बदहाल सड़क ने उजागर की व्यवस्था की सच्चाई, बीमार महिला को कंधों पर उठाकर पहुंचाया अस्पताल

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के कंडरजा गांव में खराब सड़क की वजह से एक बीमार महिला को उसके परिवार वालों को कंधों पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ा। यह घटना प्रशासन के विकास के दावों के विपरीत है।

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Krishna Kumar Sikander
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The dilapidated road exposed the truth of the system the sootr
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छत्तीसगढ़ में विकास के बड़े-बड़े दावों के बीच रायगढ़ जिले के ग्राम कंडरजा में खराब सड़क व्यवस्था ने एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है। कीचड़ और दलदल से भरे रास्तों ने स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को इस कदर मुश्किल बना दिया कि एक बीमार महिला को अस्पताल ले जाने के लिए परिजनों को उसे कंधों पर उठाकर पैदल चलना पड़ा। यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन की उदासीनता को दर्शाती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी को भी रेखांकित करती है।

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क्या है पूरा मामला?

ग्राम पंचायत विजय नगर के कंडरजा मोहल्ला पटना पारा की निवासी तुलसी बाई राठीया, पत्नी लक्ष्मण राम राठीया, की तबीयत अचानक बिगड़ गई। गंभीर हालत में उन्हें तत्काल कापू अस्पताल ले जाने की जरूरत थी। परिवार ने एंबुलेंस को बुलाया, लेकिन गांव तक पहुंचने वाला रास्ता इतना जर्जर और कीचड़ से भरा था कि एंबुलेंस तुलसी बाई के घर तक नहीं पहुंच सकी। मजबूरी में परिजनों और ग्रामीणों ने मिलकर तुलसी बाई को कंधों पर उठाया और दलदल भरे रास्तों से होकर पैदल ही अस्पताल पहुंचाया। इस दौरान परिवार की व्यथा और ग्रामीणों का आक्रोश साफ झलक रहा था।

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ग्रामीणों की व्यथा, सालों से अनसुनी मांग

कंडरजा और आसपास के गांवों के निवासियों का कहना है कि सड़कों की बदहाल स्थिति कोई नई समस्या नहीं है। कई सालों से ग्रामीण सड़क निर्माण और मरम्मत के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। बारिश के मौसम में स्थिति और भी बदतर हो जाती है, जब रास्ते कीचड़ और दलदल में तब्दील हो जाते हैं।

नतीजतन, न केवल एंबुलेंस, बल्कि कोई भी वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाता। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी स्थिति में गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और गंभीर मरीजों को समय पर इलाज मिलना असंभव हो जाता है, जिससे उनकी जान को खतरा बढ़ जाता है।

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स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा असर

खराब सड़कें सिर्फ आवागमन की समस्या नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सबसे बड़ी बाधा बन रही हैं। कंडरजा जैसे कई गांवों में आपातकालीन स्थिति में मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाना एक चुनौती है। ग्रामीणों ने बताया कि अक्सर मरीजों को खाट या कंधों पर उठाकर ले जाना पड़ता है।

इससे इलाज में देरी होती है और कई बार मरीज की जान तक चली जाती है। इस घटना ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि जब बुनियादी सड़क सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं हैं, तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल होगा?

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प्रशासन पर उठे सवाल

तुलसी बाई की घटना ने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि उनके बार-बार शिकायत करने के बावजूद सड़कों की मरम्मत या निर्माण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

विजय नगर पंचायत और कंडरजा सहित आसपास के गांवों में सड़कों की स्थिति इतनी खराब है कि बारिश में पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल सड़क निर्माण शुरू करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

विकास के दावों पर सवाल

छत्तीसगढ़ सरकार और स्थानीय प्रशासन अक्सर ग्रामीण विकास और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के दावे करते हैं, लेकिन कंडरजा जैसे गांवों की स्थिति इन दावों की हकीकत बयां करती है। जब एक बीमार महिला को कंधों पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़े, तो यह स्पष्ट है कि विकास की गंगा अभी इन गांवों तक नहीं पहुंची है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि सड़क निर्माण को प्राथमिकता दी जाए और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

सड़क-स्वास्थ्य सेवाओं की कमी मुसीबत

यह घटना न केवल कंडरजा की समस्या को उजागर करती है, बल्कि छत्तीसगढ़ के कई अन्य ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति को भी दर्शाती है, जहां सड़क और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही सड़कों का निर्माण नहीं हुआ, तो वे विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। प्रशासन को इस घटना को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।

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