रायपुर में एक बार फिर दिल को हैरान करने वाला मंजर सामने आया है। खारुन नदी के आसपास बुधवार की सुबह सैर के लिए निकले लोगों के मुंह से उस समय चीख निकल गई जब एक दो महीने की बच्ची को उन्होंने नदी किनारे थैली में बंद देखा। बच्ची के शरीर पर चीटियों ने कब्जा कर लिया था। आसपास गंदगी का ढेर लगा था।
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झाड़ियों के पास बच्ची को फेंका
दर्द से कराहती बच्ची ठीक से रो भी नहीं पा रही थी। वहां मौजूद लोगों ने आनन-फानन में एंबुलेंस बुलाई। फिलहाल बच्ची का इलाज अंबेडकर अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची को बचा लिया गया है। पूरी तरह से स्वस्थ्य होने के बाद उसे मातृ छाया के सपुर्द किया जाएग। खारून नदी के पास अमलेश्वर में 2 महीने की जीवित बच्ची को किसी ने झाड़ियों के पास फेंक दिया था। रात को अंधेरा होने की वजह से कोई बच्ची को देख नहीं पाया। बुधवार की सुबह एमएम जैन मॉर्निंग वाक पर निकले थे।
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वे ग्रीन अर्थ सिटी, अमलेश्वर के सामने रोड पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने एक थैले में से बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। उन्होंने पास जाकर देखा तो एक सफेद रंग के कपड़े की थैली में गुलाबी रंग के कपड़े में बत्त्वी बंधी हुई थी। उसके शरीर पर चीटियां चल रही थी। उन्होंने बच्ची को वहां से निकाला। इसकी सूचना पुलिस और इमरजेंसी नंबर 108 को दी। जानकारी मिलते ही आमलेश्वर थाने की टीम और 108 के पायलट रविंद्र कुमार और ईएमटी विनोद कुमार मौके पर पहुंचे। उन्होंने बच्ची को ऑक्सीजन सपोर्ट देकर प्राथमिक उपचार दिया। इसके बाद बच्ची को लेकर वे अंबेडकर अस्पताल आ गए।
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माता-पिता की तलाश में जुटी पुलिस
इस मामले में पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है। बच्ची के माता-पिता की तलाश की जा रही है। खारुन नदी से अमलेश्वर तक एक-एक सीसीटीवी कैमरे को खंगाला जा रहा है। ताकि पता चल सके कि थैली को कौन-कब रखकर गया था। आसपास के लोगों से भी पूछताछ की जा रही है कि उन्होंने मंगलवार की रात को किसी संदिग्ध व्यक्ति को देखा था क्या? अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने बताया कि सुबह 5 बजे बच्ची को लाया गया था। उसे वार्ड नंबर 30 में भर्ती किया गया है। बच्ची सुरक्षित है। हर महीने 3-4 ऐसे केस आते हैं जिसमें नवजात बच्ची को कहीं भी छोड़ दिया जाता है।
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