छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में रिएजेंट यानी जांच उपकरण न होने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने मुख्य सचिव और सीजीएमएससी को सप्लाई और टेंडर की स्थिति पर दो सप्ताह में शपथपत्र में जवाब देने के निर्देश दिए हैं। जिला अस्पताल सहित प्रदेश के बड़े सरकारी अस्पतालों में रिएजेंट की कमी से थायराइड, खून, यूरिन जैसी जरूरी जांच न होने के मामले में हाई कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है।
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कोर्ट कमिश्नरों ने रिएजेंट की कमी बताई
चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच में शासन की ओर से रिएजेंट की कमी दूर करने टेंडर की प्रक्रिया शुरू करने की जानकारी दी गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट को जानकारी मिली कि रिएजेंट की कमी और तकनीकी दिक्कतों के कारण अभी भी अस्पतालों में जांच नहीं हो पा रही है। कोर्ट कमिश्नरों ने बताया कि बायोकेमेस्ट्री मशीन और हार्मोन एनालाइजर मशीन के रिएजेंट की कमी है।
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कोर्ट ने निगरानी रखने के दिए निर्देश
सीजीएमसी ने 19 अप्रैल 2024 को शपथ पत्र में अस्पतालों में रिएजेंट की डिमांड और सप्लाई की जानकारी दी थी। इसमें बायोकेमेस्ट्री मशीन के लिए 122 की डिमांड में केवल 36 की सप्लाई की गई थी, वहीं हार्मोन एनालाइजर मशीन के लिए 57 में से 39 ही सप्लाई हो पाई थी। कोर्ट ने सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए इस मामले में निगरानी रखने के निर्देश दिए थे।
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सुनवाई के दिन भी डिटेल नहीं मिले
हाईकोर्ट के निर्देश पर कोर्ट कमिश्नर्स ने निरीक्षण के बाद कोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया था कि बिलासपुर जिला अस्पताल में तकनीकी दिक्कतों से मशीनें काम नहीं कर रहीं और आवश्यक जांच नहीं हो पा रहीं हैं। कोर्ट ने लैब में स्थापित मशीनों का नाम एवं वर्ष, पिछले दो वर्षों में रिएजेंट कब-कब प्राप्त हुआ, कुल जांच की संख्या और किन-किन मशीनों का रिएजेंट समाप्त हो चुका है, उसका मांग पत्र कब भेजा गया, अथवा नहीं भेजा एवं उपलब्धता की वर्तमान स्थिति पर जवाब मांगा था। इसके बावजूद सुनवाई के दिन यह डिटेल नहीं आ पाया।
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मशीनों से मरीजों की जांच हो
इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि स्वास्थ्य विभाग में खरीदी गई लाखों रुपये की मशीनें केवल रखने के लिए नहीं आई है। इन मशीनों से मरीजों की जांच हो और नियमित रूप से इसकी रिपोर्ट भी मिलनी चाहिए। इस बात की व्यवस्था सरकार और स्वास्थ्य विभाग को करनी ही होगी।
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