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छत्तीसगढ़ की सड़कों पर इन दिनों एक गंभीर अनियमितता ने सुर्खियां बटोरी हैं। राज्य में 1,114 यात्री बसें ऐसी हैं, जो बिना वैध परमिट के धड़ल्ले से चल रही हैं। इन बसों के परमिट की वैधता सालों पहले खत्म हो चुकी है, फिर भी ये सड़कों पर बेरोकटोक दौड़ रही हैं। इस मामले ने न केवल परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि राज्य के राजस्व को होने वाले नुकसान और यात्रियों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है।
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पांच साल की वैधता, फिर नवीनीकरण जरूरी
मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 81 के अनुसार, किसी भी यात्री बस के परमिट की वैधता पांच वर्ष तक होती है। इस अवधि के बाद, परमिट धारक को समाप्ति तिथि से कम से कम 15 दिन पहले नवीनीकरण के लिए आवेदन करना अनिवार्य है। यह नियम धारा 87 (अस्थायी परमिट) और धारा 88 (विशेष परमिट) को छोड़कर सभी परमिटों पर लागू होता है। इसके बावजूद, छत्तीसगढ़ में 1,114 बसें बिना नवीनीकरण के सड़कों पर चल रही हैं। यह स्थिति न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि परिवहन विभाग की निगरानी व्यवस्था की खामियों को भी उजागर करती है।
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राज्य के खजाने को करोड़ों का चूना
परिवहन विभाग छत्तीसगढ़ सरकार के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। प्रत्येक परमिट नवीनीकरण के लिए वही शुल्क लिया जाता है, जो नए परमिट के लिए निर्धारित है। बिना परमिट वाली बसों के संचालन से राज्य को करोड़ों रुपये की राजस्व हानि हो रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन 1,114 बसों के कारण सरकार को हर साल भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह नुकसान केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और यातायात नियमों के पालन के लिए भी खतरा है, क्योंकि बिना वैध परमिट वाली बसों की तकनीकी जांच और रखरखाव पर सवाल उठते हैं।
नाके और उड़न दस्ते क्यों रहे बेकार?
छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में परिवहन विभाग के जांच नाके और एक दर्जन से अधिक उड़न दस्ते नियमित रूप से सक्रिय रहते हैं। इनका मुख्य काम अवैध वाहनों की जांच और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करना है। फिर भी, ये 1,114 बसें इन नाकों और उड़न दस्तों की नजर से बचकर रोजाना सड़कों पर दौड़ रही हैं। यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में अवैध बसें विभाग की निगरानी से कैसे बच रही हैं? क्या नाकों पर जांच में ढिलाई बरती जा रही है या उड़न दस्तों की कार्यप्रणाली में कोई कमी है? इस मामले ने परिवहन विभाग की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
यात्रियों की सुरक्षा और भविष्य की चुनौतियां
बिना वैध परमिट वाली बसों का संचालन केवल राजस्व हानि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी खतरा है। ऐसी बसों की तकनीकी स्थिति और चालकों की योग्यता पर सवाल उठते हैं, जो सड़क हादसों का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, यह मामला परिवहन विभाग की निगरानी व्यवस्था को और सुदृढ़ करने की जरूरत को रेखांकित करता है। भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए विभाग को नाकों और उड़न दस्तों की कार्यप्रणाली में सुधार, डिजिटल निगरानी को बढ़ावा और नियमित ऑडिट जैसे कदम उठाने होंगे।
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यातायात व्यवस्था और राजस्व संग्रह पर सवाल
छत्तीसगढ़ में बिना वैध परमिट वाली बसों का मामला न केवल कानूनी उल्लंघन है, बल्कि यह राज्य की यातायात व्यवस्था और राजस्व संग्रह पर भी गंभीर सवाल उठाता है। परिवहन विभाग की तत्परता और सख्ती से उम्मीद है कि इस अनियमितता पर लगाम लगेगी। साथ ही, यह मामला भविष्य में ऐसी खामियों को रोकने के लिए एक मजबूत निगरानी तंत्र की जरूरत को उजागर करता है। यात्रियों की सुरक्षा और राज्य के हितों की रक्षा के लिए यह कार्रवाई समय की मांग है।
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