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स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल उपकरण और दवा खरीदी में एक के बाद एक और मामला सामने आया है। ये 2020 में महासमुंद में बनी दवा कंपनी 9 एम और अफसरों की मिलीभगत से जुड़ा है। जानकारी के मुताबिक टेंडर मिलने के बाद सरकारी अस्पतालों में भेजी गई इस कंपनी की बुखार दवा के 70 और आईड्रॉप 1 को लेकर 71 बैच की गुणवत्ता विभागीय जांच में फेल हो गई है, इसके बाद भी सरकारी अस्पतालों में इसी कंपनी से 10 दवाएं ली जा रही हैं।
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ब्लैकलिस्ट करने के बजाय मरीजों को दे रहे दवा
ठेके की शर्तों अनुसार यदि किसी कंपनी की दवाओं के 5 बैच की गुणवत्ता खराब मिलती है, तो उसे तीन साल के लिए ब्लैकलिस्टेड कर दिया जाता है। लेकिन, अफसर 9 एम को ब्लैकलिस्ट करने के बजाय गुणवत्ता में फेल हो रही दवाओं का उठाव कर नए बैच की आपूर्ति करने का आदेश दे रहे हैं।
10 जनवरी 2025 को सीजीएमएससी की एमडी पदिानी भोई द्वारा 9 एम के नामित दिया गया आदेश इसकी पुष्टि करता है, जिसमें उसे 500 एमजी की बुखार की दवा (पैरासिटामॉल) के 53 बैच, 650 एमजी के 17 बैच और आईड्रॉप (सिप्रोफ्लोक्सिन) के 1 बैच की गुणवत्ता खराब मिलने पर भी उनका उठाव कर नए बैच की आपूर्ति करने कहा गया है।
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टेंडर की शर्त... 5 बैच के सैंपल फेल, तो फर्म तीन साल तक ब्लैकलिस्ट
यदि एक टेंडर में किसी कंपनी द्वारा बनाई या आपूर्ति की जाने वाली किसी एक दवा या एक से अधिक मालीक्यूल को मिलकर बनने वाली दवा के 5 बैच की किसी भी वजह से गुणवत्ता खराब मिलती है, तो उसे बनाने या आपूर्ति करने वाली फर्म को सीजीएमएससीएल में 3 साल के लिए ब्लैकलिस्टेड कर दिया जाएगा।
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