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रायपुर : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भूपेश बघेल ने ऑपरेशन सिंदूर पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। भूपेश बघेल ने कहा कि पहलगाम कांड के गुनहगारों को जब तक नहीं पकड़ा जाता तब तक ऑपरेशन सिंदूर को सफल कैसे माना जा सकता है। पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे और उन आतंकियों को अब तक नहीं पकड़ा गया है।
दिल्ली में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भूपेश बघेल ने इस पूरे अभियान की पारदर्शिता और रणनीतिक सफलता पर सवाल उठाते हुए सरकार से जवाब मांगा है। बघेल ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने वीरता और संकल्प का परिचय देते हुए आतंकियों को करारा जवाब दिया। लेकिन इसके तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा युद्धविराम की घोषणा करना कई शंकाओं को जन्म देता है।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अचानक युद्ध विराम की घोषणा की क्या यह भारत सरकार की कूटनीतिक नाकामी नहीं है। जनता को जानने का हक है क्या हमने तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार कर लिया। पाकिस्तान से कौन-कौन से वादे किए गए, यह भी स्पष्ट किया जाए।
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इंदिरा गांधी ने नहीं सहा था दबाव
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भूपेश बघेल ने कहा, 1971 में इंदिरा गांधी ने अमेरिका के दबाव को ठुकराया और पाकिस्तान को झुका दिया। आज की सरकार क्या वैसा ही मजबूत रुख दिखा रही है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या आज भारत तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार कर रहा है। अगर ऐसा है तो यह शिमला समझौते की भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने इस संकट की घड़ी में अपनी संविधान बचाओ रैली स्थगित कर जय हिंद यात्रा शुरू की ताकि सेना का मनोबल बढ़े और आतंक के खिलाफ एकजुटता का संदेश जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी इस गंभीर परिस्थिति में भी सेना की बहादुरी का राजनीतिक लाभ उठाने में जुटी रही।
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संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए
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भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार से मांग की कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए और सभी दलों को बताया जाए कि युद्धविराम की शर्तें क्या थीं। उन्होंने कहा कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि क्या पाकिस्तान से कोई समझौता किया गया है। क्या हमारी पुरानी नीति बदल दी गई है। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल से अब तक 26 लोगों की जान जा चुकी है और देश इस दर्द को महसूस कर रहा है। बघेल ने कहा जब पूरा देश सेना के साथ खड़ा था, बीजेपी नेता ट्विटर पर UPA-NDA की तुलना कर मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रहे थे। उनके नेता ट्वीट कर रहे थे कि हमने सर्जिकल स्ट्राइक की, कांग्रेस ने कुछ नहीं किया यह सेना की बहादुरी को अपनी उपलब्धि बताने की कोशिश थी। सवाल है क्या सेना के बलिदान को चुनावी बयानबाजी में इस्तेमाल करना उचित है।
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