साइबर ठगी में बैंक अधिकारी, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सीए और सिम विक्रेता गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पुलिस ने साइबर ठगी के एक गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसमें बैंक अधिकारी, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सीए और सिम कार्ड विक्रेता शामिल हैं। इस नेटवर्क को भेदने के लिए पुलिस ने 'ऑपरेशन साइबर शील्ड' के तहत कार्रवाई की।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पुलिस ने साइबर ठगी के एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसमें बैंक अधिकारी, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) और सिम कार्ड विक्रेता शामिल हैं। इस संगठित साइबर अपराध नेटवर्क को भेदने के लिए पुलिस ने 'ऑपरेशन साइबर शील्ड' के तहत कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को रोकने और दोषियों को सजा दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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साइबर ठगी के खिलाफ पुलिस की रणनीति

रायपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अमरेश मिश्रा ने साइबर अपराध के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके तहत साइबर थाना रायपुर को साइबर ठगी में शामिल मास्टरमाइंड, बैंक खाता संचालकों, एजेंटों, बैंक अधिकारियों और सिम सप्लायर्स के खिलाफ जांच और कार्रवाई का जिम्मा सौंपा गया। थाना सिविल लाइन, रायपुर के अपराध क्रमांक 44/25, 129/25 के तहत भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 317(2), 317(4), 317(5), 111, और 3(5) के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने तकनीकी विश्लेषण और पहले गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ के आधार पर इस गिरोह के पूरे नेटवर्क का खुलासा किया। जांच में पाया गया कि यह गिरोह संगठित तरीके से काम कर रहा था, जिसमें फर्जी बैंक खाते खोलना, ठगी की रकम को एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर करना और सिम कार्ड्स का दुरुपयोग शामिल था।

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संगठित और सुनियोजित तरीका

पुलिस जांच में सामने आया कि यह गिरोह अत्यधिक सुनियोजित तरीके से काम करता था। आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके म्यूल बैंक खाते (जिन्हें साइबर ठगी के लिए इस्तेमाल किया जाता था) खोले। ये खाते खुद आरोपी संचालित करते थे और ठगी की रकम को विभिन्न खातों में इधर-उधर कर उसे गायब करने की कोशिश की जाती थी। इस प्रक्रिया में बैंक अधिकारियों की मिलीभगत, सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की तकनीकी विशेषज्ञता और सिम विक्रेताओं द्वारा प्रदान किए गए फर्जी सिम कार्ड्स का उपयोग होता था। चार्टर्ड अकाउंटेंट की भूमिका भी संदिग्ध रही, जो संभवतः इस रकम को वैध दिखाने या हिसाब-किताब में हेरफेर करने में शामिल थे। आरोपियों ने अलग-अलग स्थानों पर अपनी गतिविधियां चलाकर पुलिस को चकमा देने की कोशिश की। वे ठगी की रकम को तेजी से एक खाते से दूसरे खाते में स्थानांतरित करते थे, जिससे रकम का पता लगाना मुश्किल हो जाता था। पुलिस के अनुसार, इस गिरोह ने बड़ी मात्रा में धनराशि की ठगी की, जिसका उपयोग व्यक्तिगत लाभ और अन्य अवैध गतिविधियों में किया गया।

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गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई

पुलिस ने तकनीकी साक्ष्यों और पूछताछ के आधार पर 10 प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें बैंक अधिकारी, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सिम कार्ड विक्रेता और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट शामिल हैं। सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस ने उनके पास से फर्जी दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और अन्य आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद की है, जो जांच में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

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साइबर अपराध के खिलाफ चेतावनी

इस मामले ने एक बार फिर साइबर ठगी के बढ़ते खतरे को उजागर किया है। पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे अनजान लिंक, कॉल्स या मैसेज पर भरोसा न करें और अपने बैंक खाते की जानकारी किसी के साथ साझा न करें। साथ ही, साइबर अपराध से संबंधित किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को देने की सलाह दी गई है।

'ऑपरेशन साइबर शील्ड' के तहत रायपुर पुलिस की इस कार्रवाई ने साइबर अपराधियों के लिए एक सख्त संदेश दिया है कि कानून का लंबा हाथ उन्हें बख्शेगा नहीं। यह घटना न केवल साइबर ठगी के जटिल नेटवर्क को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि समाज के विभिन्न पेशेवर वर्गों के लोग इस तरह के अपराधों में शामिल हो सकते हैं। पुलिस अब इस मामले में और गहराई से जांच कर रही है ताकि इस नेटवर्क से जुड़े अन्य संभावित आरोपियों का पता लगाया जा सके।
इस तरह की कार्रवाइयों से न केवल अपराधियों में डर पैदा होगा, बल्कि आम जनता में साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।

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