पीएचक्यू के अफसर ने चहेती कंपनी को टेंडर दिलाने बदल दिए नियम

Dial 112 emergency service tender irregularity : मार्च 2024 में इन गाड़ियों के संचालन के लिए टेंडर निकाले गए। इस टेंडर में भाग लेने वाली पांच में से चार कंपनियों को बाहर कर दिया गया।

Advertisment
author-image
Arun tiwari
New Update
Dial 112 emergency service tender irregularity the sootr

 Dial 112 emergency service tender irregularity :  छत्तीसगढ़ में डायल 112 इमरजेंसी सेवा में बड़ा खेला हो रहा था। पीएचक्यू के एडीजी स्तर के आईपीएस ने उस कंपनी को टेंडर दिलाने की तैयारी की थी जिसको इस काम का एक दिन का अनुभव भी नहीं है। इस चहेती कंपनी को टेंडर दिलाने नियमों की भी अनदेखी की गई थी। फाइल भी चल पड़ी थी और वर्क ऑर्डर भी होने वाले थे, लेकिन इसकी भनक सरकार को लग गई और टेंडर रद्द कर दिया गया।

ये खबर भी पढ़ें... पत्नी का बिल्डर से था अफेयर... इंजीनियर पति ने रिमोट बम से उड़ाया

 

हैरानी की बात ये है कि फर्जी दस्तावेज लगाने वाली उस कंपनी को न तो ब्लैक लिस्टेड किया गया है और न ही उसके संचालकों पर एफआईआर दर्ज की गई है। यहां तक कि नया टेंडर भी नहीं हो पाया है। इन सबका नतीजा यह है कि 400 नई नवेली बुलेरो धूल खा रही हैं। 

ये खबर भी पढ़ें.. बीजेपी विधायक की बेटी की राजनीति में एंट्री, चुनावी मैदान में उतरीं


डायल 112 सेवा में बड़े खेला की तैयारी 


जिन गाड़ियों को 33 जिलों में चलना था वे डेढ़ साल से खड़ी हैं। इस स्थिति में एक दो नहीं बल्कि पूरी 400 गाड़ियां हैं, वे भी नई नवेली। यह स्थिति क्यों बनी है। यह हम आपको बताते हैं। द सूत्र की पड़ताल में एक बड़े खेला का पता चला है। दरअसल इन गाड़ियों के संचालन में एक बड़ा खेला होने जा रहा था। पीएचक्यू के एक एडीजी स्तर के अफसर ने सब काम सेट कर दिया था।

ये खबर भी पढ़ें... स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के बाथरूम में लगाया CCTV कैमरा

 

मार्च 2024 में इन गाड़ियों के संचालन के लिए टेंडर निकाले गए। इस टेंडर में भाग लेने वाली पांच में से चार कंपनियों को बाहर कर दिया गया। नियमानुसार जब तक टेंडर में चार कंपनियां भाग नहीं लेती तब तक टेंडर नहीं खोले जाते। लेकिन इन आईपीएस ने अपनी चहेती पांचवीं कंपनी का इकलौता नाम होने के बाद भी टेंडर खोल दिया। यह टेंडर जिगित्सा हेल्थ केयर के नाम पर खोला गया। इन गाड़ियों के संचालन में 500 करोड़ रुपए सालाना सरकार को भुगतान करना था।

जिगित्सा ने फर्जी दस्तावेज लगाए, कंपनी को इस काम का अनुभव नहीं था फिर भी इसको काम सौंपने की पूरी तैयारी हो गई। इसकी फाइल भी चल पड़ी। लेकिन तभी सरकार के पास एक शिकायत पहुंची। जिसने सारा भांडा फोड़ दिया। सरकार ने जांच करवाई तो शिकायत सही निकली। सरकार ने टेंडर रद्द कर दिया और एडीजी साहब के मोटी कमाई के मंसूबों पर पानी फिर गया।  

