लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा उपचुनाव के कई माह गुजर चुके है, लेकिन जिला निर्वाचन कार्यालय अब तक कर्मचारियों के मानदेेय में फंसा है। जानकारी के अनुसार मतदान अधिकारी के तौर पर काम करने वाले कर्मचारियों को लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद मानदेय दे दिया गया। राज्य के सभी जिलों में सभी कर्मचारियों को पूरा मानदेय मिल चुका है, लेकिन रायपुर ऐसा जिला है जो इस मामले में पिछड़ा हुआ है।
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300 से ज्यादा कर्मचारियों को मानदेय नहीं
वहीं रायपुर नगर निकाय में मिलने वाला मानदेय भी बैंक में अटका हुआ है। वहीं तिल्दा में कराए गए पंचायत चुनाव में अभी तक कर्मचारियों के डाटा की एंट्री की जा रही है। कलेक्ट्रेट में मानदेय को लेकर कर्मचारियों के 30 और कई कर्मचारी संगठनों के आवेदन दिए गए। विधानसभा, लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में काम करने वाले 300 से ज्यादा कर्मचारियों को मानदेय नहीं मिला है।
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इस वजह से कटे कर्मचारियों के पैसे
इस बीच गलत अकांउट में पैसे ट्रांसफर होने के कारण कुछ कर्मचारियों के पैसे काटे गए। कलेक्ट्रेट से मिली जानकारी के अनुसार इनमें ऐसे कई कर्मचारी थे जिनके अकाउंट से दो से तीन बार पैसे की कटौती हुई थी। हालांकि जांच के बाद उनके पैसे वापस कर दिए गए है।
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शिक्षकों और कर्मचारियों को मानदेय नहीं मिलने को लेकर कलेक्ट्रेट में आवेदन किए गए हैं। जिनकी जांच कलेक्ट्रेट में की जा रही है। देखा जा रहा है कि वास्तव में इन्हें पैसे मिले हैं या नहीं और यदि नहीं मिले हैं तो उन्हें क्यों नहीं मिले। कुछ कर्मचारियों के अकाउंट नंबर गलत होने के कारण पैसे नहीं गए।
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