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छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए यूनिसेफ से मिले पैसे को छत्तीसगढ़ के डॉक्टर हजम कर गए हैं। यह रकम एक करोड़ 62 लाख 28 हजार 949 रुपए की है। यूनिसेफ द्वारा दिए पैसे से प्रदेश में स्वास्थ्य सर्वे, ट्रेंनिंग प्रोग्राम और राष्ट्रीय कार्यक्रमों को बेहतर करना था। 2024 में आई रिपोर्ट में जब गड़बड़ी की पुष्टि हुई तो यूनिसेफ इसकी शिकायत और रकम वसूली करने की तैयारी कर रहा है।
विशेषज्ञों से डॉक्टरों को ट्रेनिंग दिलवाएं
मामला 2014 से 2018 के बीच का है, इस अवधि में यूनिसेफ ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार को आर्थिक रूप से मदद दी। कहा गया कि इन पैसों से छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सर्वे करवाए, विशेषज्ञों से डॉक्टरों को ट्रेनिंग दिलवाए। साथ में केंद्र सरकार द्वारा संचालित कार्यक्रमों में और मजबूती लाए। क्योंकि स्वास्थ्य सर्वे के लिए रायपुर मेडिकल कॉलेज में ही विशेषज्ञ डॉक्टर और विभाग मौजूद है इस कारण से प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने यह पैसा रायपुर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग को सौंप दिया। उस दौरान तत्कालीन HOD डॉ जीपी सोनी ने विभाग के डॉक्टर आशीष सिन्हा को सर्वे करवाने की जिम्मेदारी सौंप दी।
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यूनिसेफ रिपोर्ट शासन को नहीं भेजी
डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई। योजना बनाई गई कि बस्तर समेत 7 जिलों में आयोडीन की डिफिशिएंसी की जानकारी जुटाया जाएगा। और यूनिसेफ के साथ कोऑर्डिनेटर कर ट्रेनिंग सेशन आयोजित करना तय हुआ। अब 6 साल बीत जाने के बाद भी ना तो यूनिसेफ को उसकी रिपोर्ट मिली और नहीं शासन को भेजी गई। तो पैसे की खोज शुरू हुई। साल 2024 में पूछताछ और मिली शिकायतों के आधार पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने तीन वरिष्ठ डॉक्टरों की एक कमेटी बनाकर जांच करवाई जिसमें यह पता चला की सर्वे प्रमुख डॉ आशीष सिंहा ने जांच के नाम पर खूब गड़बड़ी की है।
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फर्जी बिल वाउचर लगाकर पैसे निकाले
सर्वे टीम को 2 जिलों में ही भेजा गया। बाकी जगहों के फर्जी बिल वाउचर लगाकर खाते से पैसे निकाल लिए। जांच में यह भी सामने आया कि डॉक्टर सिन्हा ने 1 करोड़ 62 लाख 28 हजार 949 रु की रकम में से 57 फ़ीसदी पैसे अपने निजी खाते में ट्रांसफर कर लिए है। इसके अलावा अन्य पैसे वाउचर के जरिए निकाल लिए। जांच शुरू हुई तो विभाग ने बिल वाउचर ही गायब कर दिया।
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यूनिसेफ को क्या जवाब दें
इधर ट्रेनिंग सेशन के नाम पर विभाग की तरफ से बड़े होटलों में बर्थडे पार्टी बनाई गई। शासन को जो रिपोर्ट सौपना था वह भी नदारत है। स्वास्थ्य विभाग की चिंता है कि यूनिसेफ को क्या जवाब दे। इधर यूनिसेफ ने इस मामले को गंभीर कहा है उनका कहना है कि संस्था का पैसा जनहित के लिए था। अब वे अपने स्तर पर भी इस मामले की जांच करवा रहे हैं इसके बाद इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजेंगे।
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