छत्तीसगढ़ सरकार ने बिलासपुर के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO) आनंद रूप तिवारी को निलंबित कर दिया है। तिवारी पर कोटा में अनुविभागीय अधिकारी (SDM) रहते हुए अरपा-भैंसाझार परियोजना के लिए भू-अर्जन में अनियमितता बतरने का आरोप है। इस अनियमितता के कारण सरकार को 3.42 करोड़ के राजस्व की हानि हुई। निलंबन के आदेश में कहा गया है कि तिवारी ने अपने कर्तव्य में उदासीनता और लापरवाही दिखाई, जो छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियमों का उल्लंघन है।
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3.42 करोड़ का घोटाला, कई अफसरों पर गाज
जांच में पाया गया कि अरपा-भैंसाझार परियोजना में एक ही खसरे का अलग-अलग रकबा दिखाकर 3,42,17,920 रुपये का मुआवजा गलत तरीके से बांटा गया। इस मामले में तत्कालीन SDM आनंद रूप तिवारी, कीर्तिमान सिंह राठौर (वर्तमान में रायपुर में अपर कलेक्टर) सहित कई अधिकारियों को दोषी पाया गया। पहले इस मामले में राजस्व निरीक्षक (RI) मुकेश साहू को बर्खास्त किया गया था। तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार की अध्यक्षता वाली कमेटी की जांच के बाद दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई।
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इन पर भी कार्रवाई की सिफारिश
जांच में निम्नलिखित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया:
कीर्तिमान सिंह राठौर (तत्कालीन SDM)
आनंद रूप तिवारी (तत्कालीन SDM, वर्तमान RTO)
मोहर साय सिदार (तत्कालीन नायब तहसीलदार)
राहुल सिंह (तत्कालीन राजस्व निरीक्षक)
जल संसाधन विभाग के तत्कालीन अधिकारी : राजेंद्र प्रसाद मिश्रा, आरपी द्विवेदी, आरएस नायडू, अशोक तिवारी और उप अभियंता आरके राजपूत।
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अरपा-भैंसाझार प्रोजेक्ट 12 साल बाद भी अधूरा
2013 में शुरू हुई 1,141 करोड़ रुपये की अरपा-भैंसाझार परियोजना का 95% काम पूरा हो चुका है। बिलासपुर के कोटा ब्लॉक में अरपा नदी पर बन रही इस परियोजना का उद्देश्य 3 ब्लॉकों के 102 गांवों में 25,000 हेक्टेयर खेतों तक सिंचाई का पानी पहुंचाना है। शुरुआती लागत 606 करोड़ थी, और निर्माण कार्य राधेश्याम अग्रवाल/सुनील अग्रवाल की एजेंसी कर रही है। जल संसाधन विभाग का अभी भी दावा है कि इस साल के अंत तक यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा।
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शिलान्यास से अब तक का सफर
पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी ने 2013 में इस परियोजना का शिलान्यास किया था। यह परियोजना बिलासपुर के किसानों के लिए खरीफ फसल के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी। हालांकि, घोटाले और देरी ने इस महत्वाकांक्षी योजना को प्रभावित किया है।
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