सरकार डेढ़ महीने में जान पाई 32 हजार वाले जग की कीमत,अब 2 लाख की टीवी का 10 लाख में खरीदी का कांट्रेक्ट

छत्तीसगढ़ में जेम पर सरकारी खरीदी में भ्रष्टाचार का गेम हो रहा है। कभी 32 हजार में स्टील के जग की कीमत पर डील हो जाती है तो कभी पौने दो लाख की 86 इंच की टीवी यानी इंट्रेक्टिव पैनल को 10 लाख में खरीदी का कांट्रेक्ट हो जाता है।

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Arun Tiwari
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Government was able to know the price of 32 thousand rupees jug in one and a half month the sootr
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रायपुर : छत्तीसगढ़ में सरकारी खरीदी में भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है। यह पूरा जेम पर गेम है। कभी 32 हजार में स्टील के जग की कीमत पर डील हो जाती है तो कभी पौने दो लाख की 86 इंच की टीवी यानी इंट्रेक्टिव पैनल को 10 लाख में खरीदी का कांट्रेक्ट हो जाता है। छत्तीसगढ़ में सरकारी खरीदी में कॅरप्शन का कांट्रेक्ट हो रहा है।

कांग्रेस ने कहा कि आदिवासियों के पैसों पर भ्रष्टाचार कर सरकार 32 हजार का स्टील का जग खरीद रही है। मामला बढ़ा तो सरकार की तरफ से सफाई आ गई। आदिवासी विभाग ने कहा कि 32 हजार के जग की बात भ्रामक है और यह खरीदी तो रद्द कर दी गई थी। द सूत्र ने इस मामले की पूरी पड़ताल की। आखिर दोनों में से झूठ कौन बोल रहा है सरकार या कांग्रेस।

इस पूरे मामले में बहुत सवाल खड़े हो रहे हैं। जिस सरकारी विभाग ने इस जग को खरीदने का ऑर्डर दिया वो आखिर डेढ़ महीने में क्यों जान पाया कि यह जग 32 हजार वाला है। हैरानी की बात ये भी है कि जो एजेंसी यह जग सप्लाई करने वाली थी वो असल में है ही नहीं। दिया गया पता और फोन नंबर दोनों गलत हैं। 

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यह है पूरा मामला 

सबसे पहले हम आपको जग वाला पूरा मामला बताते हैं ताकि आपको ज्यादा बेहतर तरीके समझ में आ जाए जो हम बताने वाले हैं। कांग्रेस ने अपने एक्स हैंडल पर जैम के वो दस्तावेज पोस्ट किए जो बलौदाबाजार के आदिवासी विकास विभाग की तरफ खरीदी का कांट्रेक्ट था। इन दस्तावेजों में आदिवासी छात्रावासों के लिए 160 स्टील के  जग की खरीदी का ऑर्डर था। इस खरीदी में एक जग की कीमत 32 हजार रुपए बताई गई। यानी 160 स्टील जग की  कीमत 51 लाख रुपए थी।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि बीजेपी सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है। उन्होंने कहा यह वर्ल्ड कप नहीं, विष्णुदेव का स्टील जग है। उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासी बच्चों के पैसे को भी नहीं छोड़ा गया है।  बैज ने आगे कहा, क्या 32 हजार रुपए में एक जग खरीदा जा रहा है, क्या यह कोई जादुई जग है? सोने या तांबे का जग है।

कांग्रेस ने प्रदेश में आदिवासी छात्रावासों की जांच की मांग की। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद सरकार की तरफ से सफाई आई जिसमें इस जानकारी को भ्रामक और जग की खरीदी रद्द करने की बात कही गई।

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यह जानकारी भ्रामक कैसे है सरकार

सहायक आयुक्त आदिवासी विकास सूरजदास मानिकपुरी ने कहा कि तत्कालीन सहायक आयुक्त संजय कुर्रे के द्वारा जिले के छात्रावासो के लिए जेम पोर्टल के माध्यम से 160 नग वाटर जग खरीदी हेतु प्रस्तावित किया गया था किन्तु दर अधिक होने के कारण विभाग द्वारा उक्त प्रस्ताव फ़रवरी 2025 में ही निरस्त कर दिया गया है । इससे स्पष्ट है कि आदिवासी विकास विकास विभाग बलौदाबाजार द्वारा वाटर जग क़ी खरीदी नहीं क़ी गई है।  

