ना बिजली, ना मकान...यहां के लोग मांग रहे शराब की दुकान

छत्तीसगढ़ में सरकार जहां एक ओर 'सुशासन तिहार' मना रही है, वहीं इस अभियान के तहत चल रहे समाधान शिविरों में जनता की मांगों ने चौंकाने का सिलसिला भी शुरू कर दिया है। विधायक जी से लोगों ने शराब दूकान खुलवाने की मांग की है।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ में सरकार जहां एक ओर 'सुशासन तिहार' मना रही है, वहीं इस अभियान के तहत चल रहे समाधान शिविरों में जनता की मांगों ने चौंकाने का सिलसिला भी शुरू कर दिया है। विधायक जी से लोगों ने शराब दुकान खुलवाने की मांग की है। बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक अंतर्गत जरौंधा में आयोजित एक समाधान शिविर के दौरान कोड़ापुरी गांव के ग्रामीणों ने ऐसी अनोखी मांग रख दी, जिसे सुनकर खुद विधायक भी चौंक गए।

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पहली बार सुनी ऐसी मांग

बीजेपी विधायक धर्मजीत सिंह भी इस मांग को सुनकर हैरान रह गए। उन्होंने खुद कहा, “मेरे 22 साल के राजनीतिक करियर में पहली बार किसी गांव के लोगों ने मुझसे शासकीय शराब दुकान खोलने की मांग की है। लेकिन चूंकि ये मांग गांव की समस्या से जुड़ी है, तो हम इसे भी पूरा करेंगे।”

इसलिए उठाई गई यह मांग

गांव के लोगों का कहना था कि कोड़ापुरी में शासकीय शराब दुकान नहीं होने के कारण अवैध रूप से महुआ से बनाई गई कच्ची शराब का सेवन बढ़ रहा है। इससे न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है, बल्कि सामाजिक वातावरण भी प्रभावित हो रहा है। महिलाओं और बच्चों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

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अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन

विधायक धर्मजीत सिंह ने मौके पर ही आबकारी विभाग के अधिकारियों से बात की और गांव में शासकीय शराब दुकान खोलने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि महुआ लहान से अवैध शराब बनाई जा रही है, तो तत्काल छापेमारी की जाएगी।

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समाधान शिविर का उद्देश्य 

राज्य सरकार की ओर से ‘सुशासन तिहार’ के अंतर्गत प्रदेशभर में चल रहे समाधान शिविरों का उद्देश्य है – जनता की समस्याएं सुनना, उनका मौके पर समाधान करना और सरकार की योजनाओं की जानकारी देना। लेकिन कोड़ापुरी गांव की यह मांग इस अभियान की सबसे अनूठी मांगों में से एक बन गई है।

यह घटना एक ओर जहां ग्रामीणों की व्यावहारिक समस्याओं की ओर ध्यान खींचती है, वहीं यह भी बताती है कि समाधान शिविरों के माध्यम से लोग अब खुलकर अपनी बात रखने लगे हैं – चाहे वह मांग कितनी भी असामान्य क्यों न हो।

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