छत्तीसगढ़ के खरोरा क्षेत्र में विकास के नाम पर पर्यावरण और जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। चिचोली से आरंग तक की सड़कों पर फ्लाइऐश के ढेर ने स्थानीय लोगों की जिंदगी को नर्क बना दिया है। सड़क किनारे और ग्रामीण इलाकों में बेतरतीब ढंग से डंप की जा रही फ्लाइऐश अब डामर सड़कों तक फैल चुकी है, जिससे सफेद धूल का गुबार हर वक्त हवा में तैर रहा है।
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सड़कों पर धूल, जीवन पर संकट
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कोयले से उत्पन्न होने वाली यह महीन राख न केवल सड़कों को प्रदूषित कर रही है, बल्कि भूजल और जलस्रोतों को भी दूषित कर रही है। घीवरा, माठ, बंगोली, कोटा और मुरा जैसे गांवों के लोग इसकी चपेट में हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि फ्लाइऐश ने उनकी सड़कों को ही नहीं, उनके जीवन को भी धूल से ढक दिया है। सुबह से रात तक उड़ती राख सांसों में समा रही है, जिससे सांस की बीमारियां, त्वचा रोग और आंखों में जलन आम हो गई है।
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दुर्घटनाओं को न्योता, अधिकारियों की चुप्पी
तिल्दा-खरोरा मार्ग पर भारी वाहनों की आवाजाही और सड़क किनारे फ्लाइऐश के ढेरों ने हालात को और बदतर कर दिया है। उड़ती धूल से दृश्यता कम होने के कारण सड़क हादसों का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी या तो इस समस्या से अनजान हैं या जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं। पर्यावरण अधिकारी आर. के. शर्मा ने लिखित शिकायत की बात कही, जबकि क्षेत्रीय अधिकारी प्रकाश आर. रवाडे पिछले 15 दिनों से फोन तक नहीं उठा रहे।
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कब जागेंगे जिम्मेदार?
स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब तक उनकी सांसों में जहर घुलता रहेगा? गर्मी की तपिश में एसी कमरों में बैठे अधिकारी कब इस समस्या का समाधान करेंगे? अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो खरोरा की हवा और पानी और भी जहरीले होते जाएंगे, जिसका खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ेगा।
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