कर्मचारियों के वेतन पर छत्तीसगढ़ सरकार की मुफ्त योजना हावी, बजट 30 प्रतिशत तक कम

छत्तीसगढ़ सरकार की मुफ्त योजनाएं कर्मचारियों पर भारी पड़ रही हैं। सालों से सरकारें उन योजनाओं पर खर्च करती हैं जिसकी बदौलत उनकी सरकार बनी या बने रहने की संभावना होती है। इसके लिए कर्मचारियों के हिस्सा कम होता जा रहा है।

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VINAY VERMA
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Raipur. छत्तीसगढ़ सरकार की मुफ्त योजनाएं कर्मचारियों पर भारी पड़ रही हैं। सालों से सरकारें उन योजनाओं पर खर्च करती हैं जिसकी बदौलत उनकी सरकार बनी या बने रहने की संभावना होती है। इसके लिए कर्मचारियों के हिस्सा कम होता जा रहा है।

कर्मचारी बताते हैं कि पहले सालाना बजट का 30 प्रतिशत स्थापना और 10 प्रतिशत भाग उनके वेतन के लिए रहता था लेकिन अब सरकार की पॉलिसी के कारण वह 7 प्रतिशत तक आ गया। प्रदेश के 4 लाख 70 हजार कर्मचारी और पेंशनर्स के लिए ये समस्या बीते 8 सालों से हैं।

महंगाई भत्ता का एरियर्स नहीं देती सरकार

केंद्र सरकार हर साल कर्मचारियों के महंगाई भत्ता की घोषणा करती है जिसके आधार पर राज्य को भी लागू करना होता है इसमें 70 प्रतिशत केंद्र की और 30 प्रतिशत राज्य की भागीदारी होती है। यह भत्ता बाजार मूल्य आधार पर साल में 2 बार जनवरी और जुलाई में जारी होता है।

लेकिन 2017 से केंद्र इसकी घोषणा तो करती है लेकिन राज्य सरकार घोषित तिथी के अनुसार नहीं देती। कर्मचारियों की मांग पर 7-9 महीने के बाद घोषणा तो करती है लेकिन इन महीनों का एरियर्स नहीं देती।

ऐसा कर सरकार 7 से 9 महीनों की राशि बचा ले जाती है। कर्मचारियों और पेंशनर्स का हर महीने हजारों का नुकसान होता है। 

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इस साल 2 लाख करोड़ का बजट

2025-26 के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का कुल बजट 2 लाख करोड़ का है। वित्तीय वर्ष में पहले 1.65 लाख करोड़ रुपये का बजट खर्च किया गया। और अब अनूपूरक बजट में 35000 करोड़ खर्च करने की घोषणा है। लेकिन इसमें से 7 प्रतिशत ही कर्मचारियों के हिस्से में आता है यानि केवल 14 हजार करोड़ इसमें कर्मचारियों का वेतन और भत्ता शामिल हैं। 

क्या समस्या होती है कर्मचारियों को

पैसे की कमी के कारण शासन प्रदेश में लगातार रिटायर होने वाले पदों को भर नहीं रही है। कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि वर्तमान मे समय में कम से कम 35 प्रतिशत अधिकारी-कर्मचारियों की कमी है।

जिससे कर्मचारियों पर काम का अतिरिक्त दबाव होता है, और जनता को शासकीय सुविधा मिलने में देरी होती है। हालांकि इससे सरकार के पैसे जरुर बचते हैं। सरकार न तो रिक्त पदों पर भर्ती कर रही और न ही सर्वे करवा रहीं। 

प्रमुख विभागों के लिए आवंटन 
कृषक उन्नति योजना में 10,000 करोड़
महतारी वंदन योजना में 5,500 करोड़
प्रधानमंत्री आवास में 8,369 करोड़ 

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मुफ्त योजनाएं भारी

मुफ्त योजनाएं, जैसे कि कृषक उन्नति योजना, महतारी वंदन योजना, आवास योजनाओं जैसी योजनाओं पर राज्य लगभग 40 हजार करोड़ रुपए खर्च कर देती है। जो जनता को मिलने वाली सहूलियत पर भारी पड़ रही हैं।

इन योजनाओं के लिए सरकार अधिक पैसा आवंटित कर रही है, जिससे कर्मचारियों और पेंशनर्स के भत्ते के बजट में कटौती करनी पड़ रही है।  

आंदोलन करने वाले हैं

छग अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा का कहना है कि सरकार की मुफ्त योजनाएं अच्छी हैं, लेकिन हमारी भी कई मांगें हैं जो मोदी की गारंटी में भी शामिल थीं। बिहार जैसे राज्यों में भी महंगाई भत्ता या तो केंद्रिय कर्मचारियेां के साथ लागू होता है या एरियर्स के साथ दिया जाता है।

इसके लिए बिहार ने बाकायदा विधानसभा में संकल्प भी पारित किया हुआ है। ऐसी ही कई मांगे हैं इसके खिलाफ हम आंदोलन करने वाले हैं।

आर्थिक तंगी से जूझ रहे

स्वास्थ्य विभाग से रिटायर कर्मचारी विद्या भूषण दूबे बताते हैं कि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी और उसका परिवार आर्थिक तंगी से जूझता रहता है। ऐसे में सरकारों के ध्यान नहीं देने से पीड़ा होती है। 8 साल से एरिसर्य नहीं मिलना कितनी बड़ी समस्या है लेकिन सरकारों का ध्यान तो मुफ्त की योजना बांटने में ज्यादा रहता है।

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