नशे की गिरफ्त में है बेटी, HC ने खारिज की मां की याचिका, जानिए क्या है मामला

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक महिला की मां द्वारा दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। याचिका में महिला को अवैध रूप से नशीली दवाओं के प्रभाव में रखने और शोषण करने का आरोप लगाया गया था।

author-image
Harrison Masih
New Update
Daughter drug addiction HC rejected mother petition chattisgarh the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक महिला की मां द्वारा दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। याचिका में महिला को अवैध रूप से नशीली दवाओं के प्रभाव में रखने और शोषण करने का आरोप लगाया गया था। लेकिन कोर्ट में पेश होकर महिला ने अपनी मर्जी से नए व्यक्ति के साथ रहने की बात स्वीकार की, जिसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। हालांकि कोर्ट ने महिला के नशामुक्ति के लिए पुनर्वास एवं इलाज के निर्देश भी जारी किए।

ये खबर भी पढ़ें... महतारी वंदन योजना को मिलेगा विस्तार: महिलाओं को फिर आवेदन का मौका

नशे और शोषण में फंसी है बेटी

याचिकाकर्ता महिला की मां ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया कि उसकी बालिग बेटी को दो व्यक्तियों ने उसकी सहमति के बिना जबरन अपने पास रखा है। उन्होंने दावा किया कि आरोपी नशे का कारोबार करते हैं और उन्होंने उनकी बेटी को नशे की लत लगा दी है। साथ ही शारीरिक और यौन शोषण भी किया गया है।

पुलिस पर भी लापरवाही के आरोप

मां ने सरगुजा जिले के संबंधित थाने की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि पुलिस ने शिकायतों पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की। उन्होंने मांग की कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच किसी प्रथम श्रेणी के पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में स्वतंत्र जांच एजेंसी से करवाई जाए।

ये खबर भी पढ़ें... सुकमा की ऐतिहासिक जीत: दो गांव नक्सलमुक्त घोषित हुए

महिला ने कोर्ट में कही ये बात

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जब महिला को पेश कराया गया, तो उसने स्पष्ट रूप से बताया कि वह अपनी मर्जी से उस व्यक्ति के साथ रह रही है और उस पर किसी प्रकार का दबाव नहीं है। चूंकि महिला बालिग है, इसलिए कोर्ट ने उसे अपनी स्वतंत्र इच्छा से जीवन जीने का अधिकार मानते हुए याचिका खारिज कर दी।

कोर्ट की सख्ती

हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि महिला संभवतः नशे के प्रभाव में है। इसलिए न्यायालय ने यह निर्देश दिए कि संबंधित विभाग उसे पुनर्वास केंद्र में ले जाकर उचित चिकित्सा और काउंसलिंग उपलब्ध कराए, ताकि वह नशामुक्त हो सके।

ये खबर भी पढ़ें... फर्जी जाति प्रमाण पत्र से हासिल की नौकरी, 17 साल बाद महिला टीचर बर्खास्त

बच्चा पिता के संरक्षण में

राज्य शासन की ओर से प्रस्तुत उत्तर में बताया गया कि महिला और उसके पूर्व पति के बीच तलाक की डिक्री पारित की जा चुकी है। कोर्ट के आदेशानुसार, उनका चार साल का बेटा पिता के संरक्षण में है और महिला को समय-समय पर बच्चे से मिलने की अनुमति दी गई है।

कोर्ट का निर्णय

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की युगल पीठ ने स्पष्ट किया कि महिला बालिग है और उसने अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुना है। लिहाजा अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती। लेकिन महिला के संभावित नशे की लत को देखते हुए, पुनर्वास और नशामुक्ति हेतु इलाज अनिवार्य बताया।

ये खबर भी पढ़ें... महादेव सट्टा एप मामले में 11 आरोपी गिरफ्तार, करोड़ों की लेनदेन की जांच जारी

FAQ

प्रश्न 1: क्या हाईकोर्ट ने महिला को उसके परिजनों के साथ भेजने का आदेश दिया?
उत्तर: नहीं, कोर्ट ने पाया कि महिला बालिग है और उसने अपनी मर्जी से नए व्यक्ति के साथ रहने का निर्णय लिया है। इसलिए कोर्ट ने उसकी स्वतंत्र इच्छा का सम्मान करते हुए याचिका खारिज कर दी।
प्रश्न 2: कोर्ट ने महिला की नशे की स्थिति को लेकर क्या निर्देश दिए?
उत्तर: कोर्ट ने माना कि महिला संभवतः नशे की लत में है। इसलिए उसने संबंधित विभाग को निर्देश दिया कि महिला को पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराकर उसका उचित इलाज और काउंसलिंग कराई जाए।
प्रश्न 3: क्या बच्चे की कस्टडी को लेकर कोई निर्णय हुआ?
उत्तर: हाँ, राज्य सरकार द्वारा कोर्ट को बताया गया कि महिला और उसके पूर्व पति के बीच तलाक हो चुका है और उनका चार साल का बेटा पिता के संरक्षण में है। महिला को समय-समय पर बच्चे से मिलने की अनुमति दी गई है।

daughter | Drug addiction | Petition | High Court | bilaspur | chattisgarh | छत्तीसगढ़ | नशे की आदत | हाई कोर्ट | बिलासपुर

छत्तीसगढ़ बिलासपुर हाई कोर्ट याचिका नशे की आदत chattisgarh bilaspur High Court Petition Drug addiction daughter