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छत्तीसगढ़ में जमीन मालिकों और किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने रजिस्ट्री और नामांतरण की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया। इसके बावजूद ऋण पुस्तिका प्राप्त करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदेश में लगभग 25,000 से अधिक मामले लंबित हैं। इसके लिए किसानों को तहसील और पटवारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इस खबर को 'द सूत्र' ने प्रमुखता से प्रसारित किया। सरकार ने 'द सूत्र' की खबर का संज्ञान लेते हुए अब पुस्तिका को भी ऑनलाइन उपलब्ध कराने की तैयारी शुरू कर दी है।
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क्यों हो रही है परेशानी?
जमीन की रजिस्ट्री और नामांतरण की प्रक्रिया को ऑनलाइन करने से जहां प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ी है, वहीं पुस्तिका अभी भी मैनुअल तरीके से ही जारी की जा रही है। इसके लिए जमीन मालिकों को तहसील कार्यालय में आवेदन देना पड़ता है, जहां नामांतरण की कॉपी से मिलान के बाद ही दस्तावेज जारी किया जाता है।
इस प्रक्रिया में देरी और जटिलताओं के कारण कई जगहों पर किसानों को पटवारी और तहसील कार्यालयों के बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कुछ क्षेत्रों से यह भी शिकायतें सामने आई हैं कि ऋण पुस्तिका के लिए अनुचित वसूली की जा रही है।
खासकर उन किसानों को ज्यादा परेशानी हो रही है, जो खेती-किसानी के लिए जमीन खरीद रहे हैं। बिना पुस्तिका के वे सहकारी समितियों में पंजीयन नहीं करवा पा रहे, जिसके कारण खाद, बीज, और फसल बीमा जैसी सुविधाओं का लाभ लेने में बाधा आ रही है।
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राजनांदगांव में किसानों की शिकायत
हाल ही में राजनांदगांव जिले के किसानों ने जिला प्रशासन के सामने पुस्तिका की अनुपलब्धता की शिकायत दर्ज की। किसानों का कहना है कि इस दस्तावेज के बिना उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ लेने और फसल बीमा के लिए पंजीयन कराने में मुश्किल हो रही है। जिले में पुस्तिका की कमी एक बड़ी समस्या बन गई है, और यह स्थिति पूरे प्रदेश में देखी जा रही है।
ऑनलाइन और मैनुअल सिस्टम में तालमेल की कमी
विशेषज्ञों के अनुसार, रजिस्ट्री और नामांतरण का काम ऑनलाइन होने के बावजूद, पुस्तिका जारी करने की जिम्मेदारी पटवारी और तहसीलदारों पर है, जो अलग-अलग विभागों के अंतर्गत आते हैं। ऑनलाइन नामांतरण में नाम और हस्ताक्षर की स्पष्टता को लेकर बार-बार शिकायतें मिल रही हैं, जिसके कारण पटवारी और तहसीलदार दस्तावेज जारी करने में हिचक रहे हैं। इस डर से कि कहीं उनका नाम अनियमितता में न फंस जाए, वे अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं, जिससे प्रक्रिया में और देरी हो रही है।
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सरकार का आश्वासन, जल्द ऑनलाइन होगी सुविधा
इस मुद्दे को द सूत्र जैसे समाचार माध्यमों द्वारा प्रमुखता से उठाए जाने के बाद सरकार ने त्वरित कदम उठाने का फैसला किया है। राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने आश्वासन दिया है कि पुस्तिका की कोई कमी नहीं है और मांग के आधार पर सभी क्षेत्रों में इसे उपलब्ध कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा, "लोगों की परेशानी को देखते हुए जल्द ही पुस्तिका को ऑनलाइन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इससे जमीन मालिक किसी भी चॉइस सेंटर से आसानी से दस्तावेज प्राप्त कर सकेंगे और उन्हें दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।"
ऑनलाइन सुविधा से क्या होगा बदलाव?
ऋण पुस्तिका की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होने के बाद जमीन मालिकों को तहसील या पटवारी कार्यालयों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। वे चॉइस सेंटर या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सीधे दस्तावेज डाउनलोड या प्राप्त कर सकेंगे।
इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि अनुचित वसूली और प्रशासनिक देरी की शिकायतें भी कम होने की उम्मीद है। साथ ही, किसानों को खाद-बीज, फसल बीमा, और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में आसानी होगी।
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