वन स्टॉप सखी सेंटर महिलाओं की सुरक्षा के लिए शुरू, लापरवाही में समाप्ति की कगार पर

छत्तीसगढ़ में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और असुरक्षा की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए शुरू की गई वन स्टॉप सखी सेंटर योजना अब अधिकारियों की लापरवाही और संसाधनों की कमी के कारण बंद होने की कगार पर है।

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Krishna Kumar Sikander
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Sakhi One Stop Center started for the safety of women, on the verge of closure due to negligence the sootr
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छत्तीसगढ़ में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और असुरक्षा की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए शुरू की गई वन स्टॉप सखी सेंटर योजना अब अधिकारियों की लापरवाही और संसाधनों की कमी के कारण बंद होने की कगार पर है। यह योजना हिंसा से पीड़ित महिलाओं को एक ही स्थान पर पुलिस सहायता, कानूनी सलाह, चिकित्सा सुविधा, काउंसलिंग और अस्थायी आश्रय प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी।

हालांकि, कई जिलों में सेंटर शुरू होने के बावजूद, अपर्याप्त फंडिंग, कर्मचारियों की कमी और प्रशासनिक उदासीनता ने इस महत्वाकांक्षी योजना को कमजोर कर दिया है। इस लेख में हम इस योजना की शुरुआत, उपलब्धियों, चुनौतियों और वर्तमान स्थिति को आंकड़ों के साथ विश्लेषण करेंगे।

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सखी वन स्टॉप सेंटर का उद्देश्य और शुरुआत

वन स्टॉप सखी सेंटर योजना भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय के तहत 2015 में शुरू की गई थी। छत्तीसगढ़ में इसका पहला सेंटर 16 जुलाई 2015 को रायपुर में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी द्वारा उद्घाटन किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य था हिंसा प्रभावित महिलाओं को त्वरित सहायता। इसके अलावा घरेलू हिंसा, यौन शोषण, दहेज उत्पीड़न आदि से पीड़ित महिलाओं को एक ही स्थान पर सभी सेवाएं। टोल-फ्री हेल्पलाइन: 181 नंबर के माध्यम से 24x7 सहायता। इसके लिए पुलिस डेस्क, कानूनी सहायता, मेडिकल सुविधा, काउंसलिंग, और 5-7 दिनों तक अस्थायी आश्रय बनाए गए। 

छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों में सखी सेंटर स्थापित करने का लक्ष्य था। 2025 तक, 28 जिलों में सेंटर स्थापित किए गए, जिनमें रायपुर, बिलासपुर, धमतरी, जांजगीर-चांपा, कांकेर, और राजनांदगांव शामिल हैं। सखी वन स्टॉप सेंटर ने अपने शुरुआती वर्षों में कई महिलाओं को सहायता प्रदान की। 

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कुछ प्रमुख आंकड़े

रायपुर सेंटर : 2015 से 2022 तक, रायपुर के सखी सेंटर ने 4,000 से अधिक पीड़ित महिलाओं को सहायता प्रदान की, जिसमें कानूनी सलाह, आश्रय, और काउंसलिंग शामिल थी।

धमतरी जिला : मार्च 2025 तक, धमतरी के सखी सेंटर ने 214 प्रकरणों का निपटारा किया और 350 से अधिक महिलाओं को विभिन्न सेवाएं प्रदान कीं।

टोल-फ्री हेल्पलाइन 181 : छत्तीसगढ़ में इस हेल्पलाइन के माध्यम से हजारों महिलाओं ने सहायता मांगी, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।

कानूनी और चिकित्सा सहायता : सेंटरों ने घरेलू हिंसा के मामलों में FIR दर्ज करने और मेडिकल जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इन आंकड़ों से पता चलता है कि सखी सेंटर ने महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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इसलिए ठप हो रही है योजना

