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PM Awas Scam: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसे गरीबों के कल्याण की मंशा से शुरू की गई योजना में अब जनप्रतिनिधियों द्वारा हेराफेरी के आरोप सामने आने लगे हैं। कवर्धा जिला मुख्यालय से सटे पांडातराई नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 10 के कांग्रेस पार्षद प्रदीप जायसवाल पर बड़ा घोटाला करने का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि पार्षद ने योजना का लाभ अपनी पत्नी को दिलाकर एक गरीब आदिवासी हितग्राही का हक छीन लिया।
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क्या है पूरा मामला?
स्थानीय नागरिक सागर कोरी, पुष्पेंद्र पटेल, जसबीर सलूजा और अन्य शिकायतकर्ताओं ने कलेक्टर गोपाल वर्मा को ज्ञापन सौंपकर बताया कि वार्ड क्रमांक 4 के एक गरीब आदिवासी परिवार की कृषि भूमि (खसरा नंबर 400/1, रकबा 0.03 हेक्टेयर) को पार्षद ने "आपसी बिक्री" के नाम पर कब्जा कर लिया।
यह जमीन असल में चंदूलाल और सुंदरबाई के नाम पर दर्ज है, लेकिन उसी पर प्रधानमंत्री आवास का निर्माण पार्षद की पत्नी सरिता जायसवाल के नाम पर कराया गया। शिकायत में यह भी कहा गया कि इस आवास का उपयोग अब शराब पीने और चखना सेंटर के तौर पर हो रहा है।
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योजना की गरिमा को लगा धक्का
प्रधानमंत्री आवास योजना का मकसद समाज के वंचित तबकों को आवासीय सुरक्षा देना है, लेकिन शिकायतकर्ताओं के अनुसार इस तरह की धांधली न सिर्फ योजना की मूल भावना को कमजोर करती है, बल्कि गरीबों के साथ अन्याय भी करती है।
पार्षद पर क्या आरोप हैं?
पार्षद पर पद और प्रभाव का गलत इस्तेमाल सरकारी जमीन हड़पकर पत्नी के नाम से आवास निर्माण सरकारी धन का दुरुपयोग और आवास योजना में फर्जीवाड़ा और अवैध रूप से सार्वजनिक योजना का व्यक्तिगत उपयोग करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।
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पार्षद की सफाई
पार्षद प्रदीप जायसवाल ने सभी आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने किसी की भी जमीन पर निर्माण नहीं कराया और यह सब राजनीतिक साजिश के तहत किया जा रहा है।
प्रशासन ने क्या कहा?
कलेक्टर गोपाल वर्मा ने मामले की गंभीरता को स्वीकारते हुए कहा है कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। फिलहाल कोई आधिकारिक कार्रवाई नहीं हुई है। यदि शिकायतों की पुष्टि होती है, तो कानूनी व प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
राजनैतिक और सामाजिक असर
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि संपूर्ण नगर पंचायत की विश्वसनीयता और शासन की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। राज्य के गृह एवं पंचायत मंत्री विजय शर्मा पहले ही कई बार कह चुके हैं कि PM आवास के नाम पर पैसे देना अपराध है। ऐसे में यदि जनप्रतिनिधि ही योजनाओं का दुरुपयोग करें, तो सरकारी ईमानदारी और जवाबदेही पर सवाल खड़े होते हैं।
शिकायतकर्ताओं की मांग
शिकायतकर्ताओं ने पार्षद को तत्काल पद से हटाने की मांग की है, साथ ही PMAY योजना की गरिमा बनाए रखने के लिए कठोर दंडात्मक कार्रवाई करने की भी मांग की गई है ताकि भविष्य में कोई भी जनप्रतिनिधि इस तरह की हेराफेरी न कर सके, इसके लिए उदाहरण बने।
सरकारी योजनाओं की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वे सही लोगों तक पहुंचे। अगर जनप्रतिनिधि ही सत्ता का दुरुपयोग कर योजनाओं को निजी लाभ के लिए हथियाएं, तो जनता का भरोसा और लोकतंत्र दोनों कमजोर होते हैं। अब सबकी निगाहें प्रशासन की जांच और निर्णय पर टिकी हैं।
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