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Photograph: (the sootr)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में चार प्रमुख मल्टी-ट्रैकिंग रेल परियोजनाओं को हरी झंडी दी है, जिसमें महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाली डोंगरगढ़-गोंदिया चौथी रेल लाइन परियोजना (Dongargarh-Gondia Fourth Rail Line Project) प्रमुख है।
यह परियोजना देश के सबसे व्यस्त रेलवे कॉरिडोर में से एक पर गति (speed) और दक्षता (efficiency) लाने का काम करेगी, जिससे यात्री और माल ढुलाई दोनों को अभूतपूर्व लाभ मिलेगा।
क्या है डोंगरगढ़-गोंदिया चौथी रेल लाइन परियोजना
यह परियोजना विशेष रूप से मध्य और पूर्वी भारत के बीच आवागमन को सुगम बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गोंदिया (महाराष्ट्र) से डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) के बीच यह 84 किलोमीटर लंबा खंड न केवल दो राज्यों को जोड़ता है, बल्कि मुंबई-हावड़ा और मुंबई-हल्दिया जैसे महत्वपूर्ण कॉरिडोर का भी हिस्सा है।
वर्तमान में, इस रूट पर ट्रेनों का अत्यधिक दबाव है, जिसके कारण ट्रेनों के परिचालन में देरी और माल ढुलाई में बाधाएं आती हैं। चौथी लाइन के निर्माण से इन समस्याओं का समाधान होगा।
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परियोजना की मुख्य विशेषताएं
केंद्रीय कैबिनेट द्वारा अनुमोदित इस परियोजना की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं:
विशेषता (Feature) | विवरण (Details) |
मार्ग लंबाई (Route Length) | 84 किलोमीटर (km) |
अनुमानित लागत (Estimated Cost) | लगभग ₹2,223 करोड़ |
निर्माण अवधि (Construction Period) | 5 वर्ष (Years) |
रेलवे पुल (Railway Bridges) | 15 मेजर (Major) और 123 माइनर (Minor) |
कवर किए गए राज्य (States Covered) | महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ |
किस कॉरिडोर का हिस्सा (Part of Corridor) | मुंबई-हावड़ा/हल्दिया मुख्य लाइन |
इस परियोजना की लागत ₹2,223 करोड़ है, और इसका लक्ष्य अगले पांच वर्षों में इसे पूरा करना है। यह निवेश न केवल बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।
पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान का हिस्सा
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह महत्वाकांक्षी डोंगरगढ़-गोंदिया चौथी रेल लाइन परियोजना पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का एक अभिन्न हिस्सा है। यह प्लान विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के प्रयासों को एकीकृत करने पर केंद्रित है, ताकि देश में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ाया जा सके।
पीएम गति शक्ति का मुख्य उद्देश्य बुनियादी ढांचे के विकास में तालमेल लाना है, जिससे परियोजनाओं के नियोजन और कार्यान्वयन में तेजी आए। यह परियोजना इस मास्टर प्लान के तहत रेलवे के सात इंजनों में से एक के रूप में कार्य करेगी।
चार मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मिली मंजूरी
केंद्र सरकार ने कुल ₹24,634 करोड़ की लागत से चार मल्टी-ट्रैकिंग रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनसे लगभग 894 किलोमीटर रेल नेटवर्क का विस्तार होगा। ये परियोजनाएं हैं:
वर्धा - भुसावल (महाराष्ट्र): तीसरी और चौथी लाइन - 314 किलोमीटर
गोंदिया - डोंगरगढ़ (महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़): चौथी लाइन - 84 किलोमीटर
वडोदरा - रतलाम (गुजरात, मध्य प्रदेश): तीसरी और चौथी लाइन - 259 किलोमीटर
इटारसी - भोपाल - बीना (मध्य प्रदेश): चौथी लाइन - 237 किलोमीटर
ये सभी परियोजनाएं महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ के 18 जिलों को कवर करेंगी और भारतीय रेलवे के प्रमुख कॉरिडोर पर ट्रैफिक की भीड़ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
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परियोजना का महत्व और लाभ
डोंगरगढ़-गोंदिया चौथी रेल लाइन परियोजना का महत्व सिर्फ दो बिंदुओं के बीच की दूरी कम करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके व्यापक आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभ हैं।
ट्रेनों की आवाजाही में सुधार
यात्री ट्रेनों का समय पालन : वर्तमान में, इस व्यस्त रूट पर अक्सर ट्रेनों को क्रॉसिंग और ओवरटेक के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। चौथी लाइन के आने से यात्री ट्रेनों को एक डेडिकेटेड ट्रैक मिल सकेगा, जिससे उनकी गति बढ़ेगी और समय पालन में सुधार होगा।
ट्रैफिक दबाव में कमी: यह खंड देश के सबसे ज्यादा ट्रैफिक वाले मार्गों में से एक है। चौथा ट्रैक इस भारी दबाव को कम करेगा, जिससे ट्रेनों के संचालन में सुगमता आएगी।
संचालन दक्षता में वृद्धि : लाइन क्षमता में वृद्धि से भारतीय रेलवे की परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में उल्लेखनीय सुधार होगा।