हालांकि सखी सेंटर ने शुरुआत में प्रभावी परिणाम दिए, लेकिन कई कारणों से यह योजना अब बंद होने की कगार पर है। इनमें अधिकारियों की लापरवाही प्रमुख है। कई जिलों में सेंटर शुरू तो किए गए, लेकिन नियमित मॉनिटरिंग और मूल्यांकन की कमी रही। कुछ सेंटरों में कर्मचारियों की नियुक्ति में देरी और प्रशिक्षण की कमी देखी गई। राजनांदगांव और रायगढ़ जैसे जिलों में रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया में देरी हुई।

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अपर्याप्त फंडिंग

सखी सेंटरों को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित किया जाता है। लेकिन राज्य सरकार की ओर से समय पर फंड आवंटन में कमी रही। कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलने के कारण कई सेंटरों में सेवाएं प्रभावित हुईं।

कर्मचारियों की कमी

सेंटरों में वकील, काउंसलर, मेडिकल हेल्पर, और सुरक्षा गार्ड जैसे महत्वपूर्ण पद खाली हैं। उदाहरण के लिए, रायगढ़ में 18 सेवा प्रदाताओं की भर्ती के लिए 2025 में विज्ञापन जारी किया गया, जो पहले से रिक्त थे। अप्रशिक्षित कर्मचारियों के कारण पीड़ित महिलाओं को उचित सहायता नहीं मिल पाई।

जागरूकता का अभाव

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सखी सेंटर और 181 हेल्पलाइन के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। कई महिलाएं सामाजिक दबाव और जानकारी की कमी के कारण सेंटर तक नहीं पहुंच पातीं।

बुनियादी ढांचा कमजोर

कुछ सेंटरों में बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, और उचित भवन की कमी है। अस्थायी आश्रय की सुविधा सीमित होने के कारण लंबे समय तक सहायता प्रदान करना मुश्किल हो रहा है।

बंद होने की कगार पर

2025 तक, छत्तीसगढ़ के कई सखी सेंटर या तो पूरी तरह बंद हो चुके हैं या न्यूनतम संसाधनों के साथ चल रहे हैं। कुछ जिलों में सेंटर शुरू होने के बाद कुछ महीनों में ही बंद हो गए। इसका कारण फंड की कमी और कर्मचारियों का अभाव बताया जा रहा है। धमतरी, रायपुर, और बिलासपुर जैसे जिलों में सेंटर चल रहे हैं, लेकिन सीमित कर्मचारियों और संसाधनों के साथ।

मार्च 2025 में, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सखी सेंटर के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की, जिसे देश में पहला कदम बताया गया। लेकिन इस SOP का कार्यान्वयन अभी तक प्रभावी नहीं हो सका। छत्तीसगढ़ में महिलाओं की स्थिति में सुधार की कमी सखी सेंटरों की विफलता का एक प्रमुख कारण है। 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकडे

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2023 के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 65.5 प्रति लाख जनसंख्या थी, जिसमें घरेलू हिंसा और यौन शोषण के मामले प्रमुख थे। 2023 में, राज्य में 3,500 से अधिक घरेलू हिंसा के मामले दर्ज किए गए, लेकिन सखी सेंटरों के माध्यम से केवल कुछ सौ मामलों का ही समाधान हो सका। ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 10-15% महिलाओं को ही सखी सेंटरों की जानकारी है, जिसके कारण अधिकांश पीड़ित महिलाएं सहायता से वंचित रहती हैं।

अच्छी योजना लालफीताशाही का शिकार

वन स्टॉप सखी सेंटर योजना छत्तीसगढ़ में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम थी। हालांकि, अधिकारियों की लापरवाही, फंड की कमी, और अपर्याप्त संसाधनों ने इस योजना को कमजोर कर दिया है। आंकड़े बताते हैं कि जहां सेंटरों ने हजारों महिलाओं की मदद की, वहीं लाखों महिलाएं अभी भी हिंसा और असुरक्षा का शिकार हैं। यदि सरकार इस योजना को पुनर्जनन के लिए ठोस कदम उठाए, तो यह छत्तीसगढ़ में महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

 

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