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Photograph: (The Sootr)
केंद्रीय कैबिनेट बैठक: केंद्र सरकार ने 24 सितंबर को हुई कैबिनेट मीटिंग में रेलवे कर्मचारियों के लिए 78 दिन के प्रोडक्टिविटी-लिंक्ड बोनस (PLB) को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत 1866 करोड़ का बजट दिया गया है, जो 10.91 लाख रेलवे कर्मचारियों को मिलेगा।
यह बोनस रेलवे कर्मचारियों (Railway Employee) की 78 दिन की सैलरी के बराबर है, जो हर साल की तरह इस बार भी दिवाली-त्योहारों से पहले नॉन-गजेटेड कर्मचारियों को दिया जाएगा। इस बोनस के तहत प्रत्येक योग्य कर्मचारी को अधिकतम 17,951 रुपए तक का भुगतान किया जाएगा, जो ट्रैक मेंटेनर, लोको पायलट, स्टेशन मास्टर, सुपरवाइजर और अन्य ग्रुप 'C' कर्मचारियों को मिलेगा।
रेलवे कर्मचारियों के लिए खुशखबरी
यह बोनस न केवल कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ावा देगा, बल्कि रेलवे के प्रदर्शन को सुधारने में भी मदद करेगा। 2024-25 के लिए भारतीय रेलवे का प्रदर्शन बेहतरीन रहा, जहां रिकॉर्ड 1614.90 मिलियन टन माल ढोने के साथ-साथ लगभग 7.3 अरब यात्रियों को उनके गंतव्यों तक पहुंचाया गया। यह बोनस कर्मचारियों के कठिन कार्यों और रेलवे की प्रगति में उनके योगदान को सम्मानित करता है।
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रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट
कैबिनेट ने बिहार में बख्तियारपुर-राजगिर-तिलैया रेलवे लाइन को डबल करने की मंजूरी दी है। यह परियोजना बिहार के 104 किलोमीटर हिस्से में लागू होगी, और इस पर 2,192 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इससे रेलवे यातायात क्षमता में वृद्धि होगी और यात्रियों के लिए यात्रा को आरामदायक बनाया जाएगा। इसके अलावा, बिहार में NH-139W के साहेबगंज-अरेराज-बेतिया खंड पर 4-लेन निर्माण को भी मंजूरी दी गई है, जो बिहार की राजधानी पटना और बेतिया के बीच कनेक्टिविटी को सुधारने में मदद करेगा।
कैसे होता है बोनस का कैलकुलेशन?
बोनस की राशि कर्मचारियों के बेसिक वेतन पर आधारित होती है, जिसे 78 दिन के हिसाब से कैलकुलेट किया जाता है। यह गणना छठे वेतन आयोग के न्यूनतम वेतन 7,000 रुपए पर आधारित है।
उदाहरण के लिए, अगर कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 7,000 रुपए है, तो 78 दिन का बोनस लगभग 18,200 रुपए होगा, लेकिन अधिकतम सीमा 17,951 रुपए तय की गई है। सरकार हर साल बोनस की राशि निर्धारित करती है और यह कर्मचारियों की मेहनत और प्रदर्शन के आधार पर सम्मानित किया जाता है।
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बोनस का बाजार पर प्रभाव
यह बोनस न केवल कर्मचारियों के लिए आर्थिक राहत लेकर आएगा, बल्कि यह बाजार में भी खपत बढ़ाने का कारण बनेगा। कर्मचारियों को मिलने वाली अतिरिक्त राशि उनके उपभोक्ता खर्च को बढ़ाएगी, जिससे खुदरा बाजार को फायदा हो सकता है।
खासकर, त्योहारी सीजन में यह मांग बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे दुकानदारों और कारोबारियों की उम्मीदें और बढ़ सकती हैं। जीएसटी में की गई कटौती के बाद यह सकारात्मक प्रभाव और भी बढ़ सकता है।
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अर्थव्यवस्था पर असर
इकोनॉमिक एक्सपर्ट्स के अनुसार, त्योहारी बोनस का प्रभाव सिर्फ कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह अर्थव्यवस्था में एक मल्टीप्लायर इफेक्ट उत्पन्न करता है। यह बोनस सीधे तौर पर बाजार में जाता है, जिससे उपभोक्ता खर्च बढ़ता है और आर्थिक गतिविधियाँ तेज होती हैं। इससे मांग बढ़ने के साथ-साथ उत्पादन और सेवाओं में भी वृद्धि हो सकती है।
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रेलवे यूनियन की मांग
रेलवे कर्मचारी यूनियनों ने बोनस की राशि बढ़ाने की मांग की थी, क्योंकि वर्तमान में बोनस का कैलकुलेशन छठे वेतन आयोग के न्यूनतम वेतन 7,000 रुपए पर आधारित है। उन्होंने यह भी मांग की थी कि बोनस की राशि को सातवें वेतन आयोग के आधार पर बढ़ाया जाए, जो 18,000 रुपए के न्यूनतम वेतन पर आधारित है। यूनियनों ने यह भी कहा कि बोनस को जल्द से जल्द दशहरे से पहले वितरित किया जाना चाहिए।