छत्तीसगढ़ में विज्ञापन की लूट...लूट सके तो लूट...करोड़ों का खेल

छत्तीसगढ़ सरकार की ब्रांडिंग के लिए बना संवाद लोगों के टैक्स से आया पैसा दोनों हाथों से लुटा रहा है। इस लुटाई में ये भी नहीं देखा जा रहा है कि कौन पात्र है और कौन अपात्र।

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Arun tiwari
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छत्तीसगढ़ में विज्ञापनों की लूट मची हुई है। संवाद की कृपा से महीनों में करोड़ों का प्रसाद बंट रहा है। हैरानी की बात तो ये है कि महीने में लाखों के विज्ञापन उन मैग्जीन को दिए जा रहे हैं जो या तो प्रदेश के बाहर की हैं या फिर मुंह दिखाई के लिए ही छपती हैं।

कुछ न्यूज पोर्टल ऐसे हैं जो अस्तित्व में ही नहीं है फिर भी संवाद की तरफ से फंड बराबर जा रहा है। प्रदेश में भले ही युवाओं के रोजगार का कोई इंतजाम न हो लेकिन उत्तरप्रदेश की प्रतियोगिता दर्पण के छपने की खूब चिंता है। वहीं दिल्ली की वीकली मैग्जीन पर भी छत्तीसगढ़ सरकार की विशेष कृपा है। 

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विज्ञापन की लूट है,लूट सके तो लूट 

छत्तीसगढ़ सरकार की ब्रांडिंग के लिए बना संवाद लोगों के टैक्स से आया प्रदेश का पैसा दोनों हाथों से लुटा रहा है। इस लुटाई में ये भी नहीं देखा जा रहा है कि कौन पात्र है और कौन अपात्र। प्रदेश के बाहर की पत्रिकाओं को विज्ञापन के नाम पर पैसा दिया जा रहा है। जो पोर्टल अस्तित्व में ही नहीं हैं उनको भी बराबर पैसा जा रहा है। यह सारी जानकारी सरकारी दस्तावेजों से ही मिली है।

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द सूत्र के पास यह सारे दस्तावेज मौजूद हैं। अकेले अगस्त महीने में ही न्यूज पोर्टल को 1 करोड़ 17 लाख का फंड बांटा गया है। वहीं नाम के लिए छप रहीं पत्रिकाओं को 50 हजार रुपए महीने फिक्स हैं इसके अलावा महतारी वंदन और अन्य योजनाओं के प्रचार के नाम पर लाखों रुपए महीने अलग से दिए जा रहे हैं। अब इन पत्रिकाओं को कौन पढ़ता है इस पर भी सवाल है। 

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इस तरह हो रही है लूट 

_ आगरा से छपने वाली प्रतियोगिता दर्पण को 5 सितंबर 2024 को 26 लाख 70 हजार रुपए दिए गए। 

_ ग्वालियर से छपने वाले स्वदेश समाचार पत्र को सितंबर में 1 करोड़ 14 लाख का भुगतान किया गया। 

_ दिल्ली की आउटलुक पत्रिका को नवंबर में 88 लाख रुपए का भुगतान किया गया। 

_ भिलाई की पत्रिका राष्ट्रबोध को जुलाई में 5 लाख और सितंबर में भी 5 लाख रुपए रुपए दिए गए। 

_ दिल्ली से छपने वाली पत्रिका उदय इंडिया को अगस्त में 20 लाख रुपए दिए गए। 


पोर्टल में महीने की फिक्स है राशि 

संवाद ने पोर्टल के लिए फिक्स फंड तय किया हुआ है। यह फंड हर महीने दिया जाता है। यह राशि पोर्टल की पहुंच के उपर तय की गई है। यह राशि 10 हजार से लेकर 26 लाख रुपए महीने तक है। यानी दस हजार,बीस हजार,पच्चीस हजार,पचास हजार,एक लाख,दस लाख और छब्बीस लाख रुपए तक अलग अलग संस्थाओं को दी जाती है।

कुछ पोर्टल तो ऐसे हैं जो चालू नहीं हैं लेकिन उनके खाते में उनकी फिक्स राशि पहुंच जाती है। इसके अलावा जो सरकारी विज्ञापन निकलते हैं उनकी राशि अलग से दी जाती है। यह मामला लाखों में पहुंचता है। सिर्फ अगस्त 2024 के एक महीने में पोर्टल को 1 करोड़ 17 लाख रुपए का फंड दिया गया है। यानी जनता की कमाई भर भर के लुटाई जा रही है। महीने के बड़े फंड लेने वाले कुछ नाम हम आपको बताते हैं। 

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इस तरह की गई है महीने की फिक्स राशि 

नवभारत टाइम्स - 26 लाख 47 हजार
टाइम्स ऑफ इंडिया - 26 लाख 47 हजार
इंडियन एक्सप्रेस - 11 लाख 76 हजार
छत्तीसगढ़ राज्य डॉट कॉम - 1 लाख रुपए
आईबीसी - 88 हजार 235
लल्लूराम - 88 हजार 235
जनता का रिश्ता डॉट कॉम - 88 हजार 235
हरिभूमि डॉट कॉम - 88 हजार 235
एनडब्ल्यू न्यूज 24 - 50 हजार
आज का दिन न्यूज डॉट कॉम - 50 हजार रुपए
द इंक क्वेस्ट डॉट इन - 50 हजार रुपए
अपनी सरकार डॉट कॉम - 50 हजार
यंग इंडिया लाइव - 40 हजार रुपए
भारत जनमत डॉट इन - 10 हजार रुपए - चालू नहीं
आपका न्यूज डॉट कॉम - 10 हजार रुपए - चालू नहीं

 

जिन पत्रिकाओं का अता-पता नहीं उनको भी विज्ञापन 

छत्तीसगढ़ सरकार 300 से ज्यादा पत्रिकाओं को महीने के विज्ञापन देती है। जानकारी के अनुसार इनमें से 250 पत्रिकाएं या तो छपती नहीं है या फिर नाम के लिए छापी जाती हैं। लेकिन पैसा उनको बराबर मिलता है। हम आपको कुछ ऐसी मैग्जीन के नाम बता रहे हैं जो शायद ही आपने सुनी होंगी। 

ये हैं नाम की पत्रिकाएं
_ रणभूमि सत्य की
_ द नारद एंगल
_ साक्षर समाज
_ सस्टेनेबल थ्योरी
_ उदंती
_ राज समक्ष
_ नारी की आवाज
_ सुनो खबर
_आम आदमी
_ माधव एक्सप्रेस


तो कुल मिलाकर यह विज्ञापन की लूट है जो बिना सोचे समझे लुटाई जा रही है। कुछ की अधिकारियों से सेटिंग है तो कुछ की बीजेपी नेताओं से। और यही सेटिंग और कमीशन के दम पर यह पूरा करोबार चल रहा है।

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