दुर्ग में झंडा विवाद में पुलिस पर आरोप, कहा, मुस्लिम त्योहार चल रहा है घर से भगवान राम का झंडा हटाओ!

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के मचांदूर गांव में भगवान राम के झंडे को लेकर सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया है। एक हिंदू परिवार और पुलिस के बीच तीखी बहस के बाद, बजरंग दल ने विरोध प्रदर्शन किया और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के मचांदूर गांव में भगवान राम के झंडे को लेकर हुए विवाद ने सांप्रदायिक तनाव को जन्म दे दिया है। एक हिंदू परिवार और पुलिसकर्मियों के बीच हुई तीखी नोकझोंक और कथित अभद्र व्यवहार ने मामला इतना गरमा दिया कि बजरंग दल ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला और तूल पकड़ गया, जिससे गांव में तनाव का माहौल है। पुलिस ने विभागीय कार्रवाई और जांच शुरू करने का भरोसा दिया है, लेकिन बजरंग दल ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।

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कैसे विवाद ने पकड़ा तूल?

मचांदूर गांव, जो दुर्ग जिले के मचांदूर चौकी क्षेत्र में आता है। शुक्रवार देर रात एक विवाद शुरू हुआ। स्थानीय निवासी नेहा निषाद ने आरोप लगाया कि उनके घर पर लगे भगवान राम के भगवा झंडे को हटाने के लिए दो पुलिसकर्मी उनके घर पहुंचे। नेहा का बेटा कौशल निषाद, जो भारतीय सेना में कार्यरत है और 20 दिन की छुट्टी पर घर आया था, ने जब झंडा हटाने का विरोध किया तो पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर उसके साथ अभद्र व्यवहार किया।

नेहा के अनुसार, पुलिसकर्मियों ने उनके बेटे का कॉलर पकड़ा, गाली-गलौज की और थाने ले जाने की धमकी दी। नेहा निषाद ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने झंडा हटाने का दबाव बनाते हुए कहा, “मुस्लिम त्योहार (ईद-ए-मिलाद-उन-नबी) चल रहा है, इसलिए झंडा हटाओ।” इस बयान ने विवाद को और भड़का दिया।

नेहा ने सवाल उठाया, “क्या अब हमें अपने घर पर धार्मिक प्रतीक लगाने के लिए किसी अन्य समुदाय से इजाजत लेनी होगी? यह हमारी धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है।” इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें पुलिसकर्मी और कौशल निषाद के बीच तीखी बहस देखी जा सकती है।

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बजरंग दल का हस्तक्षेप और गंभीर आरोप

घटना की जानकारी मिलते ही बजरंग दल के कार्यकर्ता मचांदूर गांव पहुंचे और पीड़ित निषाद परिवार के समर्थन में खड़े हो गए। संगठन के संयोजक रवि निगम ने आरोप लगाया कि मचांदूर गांव में हिंदू परिवारों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि गांव में केवल दो हिंदू परिवार रहते हैं, जबकि 40-50 मुस्लिम परिवार हैं।

रवि निगम ने गांव के कुछ लोगों असलम खान, नवाब खान, और महमूद खान पर निषाद परिवार के साथ मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया। बजरंग दल ने यह भी दावा किया कि पुलिसकर्मी कथित तौर पर नशे की हालत में थे और उन्होंने गलत इरादे से निषाद परिवार को परेशान किया। संगठन ने गांव में गौ-तस्करी, अवैध निर्माण, और शासकीय भूमि पर बाहरी लोगों द्वारा कब्जे जैसी आपराधिक गतिविधियों का भी आरोप लगाया।

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रवि निगम ने कहा, “यह केवल एक झंडे का मामला नहीं है, बल्कि हिंदू परिवारों के साथ व्यवस्थित रूप से हो रही ज्यादती का प्रतीक है। हम प्रशासन से मांग करते हैं कि दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित किया जाए और हमलावरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो।” शनिवार को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दुर्ग जिला कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रदर्शन किया और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, गांव में अवैध गतिविधियों की जांच, और बाहरी लोगों की मौजूदगी की तहकीकात की मांग की गई। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि 48 घंटों में कार्रवाई नहीं हुई तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।

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पुलिस की सफाई और कार्रवाई का भरोसा

इस मामले पर दुर्ग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अभिषेक सिंह ने सफाई दी कि घटना की जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा, “मचांदूर चौकी क्षेत्र में हुई इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। जिन पुलिसकर्मियों पर अभद्र व्यवहार और गलत बयानबाजी का आरोप है, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई है।”

एएसपी ने बताया कि गांव में अवैध रूप से रह रहे लोगों की जांच के लिए राजस्व विभाग को पत्र लिखा गया है। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि मामला संवेदनशील है और इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश को रोका जाएगा। क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। साथ ही, वायरल वीडियो के आधार पर दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं, ताकि मामले की सच्चाई सामने आ सके।

सांप्रदायिक तनाव और सामाजिक माहौल

मचांदूर गांव में इस घटना ने सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया है। जहां एक ओर निषाद परिवार और बजरंग दल इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे स्थानीय समुदायों के बीच पुराने विवादों का हिस्सा मान रहे हैं।

सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं, और कई लोग इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में दुर्ग जिले में धार्मिक स्थलों और प्रतीकों से जुड़े विवाद सामने आए हैं।

उदाहरण के लिए, अगस्त 2025 में भिलाई के घासीदास नगर में शिव और हनुमान मंदिर में तोड़फोड़ की घटना ने भी बजरंग दल और स्थानीय लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया था। उस मामले में भी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक आरोपी को गिरफ्तार किया था।

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