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छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के भिलाई स्थित आवास पर शुक्रवार, 18 जुलाई 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तड़के छापेमारी की। यह कार्रवाई शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में की गई। ED की 12 सदस्यीय टीम, जिसके साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान भी थे।
सुबह करीब 6 बजे बघेल के भिलाई-3 निवास पर पहुंची। इस छापेमारी ने राज्य के राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया, खासकर इसलिए क्योंकि यह विधानसभा के मॉनसून सत्र के अंतिम दिन हुई, जब बघेल अडानी समूह से जुड़े तमनार में पेड़ कटाई के मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की तैयारी में थे।
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ED की कार्रवाई और बघेल का जवाब
छापेमारी की सूचना मिलते ही भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, "ED आ गई। आज विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है। अडानी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा आज उठना था। भिलाई निवास में 'साहेब' ने ED भेज दी है।"
बघेल ने इस कार्रवाई को राजनीतिक साजिश करार देते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार और बीजेपी की ओर से विपक्ष को दबाने की कोशिश है।विधानसभा के लिए पैदल रवाना होने से पहले बघेल ने पत्रकारों से बातचीत में और भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "पिछली बार मेरे जन्मदिन पर ED को भेजा गया था।
इस बार मेरे बेटे चैतन्य बघेल के जन्मदिन पर मोदी और शाह ने अपने 'मालिक' को खुश करने के लिए ED को भेजा है। भूपेश बघेल न झुकेगा और न डरेगा। आज विधानसभा में अडानी का मुद्दा जरूर उठेगा।" बघेल ने इस छापेमारी को तमनार में अडानी समूह द्वारा कथित अवैध पेड़ कटाई के मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया।
शराब घोटाले से जुड़ा मामला
ED की यह कार्रवाई 2019-2022 के दौरान हुए कथित 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच का हिस्सा है। जांच एजेंसी का दावा है कि इस घोटाले में भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को अवैध आय का लाभार्थी होने का संदेह है।
यह दूसरी बार है जब ED ने चैतन्य के खिलाफ कार्रवाई की है; इससे पहले मार्च 2025 में भी बघेल परिवार के भिलाई और दुर्ग स्थित ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। ED ने दावा किया है कि इस घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और एक शराब सिंडिकेट ने 2100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई की।
कांग्रेस का तीखा हमला
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने इस छापेमारी को बीजेपी सरकार की "विपक्ष को चुप कराने की साजिश" करार दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने X पर लिखा, "डबल इंजन सरकार ने फिर विपक्ष का गला घोंटने का काम किया है। भूपेश बघेल के खिलाफ लगातार षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। आज अडानी के लिए तमनार में पेड़ कटाई का मुद्दा विधानसभा में उठाने की तैयारी थी, लेकिन उससे पहले 'साहेब' ने ED भेज दी।"
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। पार्टी ने 32 हजार रुपये के जग, 50 लाख की टीवी, 11 करोड़ के योगा, और 2 करोड़ रुपये के समोसा घोटाले जैसे मामलों का हवाला देते हुए कहा कि बीजेपी के डिप्टी सीएम विष्णु देव साय "बौखला गए हैं" और बघेल को निशाना बनाकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
हंगामा और सुरक्षा व्यवस्था
छापेमारी के दौरान भिलाई में भारी तनाव देखा गया। बघेल के समर्थन में बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता उनके आवास के बाहर जमा हो गए और "ED गो बैक" के नारे लगाए। कुछ कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा घेरा तोड़ने और बैरिकेड्स पर चढ़ने की कोशिश की, जिसके बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए दुर्ग जिले के सभी पुलिस स्टेशनों से अतिरिक्त फोर्स मंगाई गई। मार्च 2025 में हुई पिछली ED छापेमारी के दौरान भी पथराव की घटना हुई थी, जिसके बाद पुलिस ने इस बार पहले से ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी।
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राजनीतिक विवाद और अडानी कनेक्शन
ED की यह कार्रवाई उस समय हुई जब विधानसभा के मॉनसून सत्र के आखिरी दिन बघेल और कांग्रेस रायगढ़ के तमनार में अडानी समूह द्वारा कथित तौर पर अवैध पेड़ कटाई का मुद्दा उठाने की तैयारी में थे। बघेल ने इस छापेमारी को इस मुद्दे से ध्यान भटकाने की साजिश बताया। उन्होंने "साहेब" का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा, जिसे उन्होंने अडानी समूह के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया।
इससे पहले भी बघेल केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर रहे हैं। मार्च 2025 में ED और CBI ने शराब घोटाले और महादेव सट्टा ऐप मामले में उनके और उनके बेटे के ठिकानों पर छापेमारी की थी। उस समय भी बघेल ने इन कार्रवाइयों को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया था।
पिछली कार्रवाइयां और जांच का दायरा
ED की जांच के अनुसार, शराब घोटाले में सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं, और शराब कारोबारियों के एक संगठित सिंडिकेट ने मिलकर 2019-2022 के दौरान अवैध तरीकों से शराब बिक्री की। इसमें डुप्लीकेट होलोग्राम का इस्तेमाल और बिना लेखांकन के शराब बिक्री जैसे तरीके शामिल थे। पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम भी इस मामले में सामने आया है, जो वर्तमान में जेल में हैं। हाल ही में EOW और ACB ने शराब घोटाले से जुड़े 39 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 90 लाख रुपये नकद, सोना, चांदी, और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए थे।
राजनीति में एक नए तूफान का संकेत
यह छापेमारी छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नए तूफान का संकेत दे रही है। बघेल और कांग्रेस ने इसे बीजेपी की साजिश बताकर विधानसभा में और आक्रामक रुख अपनाने का संकेत दिया है। दूसरी ओर, ED का कहना है कि यह कार्रवाई नए साक्ष्यों के आधार पर की गई है, और जांच अभी जारी है।
राज्य में तनावपूर्ण माहौल के बीच सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह कार्रवाई वाकई भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई है या विपक्ष को दबाने की रणनीति? जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, इस मामले में और खुलासे होने की संभावना है। बघेल की ओर से अडानी मुद्दे को और जोरदार तरीके से उठाने की घोषणा ने इस विवाद को और गर्मा दिया है।
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