ये खबर भी पढ़ें... CG Breaking : नाम वापसी का आखिरी दिन, चुनाव चिन्ह भी आज ही जारी होगा


इस तरह किया गया नियमों को अनदेखा

  • पीएचक्यू ने 14 मार्च 2024 को डायल 112 के संचालन के लिए टेंडर निकाला। इसमें कई कंपनियों ने भाग लिया लेकिन जिगित्सा हेल्थ केयर लिमीटेड को ही एल 1 में ही स्थान प्राप्त हुआ। 
  • एल 1 में स्थान पाने के लिए जिगित्सा हेल्थ केयर ने चयन प्रक्रिया के दौरान फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर सरकार को भ्रमित किया गया।
  • जांच में पाया गया कि जिगित्सा हेल्थ केयर क्वालिफिकेशन क्राइटेरिया को पूरा नहीं करती है।
  • नियम में जितना सालाना टर्नओवर मांगा गया था उसको पूरा करने के लिए संस्था ने ऑडिटर की जगह अपने ही लेटरहेड पर वह प्रमाणित कर तकनीकि दस्तावेज के साथ जमा कर दिया।
  • जिगित्सा ने मांगे गए पांच साल के टर्न ओवर को तो दिखाया है लेकिन सीए रोहन प्रदीप कुमार जैन ने सिर्फ दो साल का सर्टिफिकेट दिया है जबकि पांच साल में से कम से कम तीन साल के टर्न ओवर का सीए ऑडिट सर्टिफिकेट अनिवार्य है।
  • जिगित्सा हेल्थ केयर ने झारखंड में काम करने का फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाया जबकि झारखंड सरकार ने इस तरह का कोई प्रमाण पत्र नहीं दिया है।
  • काम के अनुभव के तौर पर जिगित्सा ने एंबुलेंस सर्विस का काम दिखाया है जबकि मेडिकल सर्विस में काम करना और पुलिस सर्विस में काम करना दो अलग अलग काम हैं। इस काम का अनुभव न होते हुए भी जिगित्सा को एल 1 में स्थान दिया गया। 

यह है मामला

 डेढ़ साल पहले भूपेश सरकार में इन वाहनों को खरीदा गया था। मकसद था कि डायल नंबर 112 की इमरजेंसी सेवा को पूरे प्रदेश में रफ्तार दी जाए ताकि लोगों को परेशानी न हो। लोगों को इमरजेंसी में होने वाली परेशानी से बचाने के लिए 40 करोड़ की 400 ये गाड़ियां खरीदी गईं। छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों में इन गाड़ियों को भेजा जाना था। लेकिन ये गाड़ियां जस की तस खड़ी रहकर कबाड़ में बदल चुकी हैं। भूपेश सरकार में चुनावी साल में इनको खरीदा गया था।

जब तक इन गाड़ियों के संचालन का टेंडर होता तब तक विधानसभा चुनाव आ चुके थे। चुनाव के बाद सरकार बदल गई और भूपेश बघेल की जगह विष्णुदेव साय की सरकार बन गई। अब इस सरकार को एक साल पूरा हो गया है लेकिन इन गाड़ियों की धूल नहीं हटी। जब इस बारे में गृह मंत्री विजय शर्मा से बात की गई तो उन्होंने इस संबंध में कार्यवाही करने का भरोसा दिलाया।

उन्होंने कहा कि यह मामला संज्ञान में आया है। इस बारे में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। जल्दी ही टेंडर कर इनका संचालन शुरु कर दिया जाएगा। लेकिन यहां पर यह सवाल उठता है कि जब जांच में यह पाया गया कि जिगत्सा हेल्थ केयर लिमिटेड ने फर्जीवाड़ा किया है तो फिर उसको ब्लैक लिस्टेड कर संचालकों पर एफआईआर क्यों नहीं कराई गई।

छत्तीसगढ़ न्यूज CG News Dial 112 डायल 112 cg news in hindi cg news hindi cg news today cg news live news cg news live