छत्तीसगढ़ के बस्तर मौजूद चित्रकोट जलप्रपात सूखने लगा है। केवल एक पतली सी जलधारा बह रही है। एशिया का नियाग्रा के नाम से विख्यात चित्रकोट जलप्रपात के पास केवल चट्टाने दिख रही हैं। भीषण गर्मी के कारण इस जलप्रपात का स्रोत इंद्रावती नदी का भी यही हाल है। हालांकि अभी यहां केवल इतनी जलधारा बची है कि नीचे विराजमान भोलेनाथ का अभिषेक हो पा रहा है।
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अप्रैल में ही तापमान 38 डिग्री पहुंचा
अप्रैल में ही तापमान 36 से 38 डिग्री तक पहुंच गया है। पूरे बस्तर में गर्म हवाएं चल रहीं हैं। यहां से गुजरने वाली इंद्रावती नदी सूख चुकी है। इसी इंद्रावती नदी का पानी चित्रकोट जलप्रपात से विकराल रूप करीब 90 फीट ऊंचाई से गिरता है। बरसात के मौसम में यहां सात से अधिक धाराएं गिरती हैं। इस प्रपात के नीचे बोटिंग की भी सुविधा है। चित्रकोट जलप्रपात के नीचे एक गुफा में चट्टानों के बीच शिवलिंग है।
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जल प्रपात सूखने से लोगों को होगी निराशा
बस्तर के इस प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात देखने गर्मी की छुट्टियों में दूर-दराज से भी लोग आते हैं। मगर अप्रैल में ही चित्रकोट जलप्रपात सूख जाने से लोगों को निराश होकर लौटना पड़ेगा। हालांकि अब तक हर वर्ष अप्रैल के अंत या मई-जून में जलप्रपात की यह स्थिति होती थी। पिछले छह वर्षों पहली बार अप्रैल में ही जलप्रपात सूख गया है।
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जल प्रपात का आकार घोड़े की नाल जैसा
बस्तर मुख्यालय जगदलपुर से 39 किलोमीटर दूर स्थित चित्रकोट जलप्रपात का आकार घोड़े की नाल की तरह है। इस जलप्रपात से नीचे गिरने वाले जल से पूरे वर्ष शिवलिंग का जलाभिषेक होता रहता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां भोलेनाथ की पूजा अर्चना नाविक करते हैं। बारिश के दिनों में जब जलधारा अपने पूरे बेग और विकराल रूप में होती है तो शिवलिंग तक पहुंचा नहीं जा सकता। गर्मी के दिनों में यहां नाव के माध्यम से आसानी से पहुंच जा सकता है।
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