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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में डीजे और साउंड बॉक्स से होने वाले शोर को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार ने स्वीकार किया कि शोर नियंत्रण के लिए मौजूदा कोलाहल नियंत्रण अधिनियम में कड़े प्रावधानों की कमी है और इसे प्रभावी बनाने के लिए संशोधन की आवश्यकता है। सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि इस संबंध में विधानसभा में आवश्यक प्रक्रिया शुरू की जाएगी। हाई कोर्ट ने सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए और अगली सुनवाई के लिए 18 अगस्त की तारीख तय की।
अधिनियम में सख्त नियमों का अभाव
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया गया कि कोलाहल या शोर नियंत्रण अधिनियम तो है। मगर, इस अधिनियम में सख्त नियमों का अभाव है। अधिनियम के उल्लंघन के मामलों में मात्र 500 से 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है और आरोपियों को छोड़ दिया जाता है। न तो डीजे उपकरणों की जब्ती की कोई ठोस व्यवस्था है और न ही बार-बार उल्लंघन रोकने के लिए कड़े दिशा-निर्देश मौजूद हैं। कोर्ट ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए सरकार से इस मामले में विस्तृत जवाब और कार्रवाई की योजना प्रस्तुत करने को कहा।
शोर हृदय रोगियों के लिए खतरनाक
पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने डीजे और साउंड सिस्टम के साथ-साथ लेजर और बीम लाइट से होने वाली समस्याओं पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने कहा था कि डीजे से उत्पन्न होने वाला अत्यधिक शोर हृदय रोगियों के लिए खतरनाक हो सकता है, जबकि लेजर लाइट्स आंखों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं। कोर्ट ने सरकार से इस दिशा में तत्काल कदम उठाने को कहा था। जवाब में सरकार ने बताया कि डीजे और वाहनों पर लगे साउंड सिस्टम में लेजर लाइट के उपयोग पर पहले से ही प्रतिबंध है। उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जा रहा है और बार-बार नियम तोड़ने की स्थिति में वाहनों को जब्त करने की कार्रवाई भी की जा रही है।
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हाई कोर्ट ने सरकार को दिए निर्देश
हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को निर्देश दिए कि वह शोर और लेजर लाइट से होने वाली जनहानि को रोकने के लिए प्रभावी नियम बनाए और मौजूदा कानून में आवश्यक संशोधन करे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जनता की सेहत और शांति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई में सरकार को अपनी प्रगति और कार्रवाई का ब्योरा कोर्ट के सामने पेश करना होगा।
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निगाहें अगली सुनवाई पर टिकी
यह सुनवाई न केवल शोर प्रदूषण के नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कोर्ट जनता की समस्याओं के प्रति कितना संवेदनशील है। अब सभी की निगाहें 18 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां सरकार के जवाब और प्रस्तावित संशोधनों पर चर्चा होगी।
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