अश्लीलता फैलाने वाले कलाकारों पर रायपुर के सिविल लाइन थाने में शिकायत

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को ठेस पहुंचाने वाले कथित अश्लील कंटेंट के खिलाफ स्थानीय लोगों का गुस्सा भड़क उठा है। यहां सिविल लाइन थाने में 32 लोगों के के खिलाफ अश्लीलता फैलाने के आरोप में शिकायत दर्ज की गई है।

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Krishna Kumar Sikander
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FIR lodged in Raipur's Civil Lines police station against artists spreading obscenity the sootr
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को ठेस पहुंचाने वाले कथित अश्लील कंटेंट के खिलाफ स्थानीय लोगों का गुस्सा भड़क उठा है। यहां सिविल लाइन थाने में 32 लोगों के खिलाफ अश्लीलता फैलाने के आरोप में शिकायत की गई है। पुलिस को दी गई शिकायत में कथित कलाकारों और उनके चैनल के नाम भी दिए गए हैं। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कंटेंट से जुड़ा है, जिसमें कुछ कथित कलाकारों पर छत्तीसगढ़ की संस्कृति और सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगा है।

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यह है मामले की पृष्ठभूमि

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हाल के दिनों में कुछ वीडियो और कंटेंट सामने आए हैं, जिन्हें स्थानीय लोग अश्लील और आपत्तिजनक बता रहे हैं। इन कंटेंट्स को कथित तौर पर कुछ व्यक्तियों द्वारा व्यूज और फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए बनाया गया है। इनमें से कुछ वीडियो में छत्तीसगढ़ की स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक मूल्यों को ठेस पहुंचाने वाली सामग्री शामिल होने की बात कही जा रही है। इस तरह की गतिविधियों ने छत्तीसगढ़िया समाज में व्यापक आक्रोश पैदा किया है।

इस मामले को लेकर कुछ स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने सिविल लाइन थाने में पहुंचकर शिकायत दर्ज की। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के कंटेंट न केवल छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि युवा पीढ़ी पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। शिकायत में शामिल एक व्यक्ति ने कहा, "ये लोग सिर्फ व्यूज और फॉलोअर्स के लिए हमारी संस्कृति को बदनाम कर रहे हैं। यह अस्वीकार्य है, और हम इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहते हैं।"

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छत्तीसगढ़िया समाज का आक्रोश

छत्तीसगढ़िया समाज, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं के लिए जाना जाता है, इस घटना से गहरे आहत है। सामाजिक संगठनों और स्थानीय नेताओं ने इस मामले में एकजुटता दिखाते हुए बदलाव की मांग की है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है, जहां लोग इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कर रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "हमारी संस्कृति हमारी पहचान है। इसे बदनाम करने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।"
सामाजिक संगठनों ने इस मामले में जागरूकता अभियान चलाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही है। कुछ संगठनों ने यह भी मांग की है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ऐसी सामग्री को नियंत्रित करने के लिए सख्त नीतियां बनाई जाएं।

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पुलिस की कार्रवाई

सिविल लाइन थाने में दर्ज शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, शिकायत में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपियों की पहचान की जा रही है, और उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच की जा रही है ताकि कथित अश्लील कंटेंट की सत्यता का पता लगाया जा सके।

रायपुर पुलिस ने यह भी आश्वासन दिया है कि इस मामले में निष्पक्ष और त्वरित जांच की जाएगी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "हम शिकायत को गंभीरता से ले रहे हैं। अगर कोई भी व्यक्ति सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन कर रहा है, तो उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"

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सामाजिक और कानूनी पहलू

यह घटना छत्तीसगढ़ में सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए एक बड़े आंदोलन की शुरुआत हो सकती है। पहले भी छत्तीसगढ़ में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जहां कथित तौर पर आपत्तिजनक कंटेंट के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठी है। उदाहरण के तौर पर, हाल ही में एक मामले में फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप के खिलाफ रायपुर में FIR दर्ज की गई थी, जब उन्होंने एक समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।

छत्तीसगढ़ सरकार ने भी सामाजिक मर्यादाओं और महिला सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए हैं। हाल ही में, सरकार ने बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग और सरगुजा जैसे जिलों में महिला थानों की स्थापना की है और महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए विशेष इकाइयां बनाई हैं। इस तरह के कदम सामाजिक मूल्यों की रक्षा और कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग

इस घटना ने छत्तीसगढ़ में एक व्यापक बहस को जन्म दिया है। एक तरफ, लोग स्वतंत्र अभिव्यक्ति और रचनात्मकता की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ, सामाजिक मर्यादाओं और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा की मांग जोर पकड़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया पर कंटेंट को नियंत्रित करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, ताकि न तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित हो और न ही सामाजिक मूल्य खतरे में पड़ें। छत्तीसगढ़िया समाज ने इस मामले में एकजुट होकर बदलाव की मांग की है। शिकायतकर्ताओं का कहना है, "हमारी जिद है कि हम अपनी संस्कृति और मूल्यों की रक्षा करेंगे। यह सिर्फ एक शिकायत नहीं, बल्कि एक आंदोलन है।"

सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुटता

रायपुर के सिविल लाइन थाने में दर्ज इस शिकायत ने छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए लोगों को एकजुट किया है। पुलिस की जांच और इसके परिणाम इस मामले में महत्वपूर्ण होंगे। साथ ही, यह घटना सोशल मीडिया के उपयोग और उसकी जिम्मेदारियों पर भी एक गंभीर चर्चा को जन्म दे रही है। छत्तीसगढ़िया समाज का यह आक्रोश और बदलाव की मांग निश्चित रूप से भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

 

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