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रायपुर : छत्तीसगढ़ में शिक्षा को सुधारने के लिए सरकार युक्तियुक्तकरण कर रही है। इसी अदला बदली में कुछ ऐसी जानकारियां सामने आ रही हैं जो हैरान करती हैं। रायपुर जिले के स्कूलों में सबसे ज्यादा सरप्लस टीचर हैं। बीजेपी विधायक अनुज शर्मा के क्षेत्र में तो 5 स्टूडेंट पर 1 टीचर तैनात है। शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण, का मकसद शासकीय शालाओं में दर्ज छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षकों की पदस्थापना करना है। और इसीका विरोध हो रहा है।
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विधायक अनुज शर्मा के क्षेत्र में ये स्थिति
रायपुर जिले के धरसीवां ब्लॉक में की गई हालिया समीक्षा में कई ऐसी शालाएं सामने आईं हैं, जहां छात्रों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, लेकिन वहां शिक्षक आवश्यकता से कहीं अधिक संख्या में पदस्थ हैं।
- शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कन्या सरस्वती नयापारा में केवल 33 छात्राएं हैं, जबकि 7 शिक्षक तैनात हैं।
- शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कन्या रविग्राम में 82 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं और 8 शिक्षक कार्यरत हैं।
- शासकीय प्राथमिक शाला मानाकैम्प में 104 विद्यार्थी हैं और वहां 11 शिक्षक पदस्थ हैं।
- शासकीय प्राथमिक शाला तेलीबांधा रायपुर में 109 विद्यार्थी हैं, जबकि 9 शिक्षक हैं।
- शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पी.एल.वाई., बैरनबाजार में 98 विद्यार्थी हैं और 10 शिक्षक कार्यरत हैं।
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इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि कुछ विद्यालयों में शिक्षक जरूरत से ज्यादा हैं, जबकि राज्य के अनेक अन्य क्षेत्रों विशेषकर सुदूर और वनांचल में, जहां छात्रों की संख्या अधिक है, वहाँ शिक्षकों की बहुत कमी है। यह असमानता बच्चों के शिक्षा के अधिकार और गुणवत्ता आधारित शिक्षा के रास्ते में बड़ी बाधा बन रही है। शिक्षा विभाग की समीक्षा रिपोर्ट में राज्यभर के सरकारी स्कूलों में संसाधनों के असमान वितरण की गंभीर स्थिति सामने आई है।
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यह है समीक्षा रिपोर्ट में
रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 211 शासकीय विद्यालय ऐसे हैं जहां एक भी छात्र दर्ज नहीं है, फिर भी वहां नियमित शिक्षक पदस्थ हैं। इससे न केवल शैक्षणिक संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि आवश्यकता वाले विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
- उदाहरण के लिए, सरगुजा जिले के बतौली विकासखंड की प्राथमिक शाला साजाभवना में कोई छात्र नहीं है, जबकि एक सहायक शिक्षक वहां कार्यरत हैं।
- इसी तरह हर्राटिकरा स्कूल में भी छात्र संख्या शून्य है, लेकिन वहां एक प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षक पदस्थ हैं।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि ऐसे विद्यालयों की प्रासंगिकता समाप्त हो चुकी है, और अब वहां से शिक्षकों को तत्काल उन स्कूलों में नियोजित किया जाएगा जहां उनकी आवश्यकता है।
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यहां पर शिक्षक नहीं
दूसरी ओर राज्य के अनेक दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों में वर्षों से शिक्षक संकट की स्थिति बनी हुई है। - - -
- मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुंवारपुर में विषयवार शिक्षक न होने के कारण वर्ष 2024-25 में कक्षा 12वीं का परीक्षा परिणाम महज 40.68 प्रतिशत रहा, जो राज्य औसत से बहुत कम है।
- यहां पर गणित, विज्ञान और अंग्रेज़ी जैसे विषयों के लिए वर्षों से शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, जिससे विद्यार्थियों की शिक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है।
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय समय की माँग है। यदि इसे निष्पक्षता और डेटा-आधारित पद्धति से लागू किया जाए, तो छत्तीसगढ़ की शिक्षा प्रणाली देश में एक आदर्श मॉडल बन सकती है।
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