गांव को लगी काल की नजर... महीनेभर में 8 मौत, संकट टालने पूजा-पाठ

गरियाबंद के फूलझर गांव में बीते एक महीने के अंदर 8 ग्रामीणों की अचानक मौत होने से दहशत का माहौल है। लगातार हो रही मौत के भय की वजह से गांव में न होलिका दहन हुआ और न ही रंग-गुलाल उड़ा।

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Marut raj
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Gariaband District District Phuljhar Village Death :  गरियाबंद जिले के फूलझर गांव में बीते एक महीने के अंदर 8 ग्रामीणों की अचानक मौत होने से दहशत का माहौल है। इन रहस्यमयी मौत के कारण गांव के लोग इतने भयभीत हैं कि उन्होंने इस बार पारंपरिक रूप से मनाया जाने वाला होली पर्व भी नहीं मनाया।

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न होलिका दहन हुआ और न ही रंग-गुलाल उड़ा

जानकारी के अनुसार गांव में न होलिका दहन हुआ और न ही रंग-गुलाल उड़ा। लगातार हो रही मौत के भय की वजह से गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना कर संकट टालने की प्रार्थना की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गांव में लगातार हो रही मौत से चिंतित ग्रामीणों ने होली पर सभी कामकाज बंद रखे और पूरे विधि-विधान के साथ ग्राम के देवालय में विशेष पूजा-अर्चना की।

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ग्रामीणों ने एकजुट होकर गांव के प्रमुख चौक-चौराहों पर शोभायात्रा निकाली और विभिन्न मंदिरों में पूजा-पाठ किया। पूजा के दौरान महिलाएं पीली साड़ी पहनकर सिर पर मंगल कलश लिए नजर आईं। वहीं, पुरुष धोती-कुर्ता पहनकर भजन-कीर्तन करते हुए गांव के शीतला मंदिर पहुंचे। यहां सभी ने मिलकर पूजा की और संकट टालने की मिन्नतें मांगीं। इसके बाद गांव के हनुमान मंदिर में सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया गया।

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FAQ

फूलझर गांव में हाल ही में कितनी मौतें हुई हैं और इसका क्या कारण बताया जा रहा है ?
फूलझर गांव में बीते एक महीने के अंदर 8 ग्रामीणों की अचानक मौत हुई है, जिसे रहस्यमयी बताया जा रहा है। ग्रामीणों का मानना है कि यह मौतें किसी संकट के कारण हो रही हैं, जिससे वे भयभीत हैं।
इस बार फूलझर गांव में होली कैसे मनाई गई ?
फूलझर गांव में इस बार होली पारंपरिक रूप से नहीं मनाई गई। गांव में न तो होलिका दहन हुआ और न ही रंग-गुलाल उड़ाए गए। ग्रामीणों ने लगातार हो रही मौतों के भय के कारण सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना की और संकट टालने की प्रार्थना की।
फूलझर गांव के लोगों ने किस प्रकार की पूजा-अर्चना की ?
गांव के लोग सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना करने के लिए एकजुट हुए। उन्होंने प्रमुख चौक-चौराहों पर शोभायात्रा निकाली और विभिन्न मंदिरों में पूजा की। महिलाएं पीली साड़ी पहनकर मंगल कलश लेकर पूजा करतीं, जबकि पुरुष धोती-कुर्ता पहनकर भजन-कीर्तन करते हुए मंदिरों में पहुंचे।

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