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स्मार्ट सिटी और नवा रायपुर के प्रोजेक्ट में 500 करोड़ का काम दिलाने का झांसा देकर 15 करोड़ की ठगी करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी केके श्रीवास्तव को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया है। केस दर्ज होने के बाद पिछले 10 माह से वह फरार था। रविवार को उसे भोपाल के एमराल्ड होटल से पकड़ा गया है। पता चला है कि फरारी के दौरान वह देश के कई राज्यों के अलावा नेपाल में भी रहा। पुलिस को फोन से लोकेशन न मिल जाए इसलिए वो जगह बदलने के बाद आईफोन को भी तोड़ देता था।
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कांग्रेस की सरकार में श्रीवास्तव का खासा दबदबा था। उसका सीएम हाउस में बे रोक टोक आना-जाना था। स्मार्ट सिटी और एनआरडीए में 500 करोड़ का काम दिलाने के लिए उसने दिल्ली के कारोबारी रावत एसोसिएट के मालिक अशोक रावत से 15 करोड़ लिए थे। अशोक को जब ठेका नहीं मिला तो उसने पैसे वापस मांगे। श्रीवास्तव ने 17 सितंबर 2023 तक पैसे लौटाने का वादा किया। तय समय गुजरने के बाद पैसा नहीं दिया। रावत ने पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी तो उसने बेटे कंचन के खातों से 3.40 करोड़ लौटा दिए।
इसके अलावा तीन-तीन करोड़ के तीन चेक दिए। बाद में पता चला कि चेक देने के बाद उसने उसे स्टॉप श्रेणी में डाल दिया। इस वजह से चेक क्लियर नहीं हुआ। इसके बाद कारोबारी ने श्रीवास्तव को फोन लगाया तो उसने नक्सली और राजनैतिक रसूखदारों से पहचान होने की बात कहकर उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद रावत ने बाप-बेटे के खिलाफ तेलीबांधा थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। तब से पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। दोनों की जिला से सुप्रीम कोर्ट तक अग्रिम जमानत खारिज हो चुकी है।
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कांग्रेस के बड़े नेता भी आगे-पीछे घूमते थे
बिलासपुर निवासी केके श्रीवास्तव के बारे में चर्चा है वह तंत्र-मंत्र भी करता है। बिलासपुर से पहले ही उसका बड़ा आश्रम है। इस वजह से प्रदेश के कई बड़े नेता उसके आगे-पीछे घूमते थे। रावत एसोसिएट के मालिक की पहचान 2023 में आध्यात्मिक गुरु प्रमोद कृष्णन ने केके श्रीवास्तव से कराई थी। श्रीवास्तव ने उसे सरकार में ऊंची पहुंच बताई और कोई भी सरकारी ठेका दिलवाने का झांसा दिया।
ईडी और ईओडब्ल्यू भी कर रही है जांच
एफआईआर दर्ज होने के बाद जब केके के खातों की जांच की गई तो कई बेनामी खातों की जानकारी मिली। इन खातों में 50 करोड़ से ज्यादा का ट्रांजेक्शन किया गया था। इसके अलावा ईओडब्ल्यू ने भी जांच की तो पता चला कि अलग-अलग खातों से 300 करोड़ से ज्यादा का बेनामी ट्रांजेक्शन हुआ है। इसके बाद बी ईडी ने भी श्रीवास्तव के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया।
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ग्लोमैक्स इंडिया के नाम से बनाए फर्जी दस्तावेज
शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि श्रीवास्तव ने रावत एसोसिएट का पैसा गबन करने के लिए ग्लोमैक्स इंडिया कंपनी और छत्तीसगढ़ सरकार के फर्जी दस्तावेज बनाकर भेजे थे। इन दस्तावेजों को देखने के बाद ही रावत ने उसके बताए अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिए।
80 से ज्यादा बार अलग-अलग खातों में पैसे ट्रांसफर होते रहे। श्रीवास्तव पर यह भी आरोप है कि वो नेताओं का पैसा हवाला से दिल्ली भेजता था। ईडी को प्रारंभिक जांच में इसके प्रमाण मिले हैं। श्रीवास्तव ने एनएस इंटरप्राइजेस, आरएच इंटरनेशनल, सुहाना इंटरप्राइजेस, अरोजेट इंटरप्राइजेस, डीपी ओसिएन इंटरप्राइजेस समेत कई बेनामी कंपनियों के खातों में रकम ट्रांसफर करवाई थी।
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