DSP के परिवार का बहिष्कार, समाज के पदाधिकारियों को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

बिलासपुर। अंतरजातीय शादी करने वाले नक्सल आपरेशन में पदस्थ डीएसपी डा. मेखलेंद्र प्रताप सिंह को बहिष्कृत करने की कोशिश करने वालों पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई । कोर्ट ने कहा कि, कोई भी समाज संविधान से ऊपर नहीं है ।

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Pravesh Shukla
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बिलासपुर। अंतरजातीय शादी (Inter Caste marriage)  करने वाले नक्सल आपरेशन में पदस्थ डीएसपी डा. मेखलेंद्र प्रताप सिंह को बहिष्कृत करने की कोशिश करने वालों पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई । इस मामले में टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि, कोई भी समाज संविधान से ऊपर नहीं है और व्यक्तिगत जीवन में दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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समाज के पदाधिकारियों को फटकार

सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी. डी. गुरु की खंडपीठ ने सतगढ़ तंवर समाज के पदाधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने साफ किया कि अंतरजातीय विवाह न सिर्फ भारतीय संविधान की ओर से मान्य है, बल्कि सामाजिक समरसता और समानता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। 

सोशल मीडिया में वायरल हुआ वीडियो

कोर्ट की सुनवाई का वीडियो  सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। बताया जा रहा कि, जब सतगढ़ तंवर समाज के पदाधिकारियों ने डीएसपी व उनके रिश्तेदारों का बहिष्कार किया और इसकी शिकायत बेलगहना पुलिस चौकी में की गई. शिकायत के बाद जांच के लिए कोटा एसडीओपी ने समाज के पदाधिकारियों को बयान के लिए बुला रही थीं, तब समाज की ओर से हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी कि पुलिस उन्हे तंग कर रही है. इस मामले को लेकर सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने समाज के पदाधिकारियों को फटकार लगाते हुए याचिका खारिज कर दी।

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समाज के पदाधिकारियों को फटकार

इस मामले की सुनवाई का एक वीडियो सोशल  मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें मुख्य न्यायाधीश समाज के पदाधिकारियों को फटकार लगा रहे हैं। जज ने कहा कि किसी के किसी की निजी जिंदगी में कैसे जा सकते हैं। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा- कि क्या आप संविधान से ऊपर हैं। शादी करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। किसी को भी उसके निजी जीवन के आधार पर सामाजिक तौर पर प्रताड़ित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने याचिका को सिरे से खारिज करते हुए समाज के रवैये को असंवैधानिक, अमानवीय करार दिया।

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1. अंतरजातीय विवाह करने पर डीएसपी का बहिष्कार

कांकेर जिले में तैनात डीएसपी डॉ. मेखलेंद्र प्रताप सिंह ने एक अन्य जाति की युवती से प्रेम विवाह किया। इस अंतरजातीय विवाह से नाराज़ होकर सतगढ़ तंवर समाज ने डीएसपी और उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने की कोशिश की।

2. समाज की शिकायत पर पुलिस कार्रवाई

डीएसपी के खिलाफ समाज की ओर से बहिष्कार का निर्णय लेने पर बेलगहना पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज हुई। जांच के लिए कोटा एसडीओपी ने समाज के पदाधिकारियों को बयान के लिए बुलाया था।

3. समाज की याचिका, हाईकोर्ट की फटकार

पुलिस कार्रवाई से असंतुष्ट होकर समाज के लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई कि पुलिस उन्हें परेशान कर रही है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए समाज के रवैये को असंवैधानिक असंवैधानिक और अमानवीय बताया।

4. कोर्ट की सख्त टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने कहा कि:

  • कोई भी समाज संविधान से ऊपर नहीं है।

  • शादी करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।

  • व्यक्तिगत जीवन में दखल नहीं दिया जा सकता। 

5. वीडियो हुआ वायरल, कोर्ट की चेतावनी

इस सुनवाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें कोर्ट समाज के पदाधिकारियों को फटकार लगाते हुए नजर आ रहा है। कोर्ट ने साफ कहा कि सामाजिक बहिष्कार जैसे कदम देश की संवैधानिक भावना के खिलाफ हैं।

 

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DSP ने की थी लव मैरिज

बता दें कि डीएसपी डा. मेखलेंद्र प्रताप सिंह जो कि वर्तमान में कांकेर जिले में नक्सल आपरेशन में तैनात हैं। उन्होंने सरगुजा जिले के बरगवा गांव की एक युवती से प्रेम विवाह किया, जो कि अंतरजातीय था। इस पर सतगढ़ तंवर समाज के कुछ लोगों ने नाराजगी जाहिर की और समाज की बैठक बुलाकर डीएसपी और उनके परिवार के बहिष्कार का फैसला ले लिया। इस मामले में कुछ दिन पहले ही पुलिस ने मामला भी दर्ज किया है।

FAQ

❓ मामला क्या है?
डीएसपी डॉ. मेखलेंद्र प्रताप सिंह, जो कि वर्तमान में कांकेर जिले में नक्सल ऑपरेशन में पदस्थ हैं, ने सरगुजा जिले की एक युवती से अंतरजातीय प्रेम विवाह किया। इस पर सतगढ़ तंवर समाज के कुछ लोगों ने नाराजगी जताई और समाज की बैठक कर डीएसपी और उनके परिवार के बहिष्कार का फैसला लिया।
❓ इस पर पुलिस या प्रशासन की क्या कार्रवाई हुई?
डीएसपी और उनके परिवार के बहिष्कार की शिकायत बेलगहना पुलिस चौकी में की गई थी। इसके बाद कोटा SDOP ने समाज के पदाधिकारियों को बयान के लिए बुलाया। इसी बीच समाज के लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की कि पुलिस उन्हें परेशान कर रही है।
❓ हाईकोर्ट का इस मामले में क्या फैसला रहा?
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की खंडपीठ (मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी. डी. गुरु) ने: याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। समाज के पदाधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि कोई भी समाज संविधान से ऊपर नहीं है। अंतरजातीय विवाह को संवैधानिक रूप से मान्य और सकारात्मक सामाजिक कदम बताया। सामाजिक बहिष्कार को असंवैधानिक और अमानवीय करार दिया।
❓ कोर्ट ने क्या विशेष टिप्पणी की?
“क्या आप संविधान से ऊपर हैं?” “शादी करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।” “किसी को उसके निजी जीवन के आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।”

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