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छत्तीसगढ़ में वन विभाग का एक सनसनीखेज घोटाला सामने आया है, जो न केवल सरकारी तंत्र की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को भी बेपर्दा करता है। साल 2021 में जंगलों में बांस रोपण, फेंसिंग और मिट्टी भराई के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये जारी किए थे। कागजों पर सारा काम पूरा, मजदूरों को भुगतान दर्ज, लेकिन हकीकत में न गड्ढा खोदा गया, न बांस लगाया गया। जांच में यह पूरा मामला फर्जी निकला, फिर भी तीन साल बाद भी न तो किसी अधिकारी पर कार्रवाई हुई, न ही किसी कर्मचारी को सजा मिली। यह घोटाला सिर्फ पैसे की हेराफेरी की कहानी नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी और जवाबदेही की कमी का जीता-जागता सबूत है।
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ऐसे रचा गया घोटाला
2021 में वन विभाग ने डोंगरगढ़ के बोरतलाव और कटेमा गांव में जंगल विकास के नाम पर भारी-भरकम बजट खर्च दिखाया। कागजों में मजदूरों की सूची बनाई गई, जिनमें स्कूल के नाबालिग छात्र और गर्भवती महिलाएं तक शामिल थीं। इनके बैंक खातों में मजदूरी के नाम पर पैसे ट्रांसफर किए गए, लेकिन असलियत चौंकाने वाली थी। जांच में सामने आया कि इनमें से ज्यादातर लोग कभी वन विभाग के किसी काम में शामिल ही नहीं थे। विभागीय कर्मचारियों ने इन ग्रामीणों के खातों से पैसे निकलवाए और खुद हड़प लिए। ग्रामीणों को महज 200-400 रुपये थमाकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया।
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जांच में पूरा काम ही फर्जी निकला
शिकायत के बाद तीन साल तक फाइलों को दबाए रखा गया। आखिरकार तहसीलदार मुकेश ठाकुर की अगुवाई में जांच शुरू हुई। उनकी रिपोर्ट ने सनसनी मचा दी। इसमें साफ कहा गया कि न तो कोई काम हुआ, न बांस लगाए गए, न फेंसिंग हुई। भुगतान के नाम पर हुए पूरे खेल को फर्जी करार दिया गया। ग्रामीणों के बयान भी दर्ज किए गए, जिन्होंने बताया कि उनके खातों से जबरन पैसे निकाले गए। इतने ठोस सबूतों के बावजूद न तो कोई अधिकारी नप रहा है, न ही कोई कर्मचारी सस्पेंड हुआ है।
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पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी
जांच रिपोर्ट में घोटाला साबित होने और गवाहों के बयानों के बावजूद कार्रवाई का टालमटोल सवाल उठाता है। क्या बड़े अधिकारियों या जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत इसकी वजह है? या फिर सिस्टम जानबूझकर दोषियों को बचा रहा है? यह घोटाला सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। सवाल यह है कि जब सबूत और गवाह सामने हैं, तो सरकार और वन विभाग चुप क्यों हैं? क्या छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ कागजी वादों तक सीमित रह जाएगी? जनता को जवाब चाहिए, और दोषियों को सजा।
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