दंतेवाड़ा में बनेगा देश का पहला सरकारी हाई-टेक कोल्ड स्टोरेज सेंटर

दंतेवाड़ा में अब खेती और जंगल से मिलने वाली उपज की बर्बादी रुकेगी और किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिलेगा। पातररास गांव में देश का पहला सरकारी हाईटेक कोल्ड स्टोरेज और फूड प्रोसेसिंग सेंटर तैयार किया जा रहा है।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले दंतेवाड़ा में अब खेती और जंगल से मिलने वाली उपज की बर्बादी रुकेगी और किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिलेगा। पातररास गांव में देश का पहला सरकारी हाईटेक कोल्ड स्टोरेज और फूड प्रोसेसिंग सेंटर तैयार किया जा रहा है, जिसमें कोल्ड स्टोरेज, ब्लास्ट फ्रीजर, और रेडिएशन तकनीक जैसे अत्याधुनिक सिस्टम होंगे। यह केंद्र प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना और जिला खनिज निधि के सहयोग से लगभग 25 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है।

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हर साल 10 हजार टन उपज को मिलेगा जीवनदान

बस्तर अंचल में हर साल 7-20% उपज खराब हो जाती है। इमली, महुआ, जंगली आम, कोदो, कुटकी, बाजरा और कई वनोपज के लिए न तो भंडारण की सुविधा होती है और न ही प्रोसेसिंग की। अब पातररास में बन रहा यह सुविधा केंद्र हर साल 10,000 मीट्रिक टन से ज्यादा उपज को सुरक्षित रख सकेगा। यहां 1500 मीट्रिक टन का कोल्ड स्टोरेज, 1000 मीट्रिक टन का फ्रोजन स्टोरेज, ब्लास्ट फ्रीजर, रेडिएशन मशीन, 5 मिनी कोल्ड रूम, और 70 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगेगा।

बाजार भी तैयार – ‘बस्तर ब्रांड’ की होगी पहचान

प्रशासन ने रायपुर और विशाखापत्तनम में इन उत्पादों के लिए बाजार तैयार कर लिया है और देश–विदेश में बस्तर के उत्पादों को ब्रांड के रूप में भेजने की योजना है। जल्द ही “बस्तर ब्रांड” के नाम से उत्पादों की बिक्री शुरू की जाएगी। इससे आदिवासी उत्पादों को एक नई पहचान मिलेगी।

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स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार – आमदनी में होगा इजाफा

यह सुविधा न सिर्फ उपज को संरक्षित रखेगी, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार भी देगी। अनुमान है कि इस सुविधा से हर साल 8.5 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न होगा। इससे किसानों, वनोपज संग्राहकों और गांव के युवाओं को सीधा फायदा मिलेगा।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बोले – यह सिर्फ प्रोजेक्ट नहीं, बस्तर का भविष्य है

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस परियोजना को आदिवासी समुदायों के भविष्य की नींव बताया। उन्होंने कहा, “बस्तर के लोगों को अब उनका हक और सम्मान दोनों मिलेगा। यह मॉडल देश के दूसरे जनजातीय क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणा बनेगा।”

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प्रोजेक्ट स्टेटस – काम दो साल में पूरा होगा

ज़मीन आवंटन और तकनीकी साझेदारी पूरी हो चुकी है

बीआरआईटी (BRIT) संस्था रेडिएशन तकनीक उपलब्ध कराएगी

निर्माण कार्य अगले दो वर्षों में पूर्ण होगा

प्रमुख लाभ एक नज़र में

उपज की बर्बादी रुकेगी
किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा
आदिवासी उत्पादों की ब्रांडिंग
गांव में ही मिलेगा रोजगार

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विकास की नई बुनियाद

यह योजना केवल एक भंडारण केंद्र नहीं, बल्कि बस्तर के ग्रामीण विकास का वह केंद्र बिंदु बनने जा रही है, जो किसानों की उम्मीदों को संरक्षित रखेगी और गांव की अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाएगी।

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