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बस्तर समेत देशभर में सुरक्षाबलों की आक्रामक रणनीति और बस्तर में बढ़ते दबाव के बीच नक्सलियों ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। अब वे खुले तौर पर अपनी गतिविधियां संचालित करने में असमर्थ हो रहे हैं, जिसके चलते उनका अंतरराष्ट्रीय संगठन इंटरनेशनल कमेटी फॉर सपोर्टिंग पीपुल्स वॉर इन इंडिया (ICSPWI) सामने आया है। यह संगठन सोशल मीडिया के जरिए भारत सरकार और सुरक्षाबलों पर तीखे हमले कर रहा है। खुफिया एजेंसियों और सुरक्षाबलों ने इस गतिविधि को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है।
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सोशल मीडिया पर प्रोपेगैंडा वॉर
ICSPWI ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इन मंचों पर यह संगठन भारत सरकार पर आदिवासियों को निशाना बनाने और बस्तर में चल रहे ऑपरेशन कगार को बंद करने की मांग उठा रहा है। इसके जवाब में नक्सलियों ने "गुरिल्ला जनयुद्ध" को तेज करने का आह्वान किया है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, यह नक्सलियों की प्रोपेगैंडा रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसके जरिए वे जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस अधिकारी इस मामले में खुलकर बोलने से बच रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि इसकी गहन जांच चल रही है।
शहीदी सप्ताह और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दबाव
नक्सलियों ने 28 जुलाई से 3 अगस्त तक देशभर में शहीदी सप्ताह मनाने की घोषणा की है। इस दौरान मारे गए नक्सली नेता बसवा राजू और अन्य नक्सली साथियों की याद में स्मारक सभाएं और कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान किया गया है। सूत्रों के अनुसार, नक्सल विचारधारा के समर्थक सामाजिक कार्यकर्ताओं के जरिए भारत में चल रहे नक्सल विरोधी अभियानों को गैरकानूनी ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। वे इन मुद्दों को संयुक्त राष्ट्र (UNO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की रणनीति बना रहे हैं, ताकि भारत सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
कम्पोसा के जरिए दक्षिण एशिया में नेटवर्क
नक्सलियों ने अपनी विचारधारा को दक्षिण एशिया और वैश्विक स्तर पर फैलाने के लिए कम्पोसा (कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ माओइस्ट पार्टीज एंड ऑर्गनाइजेशंस ऑफ साउथ एशिया) को मजबूत करने की योजना बनाई है। एक हालिया बुकलेट में नक्सलियों ने दावा किया है कि वे दक्षिण एशिया के कई देशों में समान विचारधारा वाले संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। भविष्य में वे इस नेटवर्क को यूरोप और अमेरिका तक विस्तार देने की तैयारी में हैं। इसके लिए नक्सली नेताओं ने अपने प्रयास तेज कर दिए हैं।
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विदेशों में नक्सली संगठनों की मौजूदगी
नक्सलियों ने विदेशों में अपनी जड़ें जमाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। उनके हालिया बुकलेट के अनुसार, वे नेपाल, ग्रीस, फिलीपींस, अफगानिस्तान, और तुर्की जैसे देशों में सक्रिय हैं। इन देशों में वे या तो अपने संगठन संचालित कर रहे हैं या फिर समान विचारधारा वाले प्रतिबंधित संगठनों के साथ तालमेल बिठा रहे हैं। खास बात यह है कि जिन संगठनों के साथ नक्सली सहयोग कर रहे हैं, वे संबंधित देशों में भी प्रतिबंधित हैं।
सुरक्षाबलों की रणनीति और चुनौतियां
बस्तर में सुरक्षाबलों की आक्रामक कार्रवाइयों ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। ऑपरेशन कगार के तहत नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे उनकी स्थानीय गतिविधियां कमजोर पड़ी हैं। हालांकि, नक्सलियों का विदेशों से संचालित होने वाला यह नया नेटवर्क और सोशल मीडिया के जरिए प्रोपेगैंडा एक नई चुनौती बनकर उभरा है। खुफिया एजेंसियां इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की गतिविधियों पर नजर रख रही हैं और इसकी जड़ें तलाशने में जुटी हैं।
नया दांव भारत के लिए एक गंभीर चुनौती
नक्सलियों का यह नया दांव भारत के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है। विदेशों से संचालित संगठन और सोशल मीडिया के जरिए प्रोपेगैंडा न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत सरकार की छवि को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों की सतर्कता और रणनीति इस चुनौती का सामना करने में कितनी प्रभावी होगी, यह आने वाला समय बताएगा।
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