इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में 3.5 करोड़ की वित्तीय अनियमितता का खुलासा

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में श्रमिकों के भुगतान में 3.5 करोड़ रुपये की अनियमितता का मामला सामने आया है। यह गड़बड़ी ऑडिट के दौरान उजागर हुई। विश्वविद्यालय प्रशासन कई विभाग उचित जानकारी देने में असफल रहे।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्‍तीसगढ की राजधानी रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में बडी अनियमितता सामने आई है। विश्वविद्यालय में ऑडिट के दौरान मजदूरों के भुगतान में गडबडी मिली है। यह अनियमितता 3.5 करोड़ की है। इस मामले का पर्दाफाश होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन में खलबली मच गई है। ऑडिट के बाद विभिन्न विभागों से जवाब मांगा गया, लेकिन कई विभाग स्पष्ट जानकारी और दस्तावेज उपलब्ध कराने में असमर्थ रहे हैं।

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मजदूरों के भुगतान में भारी गड़बड़ी

सूत्रों के अनुसार, विश्वविद्यालय में कृषि कार्यों के लिए बड़ी संख्या में मजदूरों की नियुक्ति की जाती है, जिन्हें नियमानुसार वेतन दिया जाता है। हालांकि, कुछ मजदूरों को कृषि कार्यों के बजाय अधिकारियों के निजी बंगलों पर काम करने के लिए नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, सौंदर्यीकरण के नाम पर भी 50 से अधिक मजदूरों को काम पर रखा गया है। इन मजदूरों के भुगतान में भारी गड़बड़ी की बात सामने आई है।

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कई विभागों को मुश्किल में डाला

ऑडिट के समय विश्वविद्यालय प्रशासन भुगतान से जुडे कोई दस्तावेज नहीं दिखा सका। साथ ही उससे जुडी कोई जानकारी भी नहीं दे सका। तब ऑडिट टीम ने 3.5 करोड़ से अधिक की रकम के भुगतान पर प्रश्‍न चिन्‍ह लगाए। उठाए। इस मामले ने विश्वविद्यालय के कई विभागों को मुश्किल में डाल दिया है, क्योंकि कुछ विभाग जवाब देने की स्थिति में नहीं हैं। इसके साथ ही, सुरक्षा के नाम पर भी पहले अनियमितताओं की शिकायतें मिल चुकी हैं।

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कुलपति का बयान: ऑडिट सामान्य प्रक्रिया, जवाब दे दिया गया

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने एक बयान में कहा कि ऑडिट एक सामान्य प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के कृषि फार्मों में बड़ी संख्या में मजदूर काम करते हैं और उन्हें नियमानुसार वेतन दिया जाता है। ऑडिट में उठाए गए सवालों का विश्वविद्यालय प्रशासन ने लिखित रूप में जवाब दे दिया है।यह मामला विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब यह देखना बाकी है कि ऑडिट आपत्तियों के जवाबों के बाद इस मामले में क्या कार्रवाई होती है।

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