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छत्तीसगढ़ में धान ऐसा मुद्दा है जो सिर्फ खरीदी-बिक्री का विषय नहीं है बल्कि ये सरकार बनाने और गिराने का माद्दा भी रखता है। यही कारण है कि सरकार धान की खरीदी को बहुत गंभीरता से लेती है। इस बार भी यही हुआ और सरकार ने धान खरीदी का रिकॉर्ड बना लिया। पिछली बार से ज्यादा धान का उत्पादन भी हुआ और खरीदी भी।
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सरकार ने इसकी खूब वाहवाही लूटी। धान का उत्पादन बढ़ने का कारण वो सरकार बनना था जिसने धान को 3100 सौ रुपए क्विंटल खरीदने का वादा किया था। और ये वादा भी कोई ऐसा वैसा नहीं बल्कि मोदी की गारंटी था। अब इस धान खरीदी के रिकॉर्ड ने सरकार को मुश्किल में डाल दिया है।
इस परेशानी से निपटने के लिए सरकार ने केंद्रीय पूल में धान का कोटा बढ़ाने की मांग की है लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने इसकी हामी नहीं भरी है। प्रदेश सरकार के पास एक तो इतनी धार रखने की जगह नहीं है,वहीं धान को खरीदने में सरकार का खजाना खाली हो गया है। अब सरकार के सामने स्थिति ये है कि करें तो क्या करें।
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बंपर धान खरीदी से परेशान सरकार
इस बार सरकार ने भले ही धान खरीदी का रिकॉर्ड बना लिया हो लेकिन केंद्रीय पूल का कोटा न बढ़ने से सरकार की परेशानी बढ़ गई है। सरकार ने इस साल 150 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की है। कस्टम मिलिंग के बाद इससे 107 लाख टन चावल निकलने का अनुमान है। प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को 17 लाख टन अधिक धान केंद्रीय पूल में लेने का प्रस्ताव भेजा है।
केंद्रीय पूल का कोटा नहीं बढ़ने से चावल को रखने और उसे खपाने को लेकर सरकार बेहद चिंतित है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ को केंद्रीय पूल में 70 लाख टन चावल की अनुमति है। यदि सरकार का प्रस्ताव माना जाता है तो प्रदेश का केंद्रीय कोटा बढ़कर 87 लाख टन हो जाएगा। इससे सरकार को बहुत राहत मिलेगी। एक तो उसका भंडारण कम हो जाएगा और उसे केंद्र से अतिरिक्त राशि भी मिल जाएगी। लेकिन फिलहाल मोदी सरकार ने इसकी हामी नहीं भरी है जिससे विष्णु सरकार परेशान है।
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मोदी की गारंटी ने बढ़ाया उत्पादन
इस बार प्रदेश में धान का रिकॉर्ड उत्पादन मोदी की गारंटी वजह से ही हुआ है। इस साल सरकार ने 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा। किसानों को 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान का भुगतान करने की मोदी गारंटी के कारण धान उत्पादन का रकबा बढ़ गया। पिछली बार प्रदेश में 38 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई की गई थी। लेकिन इस बार रकबा बढ़ा और उत्पादन भी बढ़ गया।
27 लाख किसानों ने धान बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जिसमें से 25 लाख से ज्यादा किसानों का धान सरकार ने खरीदा। केंद्रीय पूल का कोटा नहीं बढ़ने से सरकार के सामने भंडारण की समस्या आ जाएगी। प्रदेश में गोदामों की क्षमता सीमित है।
यदि इसका भंडारण नहीं हुआ तो बारिश में बड़ी मात्रा में धान खराब हो जाएगी। सरकार के सामने दूसरी समस्या ये आएगी कि उसका बजट बिगड़ जाएगा। धान खरीदी के लिए कर्ज के बाद उसकी कस्टम मिलिंग कराने के लिए ज्यादा बजट रखना पड़ेगा। केंद्र सरकार यदि केंद्रीय पूल में चावल नहीं लेगी तो राज्य सरकार को पीडीएस के लिए खुद संसाधन जुटाने होंगे जिससे दूसरी योजनाओं पर असर पड़ेगा।
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छत्तीसगढ़ में धान बनाती है सरकार
- धान हमेशा छत्तीसगढ़ की सियासत के केंद्र में रही है।
_ विधानसभा चुनाव 2008 में बीजेपी ने धान पर 270 रूपए से बढ़ाकर 300 रूपए बोनस देने की घोषणा की और 50 सीटों के साथ एक फिर सरकार बनाई।
_ विधानसभा चुनाव 2013 में बीजेपी ने घोषणा पत्र में 2400 रुपए प्रति क्विंटल की कीमत पर धान खरीदी का वादा किया। वहीं, कांग्रेस पार्टी ने 2000 रूपए प्रति क्विंटल पर धान खरीदी की घोषणा की। धान के दाम की घोषणा के आधार पर एक बार फिर राज्य में बीजेपी की सरकार बनी।
_ विधानसभा चुनाव 2018 के पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 2500 रूपए प्रति क्विंटल की कीमत पर धान खरीदी के साथ कर्जमाफी का वादा किया और सरकार बना ली। वहीं, बीजेपी ने धान खरीदी पर कोई घोषणा नहीं की थी।
_ विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी ने धान के मायने समझे और धान खरीदी 3100 रूपए करने की घोषणा की। राज्य में फिर बीजेपी की सरकार बन गई।