उन्होंने वाटर जग खरीदी सम्बंधित सोशल मीडिया में प्रसारित सामग्री क़ो भ्रामक बताते हुए असत्य  बताया है। सबसे पहले तो यहीं सवाल खड़ा होता है। यह जानकारी भ्रामक कैसे हुई जबकि सरकारी विभाग ही मान रहा है कि एक जग की कीमत 32 हजार रुपए थी। इसीलिए इस खरीदी को रद्द किया गया।

यह भी कहा गया कि मीडिया में फैली यह खबर गलत है। यहां भी यही सवाल है कि जब जैम के कागज सही हैं, आपका खरीदी कांट्रेक्ट सही है तो फिर खबर गलत कहां से हुई। खबर को भ्रामक और गलत कहने की जगह विभाग को यह मानना चाहिए था कि 32 हजार में स्टील के जग की खरीदी हो रही थी जो रद्द कर दी गई। 

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डेढ़ महीने में क्यों दिखाई दिया 32 हजार का जग 

अब दूसरी बात बताते हैं। द सूत्र की पड़ताल में ये भी सामने आया है कि यह अकेला जग नहीं था बल्कि एक सेट था जिसमें जग, चम्मच, कटोरी, लोटा, गिलास जैसे 12 आइटम थे। इस पूरे सेट की कीमत करीब 1200 रुपए थी। यानी इस सेट को 32 हजार में खरीदा जा रहा था। जैम पोर्टल पर स्टील जग खरीदी की डिमांड 9 जनवरी 2025 को की गई। इसकी खरीदी रद्द की गई 25 फरवरी 2025 को। तो सवाल उठता है कि 32 हजार में जग मिल रहा है यह विभाग को डेढ़ महीने बाद क्यों दिखाई दिया।

जैम पोर्टल में टेंडर फायनल होने और सप्लाई का ऑर्डर देने में 10 दिन से 21 दिन लगते हैं। यानी डेढ़ महीने तक यह प्रक्रिया चलती रही और 32 हजार में जग खरीदने की डील फायनल भी हो गई। तो आखिर डेढ़ महीने बाद खरीदी रद्द क्यों की गई। विभाग कहता है कि कीमत ज्यादा थी इसलिए इस खरीदी को रद्द कर दिया गया तो डेढ़ महीने पहले क्या यह कीमत दिखाई नहीं दी। यहां पर सवाल यह उठता है कि कहीं दाल में काला तो नहीं था और जब इस काली दाल की महक सामने आई तो खरीदी रद्द कर दी गई।  

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सप्लाई करने वाली एजेंसी फर्जी 

 इस जग को सप्लाई करने का कांट्रेक्ट श्रीराम सेल्स को मिला। इस एजेंसी का पता टिकरापारा का दिया गया था। लेकिन श्रीराम सेल्स नाम की एजेंसी उसके दिए गए पते पर है ही नहीं। जो मोबाइल नंबर दिया गया था वो अभनपुर में किराने की दुकान चलाने वाले व्यक्ति का था। संदेह ये भी है कि जीएसटी नंबर भी उसने फर्जी दस्तावेजों के सहारे लिया है। अब जीएसटी विभाग भी इसकी जांच करने लगा है। 

पौने दो लाख का टीवी 10 लाख में 

अब करॅप्शन के कांट्रेक्ट का एक और मामला बताते हैं। 32 हजार के जग के बाद एक और मामला सामने आ गया है। यह मामला सरगुजा जिले का है। यहां पर अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग पांच टीवी खरीद रहा है। यह टीवी 86 इंच की इंट्रेक्टिव पैनल डिवाइस है। इसकी सप्लाई का कांट्रेक्ट बगलामुखी इंटरप्रायजेज,बैंकठपुर,कोरिया को मिला है।

यहां पर एक टीवी की कीमत 10 लाख रुपए है और पांच टीवी 50 लाख रुपए में खरीदने का कांट्रेक्ट है। यह कांट्रेक्टर कलेक्टर और कंपनी के बीच है। जब द सूत्र ने इस कंपनी की डिवाइस की ऑनलाइन बाजार कीमत पता की तो यह डेढ़ लाख से पौने दो लाख रुपए तक की आती है। यानी पौने दो लाख की टीवी यहां पर 10 लाख रुपए में खरीद जा रही है। 

जैम में होते हैं गेम 

जैम पोर्टल को कॅरप्शन को रोकने के लिए लागू किया गया था। आजकल जैम पोर्टल में भी खरीदी पारदर्शी नहीं रही है। जानकार कहते हैं कि खरीदी में कमाई करने के लिए सप्लायर और खरीददार में पहले ही डील हो जाती है। और टेंडर के लिए इस तरह की शर्तें लगा दी जाती हैं जिनमें उनका चहेता सप्लायर ही पास हो पाता है। 

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