पीएम आवास में बड़ा घोटाला, जियो टैगिंग में हो गया खेल

गरियाबंद। प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत जिले में की गई जियो टैगिंग में घोटाला सामने आया है। इस घोटाले से सामने आने से प्रशासनिक हलके में भूचाल आ गया है।

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Pravesh Shukla
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गरियाबंद। प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत जिले में की गई जियो टैगिंग में घोटाला सामने आया है। इस घोटाले से सामने आने से प्रशासनिक हलके में भूचाल आ गया है।

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सरकार ने उठाए सख्त कदम

इस मामले का खुलासा होने के बाद सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। इस घोटाले को ही आधार बनाकर दो दिन पहले सरकार ने गरियाबंद जिला पंचायत के तत्कालीन CEO जी आर मरकाम को पद से हटा दिया है। उनकी जगह सारंगढ़ से प्रखर चंद्राकर को गरियाबंद का नया जिला पंचायत सीईओ बनाया गया है।

 

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      सुर्खियों में थे मरकाम

हैरान करने वाली बात यह है कि जीआर मरकाम को इस बार किसी और पद की जिम्मेदारी तक नहीं दी गई, जो प्रशासन की नाराज़गी का साफ संकेत है । जीआर मरकाम पहले से ही सुर्खियों में थे । ग्राम पंचायत सचिवों के सिंगल सिंगल तबादले को लेकर उनके फैसलों की कई बार आलोचना हुई ।

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  • पीएम आवास योजना में घोटाला: गरियाबंद जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जियो टैगिंग में भारी गड़बड़ी पाई गई, जहाँ बिना निर्माण के मकानों को पूरा दिखाया गया और एक ही मकान की तस्वीर 15 बार अलग-अलग लाभार्थियों के नाम पर अपलोड की गई।

  • प्रशासन में बड़ा बदलाव: इस घोटाले के बाद सरकार ने तत्कालीन जिला पंचायत CEO जी आर मरकाम को हटा दिया और उनकी जगह प्रखर चंद्राकर को नियुक्त किया।

  • मरकाम पहले से विवादों में: जीआर मरकाम पहले भी विवादों में रहे हैं, खासकर ग्राम पंचायत सचिवों के तबादलों को लेकर, और इस बार उन्हें कोई नई जिम्मेदारी नहीं दी गई, जो प्रशासन की नाराज़गी को दर्शाता है।
  • जांच में खुलासा: देवभोग, मैनपुर और धुर्वागुड़ी जैसे क्षेत्रों में ज्यादा गड़बड़ी मिली, और 29 पंचायतों की जांच में यह फर्जीवाड़ा सामने आया।

  • आगे क्या होगा: सरकार ने सभी जिलों को आदेश दिया है कि अब हर जियो टैगिंग का फील्ड वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाएगा, और जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी।

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आगे क्या होगा ?

सरकार ने सभी जिलों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि हर जियो टैगिंग का फील्ड वेरिफिकेशन अनिवार्य रूप से किया जाएगा। इसके साथ ही समन्वयक की सेवा समाप्त करने के बाद दूसरे जिम्मेदारों की सूची भी तैयार की जा रही है। गरियाबंद का यह घोटाला सिर्फ डिजिटल जालसाजी का मामला नहीं रहा । 

 

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