फुटबॉल मैदान के लिए बच्चों की जबलपुर कलेक्टर से गुहार, कहा- हमारा सपना न छिनने दें

जबलपुर के बिलहरी और तिलहरी क्षेत्र के बच्चों ने कलेक्टर कार्यालय में गुहार लगाई। इन बच्चों ने प्रशासन से एक फुटबॉल मैदान की मांग की। बच्चों का कहना है कि अगर मैदान नहीं मिला, तो उनका भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

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Neel Tiwari
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Photograph: (the sootr)

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JABALPUR. जबलपुर के बिलहरी और तिलहरी क्षेत्र के बच्चों ने कलेक्टर कार्यालय में गुहार लगाई। इन बच्चों ने प्रशासन से एक फुटबॉल मैदान की मांग की। बच्चों का कहना है कि अगर मैदान नहीं मिला, तो उनका भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

आर्मी ने किया ग्राउंड बंद, बच्चों की प्रैक्टिस भी बंद

बच्चों ने जबलपुर कलेक्टर को सौंपे आवेदन में बताया कि वे सभी गिलहरी कब्रिस्तान क्षेत्र स्थित ग्राउंड में सुबह-शाम दो घंटे तक निःशुल्क फुटबॉल प्रशिक्षण प्राप्त करते थे। यह ग्राउंड ही उनका अभ्यास स्थल, खेल का मैदान और उनके सपनों की पहली सीढ़ी था। मगर अब यह ग्राउंड आर्मी प्रशासन द्वारा बंद कर दिया गया है।

बच्चों ने बताया कि इस ग्राउंड को पहले सिर्फ 15 दिन के लिए बंद किया गया था और अब  और बच्चों को वहां जाने की अनुमति ही नहीं है। बच्चों ने कंट्रीब्यूशन कर ग्राउंड में जो फुटबॉल गोल पोस्ट के पोल लगाए थे वह भी निकाल बाहर कर दिए गए हैं।

दूरी वाले ग्राउंड का डर, घरवाले नहीं मानते

बिलहरी-तिलहरी क्षेत्र के इन बच्चों ने यह भी बताया कि उनके पास विकल्प के तौर पर कोई दूसरा खेल मैदान नहीं है। जो ग्राउंड उपलब्ध हैं, वे या तो बहुत दूर हैं या वहां तक पहुंचने के रास्ते में भारी ट्रैफिक और असुरक्षा के चलते कई बच्चों के माता-पिता उन्हें वहां भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। इसके कारण उनकी फुटबॉल प्रैक्टिस रुक गई है और वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

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खेल से उम्मीदें, सपनों से भरोसा

इन बच्चों में से कई ने संभागीय, राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है।  बच्चे यहां बीते लगभग 6 से 8 सालों से प्रैक्टिस करते जा रहे हैं, उनका कहना है कि अगर उन्हें अभ्यास के लिए मैदान नहीं मिलेगा, तो उनका फुटबॉल करियर अधूरा रह जाएगा। उन्होंने यह भी वादा किया कि मैदान में वे अनुशासन का पालन करेंगे, किसी भी प्रकार की ध्वनि या गंदगी नहीं फैलाएंगे और मैदान को स्वच्छ व सुव्यवस्थित बनाए रखेंगे।

“कलेक्टर सर, हमें प्लेग्राउंड दिला दो”

बच्चों की इस मासूम लेकिन गंभीर अपील ने प्रशासन का ध्यान खींचा है। उनका कहना है कि

हम फुटबॉल खिलाड़ी बनना चाहते हैं, हमारे पास प्रतिभा है, मेहनत करने का जज़्बा है, बस एक मौका चाहिए… एक मैदान चाहिए। कृपया हमें वह मैदान वापस दिला दीजिए।

क्या सुनवाई होगी इन मासूम सपनों की?

अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इन होनहार बच्चों की इस अपील को कितनी गंभीरता से लेता है। अब तिलहरी कब्रिस्तान स्थित आर्मी ग्राउंड में इन बच्चों को फुटबॉल अभ्यास की अनुमति मिलती है या फिर जबलपुर जैसे बड़े शहर में फुटबॉल खेलने के लिए बच्चों को मैदान के लिए घर से लंबा सफर तय कर भटकना पड़ेगा इसका जवाब अब इस मामले में कलेक्टर के द्वारा की जाने वाली कार्यवाई के बाद ही सामने आएगा।

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