महाराष्ट्र के दस्तावेज पर बिना काम 110 करोड़ का भुगतान

छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन यानि पानी पहुंचाने की योजना में बड़ा खेल हुआ है। इसकी एक बानगी बिलासपुर जिले में ही देखने में मिली है जहां ठेका फर्मों ने फर्जी दस्तावेज के सहारे 113 करोड़ से अधिक का काम हथिया लिया।

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VINAY VERMA
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Bilaspur. छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन यानि पानी पहुंचाने की योजना में बड़ा खेल हुआ है। इसकी एक बानगी बिलासपुर जिले में ही देखने में मिली है जहां ठेका फर्मों ने फर्जी दस्तावेज के सहारे 113 करोड़ से अधिक का काम हथिया लिया।

इतना ही नहीं इसका खुलासा होता अधिकारियों ने झटपट इसका भुगतान भी कर दिया। वह भी बिना काम पूरा हुए। जब इसकी शिकायत हुई तो जांच करवाई गई लेकिन 7 में से केवल 1 फर्म को काम ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया। न तो बाकियों पर कार्रवाई हुई और न ही अधिकारियों से सवाल-जवाब ही किया गया।

जानिए पूरा मामला

दरअसल केंद्र शासन की तरफ से पूरे देश में जल जीवन मिशन की योजना संचालित है जिसके तहत हर घरे में नल पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। छग में भी इसका काम जोरों पर है। केंद्र सरकार की तरफ से करोड़ों रुपए प्रदेश को मिले हैं। जिसे हड़पने के लिए कुछ अधिकारियों और कुछ ठेकेदारों ने मिली भगत कर खेल किया है।

बिलासपुर में 199 गांवों में 211 काम की स्वीकृति मिलीं। जिसमें लगभग 125 सौ करोड़ रुपए खर्च होने थे। इस काम को 7 ठेकेदारों ने मिलकर किया है। लेकिन इस काम लेने के लिए जिस मेसर्स विजय वी सालुंुखे कंपनी ने आवेदन दिया। वह फर्जी है। 

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महाराष्ट्र का फोर्ज दस्तावेज

शिकायत पर जब इसकी जांच करवाई गई तो पाया गया कि काम लेने के लिए कंपनी ने महाराष्ट्र नगर पालिका का करार प्रमाण पत्र लगाया था। जांे सत्यापन में फर्जी निकला। जिसपर एफआईआर किया गया है।

लेकिन मेसर्स विजय वी. साळुंखे के कूटरचित अनुभव प्रमाण-पत्र का ही उपयोग जॉइंट वेंचर में जिन अन्य 06 फर्मों ने काम किया उनका केवल अनुबंध कैंसिल किया गया, न तो एफआईआर किया गया न तो इनसे वसूली की कार्रवाई की गई। जबकि इन्हें 100 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान कर दिया गया है। 

अधिकारियेां को अभयदान

जल संसाधन विभाग और ठेका फर्मो के इस खेल का खुलासा तब हुआ जब बिल्हा विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री से शिकायत की दी। जिसके बाद जांच हुई।

लेकिन जांच शुरु होने से पहले ही जल संसाधन विभाग के अधिकारियेां ने 7 फर्मों को 113 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। जिसमें से लगभग 70 प्रतिशत काम पूरे ही नहीं हुए थे।  इधर विभागीय जांच के दायरे से अधिकारियों को भी बाहर रखा गया।

जबकि 100 करोड़ से अधिक का काम के लिए फाइल सब इंजीनियर से लेकर ईएनसी तक पहुंचती है। भुगतान के लिए हर सभी लोग जिम्मेदार होते हैं लेकिन न तो अधिकारियों के खिलाफ जांच हुई और न ही इन 7 फर्मों से वसूली की कार्रवाई हुई। 

इन कंपनियों ने किया है काम

मेसर्स ए.के. कंस्ट्रक्शन, मेसर्स विक्रम टेली इन्फ्रा, मेसर्स, श्री गणपती कंस्ट्रक्शन, मेसर्स आनंद कंस्ट्रक्शन रायपुर, मेसर्स धर्मेश कुमार रायपुर एवं मेसर्स सोमबंसी इनवायरो के द्वारा मेसर्स विजय वी. साळुंखे के द्वारा प्रस्तुत कूटरचित अनुभव प्रमाण-पत्र का ही उपयोग जॉइंट वेंचर में किया गया है। जल संसाधन विभाग के अनुसार इनके विरुद्ध अनुबंध के प्रावधान अनुसार अनुबंध निरस्त किया गया। 

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लगभग 60 प्रतिशत काम अधूरे

जल जीवन मिशन के तहत् कराये जा रहे 199 ग्रामों में 211 कार्य स्वीकृत हुए थे, जिसमें से केवल 92 कार्य पूरे हुए बाकी 119 कार्य अपूर्ण एवं अप्रारंभ हैं। लेकिन 113 करोड़ 15 लाख 34 हजार रुपए का भुगतान कर दिया गया। केवल 3 करोड़ 16 लाख 94 हजार का भुगतान शेष है। 

अभी उल्टा चल रहा है

बिल्हा विधायक धरम लाल कौशिक का कहना है कि पहले कार्य पूर्ण होने के बाद ठेकेदार पैसा लेने के लिए विभाग में घूमते थे। लेकिन अब उल्टा हो रहा बिना काम किए भी भुगतान हो जा रहा है। और वसूली के लिए सरकार पीछे घूम रही है। इसकी जांच होनी चाहिए। 

दोषियों पर होगी कार्रवाई

मामले में उप मुख्यमंत्री का कहना है कि जल जीवन मिशन की मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जो अपेक्स कमेटी होती है, उस कमेटी ने निर्णय किया कि सभी को ब्लैक लिस्ट करेंगे, टेण्डर निरस्त करेंगे और मेसर्स विजय साळुंखे का जो डाक्युमेंट फोर्ज है, उसके खिलाफ में एफ.आई.आर. दर्ज किया जाये। एफ.आई.आर. किया गया है। वह मामला पुलिस के सामने विवेचनाधीन है।

जो अन्य 6 फर्म थे, जिन्होंने ज्वाइंट वेंचर बनाया, इन्होंने ने भी मेसर्स विजय साळुंखे के खिलाफ शिकायत की थी कि इन्होंने हमारे साथ चीट किया, हमको फर्जी दस्तावेज दिया। अभी पुलिस जांच कर रही है। उसमें जिनकी जिनकी संलिप्पतता मिलेगी, उन सब पर पुलिस कार्रवाई कर सकती है। जो कार्य अपूर्ण हैं उन्हें जल्द पूरा कराया जाएगां

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