Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ में माओवाद ढहने की कगार पर,दंतेवाड़ा में 12 नक्सलियों ने किया सरेंडर

Dantewada Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल दंतेवाड़ा में सरकार और सुरक्षा बलों की संयुक्त पहल रंग लाती नजर आ रही है।

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Harrison Masih
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Dantewada Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल दंतेवाड़ा में सरकार और सुरक्षा बलों की संयुक्त पहल रंग लाती नजर आ रही है। राज्य सरकार और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की ओर से चलाए जा रहे संगठित अभियान और पुनर्वास नीति के चलते बड़ी संख्या में नक्सली मुख्यधारा में लौट रहे हैं।

इसी कड़ी में दंतेवाड़ा में मंगलवार को 12 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। खास बात यह है कि इनमें 9 इनामी नक्सली शामिल हैं, जिन पर कुल 28 लाख रूपए का इनाम घोषित था।

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क्या है लोन वर्राटू अभियान?

दंतेवाड़ा पुलिस द्वारा संचालित 'लोन वर्राटू' (स्थानीय गोंडी भाषा में अर्थ – घर लौटो) अभियान नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में एक उम्मीद की किरण बनकर उभरा है। यह अभियान उन नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित कर रहा है, जो वर्षों तक जंगलों में रहकर हिंसा और अवैध गतिविधियों में संलिप्त रहे।

अभी तक इस अभियान के तहत 990 से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जिनमें 238 इनामी नक्सली शामिल हैं। राज्य में साय सरकार के गठन के बाद मात्र डेढ़ साल में 339 नक्सलियों ने सरेंडर किया है, जिन पर कुल 1.59 करोड़ रूपए का इनाम घोषित था।

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सरकार की पुनर्वास नीति का असर

सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए पुनर्वास की प्रभावी व्यवस्था की है। सरेंडर करने वाले नक्सलियों को न केवल सुरक्षा प्रदान की जा रही है, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी सुनिश्चित किया जा रहा है। इनमें आवास, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाएं, आधार कार्ड, वोटर आईडी जैसे दस्तावेज और नकद सहायता जैसी सुविधाएं शामिल हैं।

सरेंडर करने वाले नक्सलियों को तत्काल सहायता राशि दी गई है, साथ ही उनसे आग्रह किया गया कि वे अपने साथियों को भी मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करें। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने भी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वे अब हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज और देश की सेवा करना चाहते हैं। वे खेती, मजदूरी और अन्य रोजगार अपनाकर सामान्य जीवन जीने की राह पर चल पड़े हैं।

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जनता में भी भरोसे का माहौल

पुलिस और प्रशासन का मानना है कि 'लोन वर्राटू' अभियान से न सिर्फ नक्सलियों का हृदय परिवर्तन हो रहा है, बल्कि आम जनता में भी सुरक्षा और विश्वास का माहौल बना है। दंतेवाड़ा जैसे जिलों में जहां पहले बंदूक की धमक सुनाई देती थी, अब वहां आत्मसमर्पण और विकास की बातें हो रही हैं।

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अधिकारियों की प्रतिक्रिया

दंतेवाड़ा एसपी ने कहा, "‘लोन वर्राटू’ केवल एक अभियान नहीं, बल्कि नक्सलवाद से त्रस्त लोगों के जीवन में बदलाव लाने का एक सशक्त माध्यम है। हम सभी आत्मसमर्पण करने वालों को पुनर्वास के तहत जरूरी सहायता दे रहे हैं और यह अभियान तब तक चलेगा जब तक अंतिम नक्सली समाज की मुख्यधारा में वापस नहीं लौटता।"

‘लोन वर्राटू’ अभियान ने यह सिद्ध कर दिया है कि बातचीत, पुनर्वास और भरोसे के जरिए हिंसा की दीवार को गिराया जा सकता है। दंतेवाड़ा में आत्मसमर्पण की यह लहर न केवल सुरक्षा बलों और प्रशासन की मेहनत का परिणाम है, बल्कि यह उन नक्सलियों की भी जीत है जिन्होंने नया जीवन शुरू करने का साहस दिखाया।

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