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छत्तीसगढ़ के म्युनिसिपल स्कूल के खेल मैदान को खिलाड़ियों के लिए सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से 32 लाख रुपये की लागत से लॉन घास लगाई गई थी, लेकिन आज वह मैदान कीचड़ का गड्ढा बनकर रह गया है। मैदान से लगभग 80% घास गायब हो चुकी है, और सुरक्षा के लिए लगाई गई लोहे की जाली भी चोरों ने चुरा ली है। रखरखाव के अभाव और विभागीय उदासीनता ने इस मैदान को खिलाड़ियों के लिए अभिशाप बना दिया है, जहां अब कीचड़, शराब की बोतलें, और असामाजिक तत्वों का कब्जा है।
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मैदान की बदहाली, घास गायब, कीचड़ का राज
म्युनिसिपल स्कूल के खेल मैदान को खिलाड़ियों के लिए आदर्श बनाने के लिए जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) के फंड से 32 लाख रुपये खर्च कर लॉन घास लगाई गई थी। उद्यानिकी विभाग को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन घास लगाने के बाद विभाग ने रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया।
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इसके बाद, बिना किसी औपचारिक रखरखाव योजना के मैदान को नगर निगम को सौंप दिया गया। नतीजा, आज मैदान की 80% घास गायब हो चुकी है, और बारिश के बाद यह कीचड़ से भरा दलदल बन गया है। खिलाड़ी अब अभ्यास के लिए मैदान का उपयोग करने में असमर्थ हैं और उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
क्यों है सुरक्षा व्यवस्था का बुरा हाल
मैदान की सुरक्षा के लिए लगाई गई लोहे की जाली को चोरों ने तोड़कर चुरा लिया, जिससे मैदान पूरी तरह असुरक्षित हो गया। मवेशी बची-खुची घास को चर रहे हैं, और रात 9 बजे के बाद मैदान असामाजिक तत्वों का अड्डा बन जाता है।
शराबखोरी, प्लास्टिक ग्लास, पानी के पाउच, और टूटी शराब की बोतलें मैदान में बिखरी रहती हैं। सुबह अभ्यास के लिए आने वाले खिलाड़ियों को पहले इन कांच की बोतलों और कचरे को साफ करना पड़ता है। कई बार असामाजिक तत्व शीशियों को तोड़कर छोड़ देते हैं।
विभागीय लापरवाही और मेंटेनेंस का अभाव
उद्यानिकी विभाग और निर्माण एजेंसी की लापरवाही ने मैदान की स्थिति को और बदतर कर दिया है। बताया जा रहा है कि निर्माण एजेंसी को कुछ राशि का भुगतान अभी बाकी है, जिसके चलते उसने रखरखाव की जिम्मेदारी से हाथ खींच लिया है। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता ने भी इस समस्या को बढ़ावा दिया है। मैदान की देखभाल के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई, और न ही सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाया गया। नतीजतन, 32 लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया यह मैदान अब खिलाड़ियों के लिए अनुपयोगी हो चुका है।
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खिलाड़ियों का आक्रोश, मांग रही जांच
मैदान की इस दुर्दशा से खिलाड़ी और स्थानीय लोग बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि डीएमएफ फंड का दुरुपयोग हुआ है, और इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद मैदान की स्थिति बद से बदतर हो गई। खिलाड़ियों का कहना है कि कीचड़ और कचरे के बीच अभ्यास करना असंभव हो गया है, और टूटी बोतलों के कारण चोट का खतरा बना रहता है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस मामले की गहन जांच हो, और दोषी अधिकारियों व एजेंसी पर कार्रवाई की जाए।
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नगर निगम और उद्यानिकी विभाग की सफाई
नगर निगम और उद्यानिकी विभाग ने इस मामले में एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश की है। उद्यानिकी विभाग का कहना है कि मैदान को निगम को सौंप दिया गया था, जबकि निगम का कहना है कि रखरखाव की जिम्मेदारी निर्माण एजेंसी की थी। दोनों पक्षों की इस खींचतान में खिलाड़ी और जनता पिस रही है।
सरकारी धन की बर्बादी, खिलाड़ियों के साथ खिलवाड़
म्युनिसिपल स्कूल के खेल मैदान की यह बदहाली न केवल सरकारी धन की बर्बादी को दर्शाती है, बल्कि खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ को भी उजागर करती है। यह मैदान उन युवा खिलाड़ियों के लिए था, जो यहां अभ्यास कर अपने सपनों को साकार करना चाहते थे, लेकिन अब उन्हें कीचड़ और कचरे के बीच संघर्ष करना पड़ रहा है। सरकार और नगर निगम को चाहिए कि इस मामले की तत्काल जांच करे, मैदान का पुनरुद्धार करे, और भविष्य में ऐसी लापरवाही को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।
प्रमुख सवाल
32 लाख रुपये की लागत से लगाई गई घास कहां गायब हो गई?
निर्माण एजेंसी और उद्यानिकी विभाग ने रखरखाव की जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई?
मैदान की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था क्यों नहीं की गई?
क्या डीएमएफ फंड का दुरुपयोग हुआ, और इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि बिना उचित रखरखाव और जवाबदेही के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट केवल धन की बर्बादी बनकर रह जाते हैं।
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