Dantewada District Hospital Cataract Operation Case : दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में बीते दिनों मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद दस ग्रामीणों की रोशनी जाने के मामले में सरकार एक्शन में आई है।
ऑपरेशन के बाद आंख में संक्रमण फैलने की वजह से दस ग्रामीणों को दिखना बंद हो गया है। साय सरकार ने इस मामले की प्रारंभिक जांच में लापरवाही पाई जाने पर नेत्र सर्जन सहित दो सहायक स्टाफ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
जांच रिपोर्ट में क्या आया सामने
जानकारी के अनुसार, ग्रामीणों की मोतियाबिंद सर्जरी करने वाली नेत्र सर्जन डॉ. गीता नेताम, स्टाफ नर्स ( आईओटी ) ममता वैध और नेत्र सहायक अधिकारी दीप्ति टोप्पो को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि 22 अक्टूबर को दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में हुई मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान मरीजों के आंखों में संक्रमण का मामला सामने आया।
इस घटना के संबंध में जांच दल गठित कर जांच कराई गई। जांच प्रतिवेदन के अनुसार जिला अस्पताल दंतेवाड़ा में मोतियाबिंद सर्जरी के लिए निर्धारित प्रोटोकाल का समुचित रूप से पालन नहीं किया गया।
प्रारंभिक जांच के आधार पर नेत्र सर्जन डॉ. गीता नेताम, स्टाफ नर्स ( आईओटी ) ममता वैध और नेत्र सहायक अधिकारी दीप्ती टोप्पो की बड़ी लापरवाही सामने आई है। इसलिए इन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाता है।
छत्तीसगढ़ में 22 सितंबर 2011 को सरकारी लापरवाही की वजह से 50 से ज्यादा लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। 22 सितंबर 2011 को छत्तीसगढ़ के 2 सरकारी शिविरों में मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया था। बालोद, बागबाहरा और राजनांदगांव-कवर्धा में लगे शिविर में लोगों की आंख की रोशनी गई थी। । इस मामले में दुर्ग सीएमओ समेत बालोद बीएमओ, तीन नेत्र सर्जन सस्पेंड हुए थे। इसे ही छत्तीसगढ़ में अंखफोड़वा कांड कहा गया था।
देखें आदेश...
दंतेवाड़ा ब्रेकिंग : मोतियाबिंद ऑपरेशन में डॉक्टर की बड़ी लापरवाही