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छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 18 वर्षों तक नौकरी करने का मामला सामने आया है। आरोप है कि नीना शिवहरे ने वर्ष 2006 में जबलपुर से अनुमोदन पत्र के जरिए दुर्ग स्थित तुलाराम आर्य कन्या उत्तर माध्यमिक शाला में अवैध रूप से जॉइनिंग ली। और लंबे समय तक वेतन लेती रहीं। दरअसल नीना शिवहरे को उनके पति योगेश शिवहरे की प्रभाव और दबाव के चलते स्कूल में नियुक्ति मिली।
योगेश शिवहरे उस समय शिक्षा विभाग में उप संचालक के पद पर थे। इस फर्जी नियुक्ति का भांडा तब फूटा जब दस्तावेजों की जांच और सत्यापन के दौरान अनियमितताएं सामने आईं। मामले के प्रकाश में आने के बाद शासन ने जांचकर वसूली के आदेश दिए हैं। बताया जा रहा गई पति-पत्नी ने स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की थी। जिसके बाद दोनों विदेश भागने वाले थे।
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शासन ने दिया जांच का आदेश
घटना की गंभीरता को देखते हुए शासन ने नीना शिवहरे की पूरी सेवा अवधि की जांच के आदेश जारी किए हैं। इधर योगेश शिवहरे की पेंशन और वित्तीय लाभों पर रोक लगा दी गई है। साथ ही नीना शिवहरे से फर्जी नौकरी के दौरान ली गई राशि की वसूली की भी बात कही गई है।
पति अपर संचालक, पत्नी फर्जी शिक्षक
नीना शिवहरे फर्जी तरीके से 18 साल तक दुर्ग में शासकीय अनुदान प्राप्त तुलाराम आर्य कन्या उत्तर माधमिक शाला में नौकरी कर रही है। उनकी नियुक्ति 2006 में जबलपुर से एक अनुमोदन पत्र के आधार पर हुई। लेकिन वहां से मिली कोई सर्विस बुक नहीं है। बताया जा रहा है कि नीना शिवहरे को नौकरी दिलवाने के लिए उनके पति तत्कालीन उपसंचालक योगेश शिवहरे ने पद का दुरुपयोग किया और सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया। हालांकि जब यह मामला प्रकाश में आया तो दोनों पद पत्नी मिलकर रणनीति के तहत अब VRS ले कनाडा जाने की तैयारी कर रहे थे।
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नीना ने ऐसी पाई नौकरी
दुर्ग के तुलाराम आर्य कन्या उच्च्तर माध्यमिक शाला में नीना शिवहरे वर्ष 2006 में व्याख्याता के पद पर मध्य् प्रदेश से आईं। बताया गया कि नीना शिवहरे व्याख्याता कन्या उ.मा. शाला सदर जबलपुर (म.प्र) में पदस्थ हैं, राज्य पुनर्गठन के बाद इन्हें स्थानांतरण के बाद दुर्ग में पदस्थापना दी जाती है। लेकिन इनके दस्तावेज में पूर्व कार्यकाल का कोई रिकॉर्ड नहीं है। तुलाराम आर्य कन्या उच्च्तर माध्यमिक शाला में ज्वाइनिंग के समय श्रीमती शिवहरे ने पूर्व के अपने कार्यकाल का कोई दस्तावेज न तो शिक्षण समिति के सामने रखा और न ही शिक्षा विभाग या राज्य शासन को दिया। जिससे यह प्रमाणित हो सके कि वे सन् 2006 के पहले जबलपुर में कन्या उ.मा. शाला सदर जबलपुर (म.प्र) में व्याख्याता के पद पर सेवारत रहीं।
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पदस्थापना पर यह हैं सवाल
नीना शिवहरे की पदस्थापना को लेकर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जो आदेश जारी किया गया है उसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख् है कि श्रीमती शिवहरे मध्यप्रदेश के जबलपुर में सेवारत थीं। लेकिन श्रीमती शिवहरे ने विभाग को अपने कार्य मुक्ति का आदेश और मध्यप्रदेश से स्थानांतरण आदेशों की प्रति नहीं दे पाई।
इधर तुलाराम आर्य कन्या उ.मा विद्यालय एक स्वसाशी स्कूल है, जिसे दयानंद शिक्षा समिति द्वारा संचालित किया जाता है। नियुक्ति,पदोन्नत या फिर हटाये जाने का निर्णय स्कूल संचालन समिति द्वारा लिया जाता है। नियुक्ति के लिए संचालन समिति में निर्णय लिया जाता हैं उसके बाद प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को भेजा जाता है उसके बाद डीपीआई और फिर मंत्रालय के बाद आदेश निकलता है. जबकि यहाँ ऐसा कुछ नहीं हुआ।
योगेश शिवहरे का रोल संदिग्ध
इस मामले में विशेष बात ये है कि नीना शिवहरे के पति योगेश शिवहरे वर्तमान में अपर संचालक के पद के विरूद्ध डीपीआई कार्यालय में पदस्थ हैं। सन्देह जताया जा रहा है कि योगेश ने ही सारे मामले का गणित सेट किया और इनके द्वारा ही अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के सहयोग से श्रीमती शिवहरे का व्याख्याता के पद पर नियुक्ति दबाव में कराया गया एवं दोनों राज्यों के सहमति कार्यभार ग्रहण एवं अन्य कई प्रकार के सेवा अभिलेख बिना प्राप्त किए करवाया गया है।
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