इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में छात्रों को सोशल मीडिया पर चुप रहने का आदेश

छत्तीसगढ़ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। हाल के महीनों में पत्रकारों और छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिशों ने राज्य में नया विवाद खड़ा कर दिया है। कुछ हालियां घटनाएं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बढ़ते दबाव को दर्शाती हैं।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। हाल के महीनों में पत्रकारों और छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिशों ने राज्य में नया विवाद खड़ा कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल द्वारा अस्पतालों में पत्रकारों के कवरेज पर रोक लगाने का प्रयास हो या गरियाबंद के ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर का स्कूलों को मीडिया से दूरी बनाने का आदेश, ये घटनाएं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बढ़ते दबाव को दर्शाती हैं।

इस कड़ी में अब इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (IGKV), रायपुर ने एक विवादास्पद सोशल मीडिया पॉलिसी लागू करने की तैयारी की है, जिसके तहत छात्रों को 50 रुपये के स्टांप पेपर पर शपथ पत्र देना होगा कि वे सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय के खिलाफ कुछ भी नहीं लिखेंगे। इस कदम ने छात्रों और बुद्धिजीवियों के बीच तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है, और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना जा रहा है।

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क्या है IGKV की सोशल मीडिया पॉलिसी?

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने हाल ही में अपनी एकेडमिक काउंसिल की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसके तहत सभी छात्रों को यह शपथ लेनी होगी कि वे सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय प्रशासन, प्रबंधन या उसकी गतिविधियों के खिलाफ कोई टिप्पणी, पोस्ट या सामग्री साझा नहीं करेंगे। ऐसा करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें निलंबन या हॉस्टल से निष्कासन जैसी सजा शामिल हो सकती है।

विश्वविद्यालय जल्द ही इस पॉलिसी को लागू करने के लिए औपचारिक नोटिफिकेशन जारी करने की तैयारी में है। यह पॉलिसी उस घटना की प्रतिक्रिया में लाई गई है, जिसमें कुछ महीने पहले एक छात्र ने सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय प्रबंधन की कार्यप्रणाली और सुविधाओं की कमी को लेकर आलोचनात्मक पोस्ट किया था।

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विश्वविद्यालय ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए छात्र को 24 घंटे के भीतर हॉस्टल खाली करने का आदेश दिया था। इस कार्रवाई के खिलाफ छात्रों ने व्यापक विरोध-प्रदर्शन किया, जिसके बाद विश्वविद्यालय को अपने कदम पीछे खींचने पड़े और छात्र को हॉस्टल में वापस लेना पड़ा। लेकिन अब इस नई पॉलिसी के जरिए विश्वविद्यालय प्रबंधन अपनी खामियों को छुपाने और आलोचनाओं को दबाने की कोशिश कर रहा है।

स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में भी अभिव्यक्ति पर पाबंदी

यह पहला मौका नहीं है जब छत्तीसगढ़ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश हुई है। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने अस्पतालों में पत्रकारों के कवरेज पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। इस फैसले का पत्रकार संगठनों और जनता ने कड़ा विरोध किया, जिसके बाद मंत्री को अपना आदेश वापस लेना पड़ा।

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लेकिन मामला ठंडा होने से पहले ही मुंगेली जिले के सिविल सर्जन ने कलेक्टर को पत्र लिखकर जिला अस्पताल में पत्रकारों की कवरेज पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध कर दिया। इसी तरह, गरियाबंद जिले के मैनपुर में ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर ने सभी स्कूलों को आदेश दिया कि वे मीडिया से दूरी बनाए रखें और कोई भी जानकारी पत्रकारों के साथ साझा न करें।

इन घटनाओं ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या सरकारी संस्थान और अधिकारी जनता की आवाज और मीडिया की निगरानी से बचने की कोशिश कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में अभिव्यक्ति की स्थिति

छत्तीसगढ़ में 14 शासकीय विश्वविद्यालय हैं, और इनमें से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय पहला संस्थान है, जिसने छात्रों के लिए सोशल मीडिया पॉलिसी लागू करने का फैसला किया है। अन्य विश्वविद्यालयों में भी छात्र अक्सर प्रबंधन की खामियों, जैसे देरी से रिजल्ट, मूल्यांकन में गड़बड़ी, प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितता या सुविधाओं की कमी, को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी बात रखते हैं और विरोध-प्रदर्शन करते हैं। लेकिन अब तक किसी अन्य विश्वविद्यालय ने ऐसी सख्त पॉलिसी लागू नहीं की है। शिक्षा विशेषज्ञों और छात्र संगठनों का कहना है कि IGKV की यह पॉलिसी एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकती है। अगर यह नीति लागू हो गई, तो अन्य विश्वविद्यालय भी इसे अपनाने की कोशिश कर सकते हैं, जिससे छात्रों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर और अधिक अंकुश लग सकता है।

छात्रों और समाज का विरोध

छात्र संगठनों ने इस पॉलिसी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी कमियों को छुपाने के लिए छात्रों की आवाज को दबाना चाहता है। एक छात्र नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “सोशल मीडिया आज के समय में हमारी आवाज उठाने का सबसे बड़ा मंच है।

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अगर हम विश्वविद्यालय की समस्याओं को उजागर नहीं करेंगे, तो सुधार कैसे होगा? यह पॉलिसी हमें चुप कराने की साजिश है।” सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने भी इस कदम की निंदा की है। उनका मानना है कि यह न केवल संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह विश्वविद्यालयों को जवाबदेही से बचाने का प्रयास भी है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, और ऐसी नीतियां इस अधिकार को कमजोर करती हैं। 

कानूनी और सामाजिक पहलू

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि IGKV की सोशल मीडिया पॉलिसी संवैधानिक जांच के दायरे में आ सकती है। सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट्स ने अतीत में ऐसी नीतियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन माना है, खासकर जब वे अस्पष्ट हों या अनुचित प्रतिबंध लगाएं। अगर यह पॉलिसी लागू होती है, तो छात्रों के पास इसे कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प होगा।

सामाजिक स्तर पर, यह नीति विश्वविद्यालयों और प्रशासन के बीच अविश्वास को बढ़ा सकती है। छात्रों का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं को उठाने का मंच छीन लिया जाएगा, तो वे विरोध-प्रदर्शन जैसे अन्य रास्तों की ओर मजबूर होंगे, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। 

प्रशासन और जनता से अपील

छात्र संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि IGKV अपनी सोशल मीडिया पॉलिसी को तत्काल रद्द करे और छात्रों की समस्याओं को सुनने के लिए एक पारदर्शी मंच बनाए। साथ ही, उन्होंने सरकार और शिक्षा विभाग से अपील की है कि वे इस तरह की नीतियों पर रोक लगाएं, ताकि अन्य विश्वविद्यालय इसे लागू करने की कोशिश न करें। जनता से भी अनुरोध किया गया है कि वे इस मुद्दे पर जागरूक रहें और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में अपनी आवाज उठाएं। 

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नई बहस

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की इस सोशल मीडिया पॉलिसी ने छत्तीसगढ़ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक नई बहस छेड़ दी है। यह मामला न केवल विश्वविद्यालय प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे सरकारी और शैक्षणिक संस्थान अपनी आलोचना को दबाने के लिए नए-नए तरीके adopting कर रहे हैं। अगर इस पॉलिसी को लागू किया गया, तो यह छात्रों के अधिकारों और उनकी आवाज को दबाने का एक खतरनाक उदाहरण बन सकता है।

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