पारदर्शिता के लिए बने पोर्टल के जरिए 161 करोड़ का घोटाला

छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन में सरकारी पैसे की लूट के एक और तरीके का खुलासा हुआ है। मोक्षित कारपोरेशन के पार्टनर शशांक चोपड़ा ने अधिकारियों की मिली भगत से 161 करोड रुपए की धोखाधड़ी की है।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन में सरकारी पैसे की लूट के एक और तरीके का खुलासा हुआ है। मोक्षित कारपोरेशन के पार्टनर शशांक चोपड़ा ने अधिकारियों की मिली भगत से 161 करोड रुपए की धोखाधड़ी की है।इसके लिए मोक्षित कारपोरेशन के पार्टनर शशांक चोपड़ा ने पारदर्शिता के लिए बनाए गए ई एम आई एस पोर्टल से छेड़छाड़ करवाई और मेडिकल उपकरणों और रिएजेंट्स के स्टॉक में हेरा फेरी की।

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अधिकारियों की मिली भगत से शशांक मेडिकल उपकरण और रिएजेंट्स की सप्लाई करता लेकिन पैसा मिलते ही पोर्टल से स्टॉक की जानकारी हटवा देता। कई बार तो उपलब्ध रिएजेंट्स की जानकारी ऑनलाइन पोर्टल में अपलोड ही नहीं की जाती। ऐसे में जिलों के सीएमएचओ और मेडिकल कॉलेज को इन सामानों के बारे में पता नहीं चलता।

 जिसका फायदा उठा सीजीएमएससी के अधिकारी दोबारा मेडिकल कॉलेज और सीएमएचओ से डिमांड मंगवाते और उसके बाद फिर उन्हें रिएजेंट्स की दोबारा एंट्री कर दी जाती। जिससे मोक्षित कॉरपोरेशन को एक ही समान के बदले दो बार भुगतान किया जा रहा था। ईओडब्ल्यू की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है। अधिकारियों के मुताबिक लगभग 700 से अधिक उपकरण, कंज्युमेबल्स आइटम और रिएजेंट्स में इस तरह का खेल किया गया है।

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पोर्टल की क्या है जरूरत

छत्तीसगढ़ में हर साल नवंबर- दिसंबर महीने में जिलों के सीएमएचओ और मेडिकल कॉलेज की तरफ से इलाज के लिए आवश्यक उपकरण दवाइयां रिएजेंट्स, कंज्युमेबल्स आइटम की मांग डारेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन और डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विसेस के जरिए सीजीएमएससी को भेजी जाती है। मांग के आधार पर सीजीएमएससी खरीदी के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया करता है। खरीदी पूरी होने के बाद स्टॉक की जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड  कर दी जाती है।

और सारे मेडिकल उपकरण और सामान को वेयरहाउस में पहुंचा दिया जाता है। जिसके बाद पूर्व में किए डिमांड और आवश्यकता के आधार पर सीएमएचओ और मेडिकल कॉलेज के प्रभारी सामान और संसाधनों को अपने यहां मंगवा लेते हैं। लेकिन अधिकारियों की मिली भगत से शशांक चोपड़ा ऑनलाइन पोर्टल के एंट्री में ही छेड़छाड़ करता था। सप्लाई के बाद दवा और उपकरण रिएजेंट्स और कंज्युमेबल्स आइटम के स्टॉक को जीरो करवा देता था। जिससे शशांक चोपड़ा के फर्म को दोबारा ऑर्डर मिल सके और बिना सामान सप्लाई के भुगतान हो जाए।

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ऑनलाइन पोर्टल का नहीं होता ऑडिट

छत्तीसगढ़ में दवा खरीदने के लिए केंद्रीय व्यवस्था के लिए साल 2012 में सीजीएमएससी यानी छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन की शुरुआत हुई।स्वास्थ्य केंद्र और मेडिकल कॉलेज को आसानी से दवा की जानकारी मिल सके इसके लिए ईएमआईएस पोर्टल बनवाया गया। जिसके जरिए दवा, उपकरण, कंज्युमेबल्स आइटम, रिएजेंट्स के अलावा स्वास्थ्य केंद्र और मेडिकल कॉलेज के कंस्ट्रक्शन के लिए टेंडर जारी होता।

 पोर्टल में इन सबकी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध रहती। इस पोर्टल के जरिए सालाना लगभग 500 करोड़ का काम किया जाता है। लेकिन 12 साल बीत जाने के बाद भी आज तक इसका ऑडिट नहीं करवाया गया। जिसका मोक्षित कारपोरेशन के पार्टनर शशांक चोपड़ा ने अधिकारियों के साथ मिलकर खूब फायदा उठाया।

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