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Raipur ED action on gold smuggling: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से जुड़े सोना तस्करी सिंडिकेट पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रायपुर यूनिट ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने इस रैकेट से जुड़े सचिन केदार और पुरुषोत्तम कवले की करीब 3.76 करोड़ रूपए की संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच कर दिया है।
इस अटैचमेंट में बैंक खातों में जमा राशि, फ्लैट्स और कृषि भूमि शामिल हैं। ईडी की यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) 2002 के तहत की गई है और यह केस पहले से डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) द्वारा दर्ज कस्टम्स एक्ट 1962 की धारा 135 के एक मामले से जुड़ा है।
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क्या है पूरा मामला?
ईडी की जांच की शुरुआत DRI द्वारा की गई एक बड़ी कार्रवाई से हुई, जिसमें विदेशी सोने की तस्करी करने वाले कई कैरियर्स को गिरफ्तार किया गया था। जांच में सामने आया कि यह सोना भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिए अवैध रूप से लाया गया, फिर कोलकाता से रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, नागपुर और मुंबई तक वितरित किया गया।
इस पूरे ऑपरेशन का मास्टरमाइंड विजय बैद उर्फ विक्की बताया गया है। विजय बैद के निर्देश पर सचिन केदार ने सोने की खेप विभिन्न शहरों तक पहुंचाई। यह सोना स्थानीय ज्वेलर्स को बेचकर वैध रूप में खपाया गया।
इन ज्वेलर्स को बेचा गया तस्करी का सोना
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, यह विदेशी सोना जिन लोगों या संस्थानों को बेचा गया, उनमें शामिल हैं:
सुनील कुमार जैन – सहेली ज्वेलर्स
प्रकाश सांखला – नवकार ज्वेलर्स
सुमीत ज्वेलर्स
पुरुषोत्तम कवले – सागर ज्वेलर्स
धीरेज बैद
इन नामचीन ज्वेलर्स पर आरोप है कि इन्होंने तस्करी के सोने को बाजार में खपाया और इस प्रक्रिया में मनी लॉन्ड्रिंग भी की गई।
260 करोड़ की तस्करी, अब तक 64 करोड़ की जब्ती
ईडी के मुताबिक, इस सोना तस्करी रैकेट में अब तक 260.97 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति (Proceeds of Crime) का आकलन किया गया है।
इसमें से अब तक कुल 64.14 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त या अटैच की जा चुकी है, और आगे की जांच जारी है।
ED की ओर से क्या कहा गया?
ईडी अधिकारियों के अनुसार, यह एक संगठित तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग का नेटवर्क है, जिसमें कई राज्यों के शहरों को जोड़ते हुए एक मजबूत सप्लाई चेन बनाई गई थी। कॉल रिकॉर्ड्स, बैंक लेन-देन, संपत्ति दस्तावेज और गवाहों के बयान जांच में शामिल किए गए हैं।
संपत्ति अटैचमेंट का अगला चरण कोर्ट की अनुमति से स्थायी जब्ती की ओर बढ़ सकता है। यह मामला छत्तीसगढ़ में मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध व्यापार के बढ़ते नेटवर्क की ओर इशारा करता है।
जिस तरह से सोने की तस्करी को व्यवस्थित ढंग से अंजाम दिया गया, उससे यह साफ होता है कि यह कोई साधारण अपराध नहीं बल्कि एक संगठित सिंडिकेट का हिस्सा है। अब देखना यह होगा कि इस नेटवर्क के बाकी कड़ी तक ईडी कब पहुंचती है, और क्या इस मामले में गिरफ्तारियां और बढ़ेंगी।
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