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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के कोमटपल्ली में नक्सलियों ने 64 फीट ऊंचा एक स्मारक बनाया था। यह स्मारक नक्सली नेता अक्की राजू की याद में था। वह 50 लाख रुपए का इनामी था। साल 2022 में नक्सलियों ने इस स्मारक के पास शहीदी सप्ताह मनाया था। इसमें 10 हजार से ज्यादा नक्सली शामिल हुए थे।
फोर्स ने इस स्मारक को बम धमाके से ढहा दिया। इससे पहले जवानों और अधिकारियों ने इसके साथ सेल्फी भी ली। पुलिस का दावा है कि नक्सली अब अपने सबसे सुरक्षित इलाकों में भी कमजोर पड़ चुके हैं।
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शहीदी सप्ताह और नक्सलियों की गतिविधियां
नक्सलियों ने इस स्मारक को 3 अगस्त 2022 को बनाया था। उस समय यहां तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के कई बड़े नक्सली नेता और 10 हजार से ज्यादा ग्रामीण जमा हुए थे। इन नेताओं में दामोदर, सुजाता, विकास और कई अन्य प्रमुख नक्सली शामिल थे।
नक्सली हर साल 27 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाते हैं, जिसमें मारे गए नक्सलियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। यह आयोजन पहले तेलंगाना या महाराष्ट्र बॉर्डर पर होता था, लेकिन 2022 में नक्सलियों ने बीजापुर जिले को चुना। यह इलाका उन्हें अपना सबसे सुरक्षित ठिकाना माना जाता था।
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फोर्स ने इलाके में कब्जा किया
बीजापुर के एसपी जितेंद्र यादव ने 20 दिसंबर को वाटेवागु गांव में एक जवानों का कैंप स्थापित किया। इसके बाद, 22 दिसंबर को जवानों ने कोमटपल्ली गांव पहुंचकर नक्सल स्मारक के चारों ओर बम बिछाए। कुछ ही सेकंड में यह स्मारक ध्वस्त कर दिया गया। इस कार्रवाई के बाद फोर्स ने नक्सलियों के इस मजबूत गढ़ पर कब्जा जमा लिया है।
अक्की राजू की कहानी
अक्की राजू का असली नाम हरगोपाल था। वह 1958 में आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के पलनाड़ क्षेत्र में जन्मा था। उसके पिता एक शिक्षक थे, और हरगोपाल ने पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। 1978 में, वह नक्सलियों के संपर्क में आया और 1982 में पूरी तरह से नक्सली संगठन में शामिल हो गया।
अक्की राजू ने छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में नक्सलियों का नेतृत्व किया। वह कई सालों तक नक्सल संगठन में उच्च पदों पर रहा। उसकी किडनी की बीमारी के कारण वह लंबे समय से इलाज करवा रहा था।
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नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई और उनका पतन
छत्तीसगढ़ सरकार ने अक्की राजू पर 50 लाख रुपये का इनाम रखा था। अक्की राजू की शादी नक्सली सिरीशा से हुई थी और उनका एक बेटा मुन्ना उर्फ पृथ्वी था, जो 2018 में रामगुड़ा मुठभेड़ में मारा गया। अक्की राजू ने दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा के सीमांत इलाकों में नक्सलियों की गतिविधियों का नेतृत्व किया, लेकिन 3 साल पहले उसकी मौत हो गई।
अब, नक्सली अपनी सबसे सुरक्षित इलाकों में भी कमजोर पड़ रहे हैं। पुलिस का कहना है कि नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी रहेगी, ताकि इन खतरनाक गतिविधियों पर काबू पाया जा सके।
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