पूर्व आईएएस टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत, नहीं आ पाएंगे जेल से बाहर

छत्तीसगढ़ में 2200 करोड़ के शराब घोटाले के आरोपी पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जमानत में पासपोर्ट जमा कराने समेत कुछ शर्तें भी हैं।

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Arun tiwari
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Former IAS Tuteja gets bail from Supreme Court will not be able to come out of jail the sootr
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रायपुर : छत्तीसगढ़ में हुए 2200 करोड़ के शराब घोटाले के आरोपी पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जमानत में पासपोर्ट जमा कराने समेत कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। मंगलवार को जमानत आवेदन पर सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच में हुई।  अनिल टुटेजा को ED के केस में राहत मिली है लेकिन शराब घोटाले मामले में EOW भी जांच कर रही है। इस केस में वो जेल में बंद हैं, ऐसे में वे जमानत के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। ईडी ने अपनी जांच में अनिल टुटेजा को शराब घोटाले का मुख्य किंगपिन बताया है। 

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इसलिए मिली जमानत 

सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 2 अप्रैल 2025 को विशेष अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें टुटेजा के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। हाई कोर्ट ने कहा था कि आरोप तय करने से पहले सरकार से अनुमति (CrPC की धारा 197 के तहत) नहीं ली गई थी। धारा 197 के अनुसार, यदि कोई सरकारी अफसर अपने कार्य के दौरान किसी अपराध का आरोपी है, तो कोर्ट में मुकदमा चलाने के लिए पहले सरकार से मंजूरी लेना जरूरी होता है।

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पासपोर्ट करना होगा सरेंडर

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को आदेश दिया कि टुटेजा को जमानत की प्रक्रिया के लिए संबंधित कोर्ट में पेश किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि विशेष न्यायाधीश की अदालत अभी खाली है। इसके अलावा शर्तों में, पासपोर्ट सरेंडर करना और अदालत में सुनवाई के दौरान पूरा सहयोग करना शामिल है। 

ED की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि, अनिल टुटेजा एक वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। जो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने कोर्ट में टुटेजा पर नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले में भी शामिल होने का आरोप लगाया और कहा कि वे गवाहों को प्रभावित करने और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए सक्षम हैं।

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ये है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।

शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के प्रति केस के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती थी। बेहिसाब देसी शराब की बिक्री हुई। इस मामले में सरकारी खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी रकम सिंडिकेट ने हड़प ली। शराब बनाने वालों से कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी दिलाने के लिए रिश्वत ली जाती थी।

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