेशन प्रयास’ के तहत यह आत्मसमर्पण दर्ज किया गया है।

कौन हैं आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली?

जीवन उर्फ राम तुलावी (45 वर्ष) – डिविजनल कमेटी मेंबर (DVCM)

अगासा उर्फ आरती कोर्राम (38 वर्ष) – एरिया कमेटी मेंबर (ACM)

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जीवन तुलावी, मोहला थाना क्षेत्र के परवीडीह गांव का रहने वाला है। वह वर्ष 2000 में पारिवारिक कलह के चलते नक्सली संगठन से जुड़ गया था। शुरूआत में वह एलओस कमांडर दिवाकर कुरचामी के साथ काम करता था और बाद में माड़ क्षेत्र में नक्सलियों के बनाए स्कूल में बतौर शिक्षक नियुक्त किया गया।

2007 में अगासा कोर्राम से उसकी शादी हुई, जो खुद भी नक्सल संगठन से जुड़ी हुई थी। वह पहले लोक कला मंच और चेतना नाट्य मंडली के माध्यम से संगठन में सक्रिय हुई थी।

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नक्सल संगठन में जिम्मेदारियां और भूमिका

जीवन तुलावी – MOPOS (Mobile Political School) में बतौर शिक्षक काम करता रहा। वह गांव-गांव घूमकर नक्सली कैडर्स को पढ़ाता था।

आरती कोर्राम – लोक कला मंच में गाना-नाच के जरिए प्रोपेगंडा फैलाने का काम करती थी। चेतना नाट्य मंडली और प्रेस टीम में भी सक्रिय रही और वहीं उसने कंप्यूटर ऑपरेट करना भी सीखा।

संगठन के भीतर भेदभाव बना आत्मसमर्पण की वजह

दोनों दंपत्ति ने बताया कि संगठन के अंदर वर्षों तक काम करने के बावजूद उन्हें बराबरी का दर्जा नहीं मिला। महिला नक्सलियों के साथ भेदभाव और शोषण की शिकायत करते हुए उन्होंने संगठन छोड़ने का निर्णय लिया। दोनों ने माना कि अब संगठन अपने उद्देश्य से भटक चुका है।

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ऑपरेशन प्रयास की सफलता

राज्य सरकार की नक्सल आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025 से प्रभावित होकर दोनों ने आत्मसमर्पण किया है। उन्हें तत्काल राहत राशि के रूप में ₹50,000 प्रति व्यक्ति नकद दिया गया है। साथ ही, उनके ऊपर घोषित इनामी राशि डीवीसीएम जीवन पर ₹8 लाख और एसीएम अगासा पर ₹5 लाख जल्द ही उन्हें प्रदान की जाएगी।

इस पूरे अभियान को सफल बनाने में 27वीं व 44वीं वाहिनी ITBP और DRG बल की विशेष भूमिका रही है। IG अभिषेक शांडिल्य और SP यशपाल सिंह के निर्देशन में चल रहे ‘ऑपरेशन प्रयास’ के तहत यह आत्मसमर्पण दर्ज किया गया है।

यह आत्मसमर्पण ना केवल सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह इस बात का संकेत भी है कि सरकार की पुनर्वास नीति और नक्सल उन्मूलन के प्रयास सही दिशा में जा रहे हैं। मुख्यधारा में लौटे इस दंपत्ति की कहानी, उन युवाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है जो भ्रमित होकर हथियार उठा लेते हैं।

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