जशपुर: 61 दिन पहले जिसका शव जलाया, वो लौटा जिंदा; पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल, दोस्तों ने क्यों कबूली हत्या

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में पुलिस ने जिस युवक को मरा घोषित कर मर्डर केस सॉल्व कर दिया था, वही युवक 61 दिन बाद थाना पहुंच गया। अब पुलिस इस गुत्थी में उलझी है कि फिर वह लाश किसकी थी और जेल में बंद आरोपियों ने हत्या की बात क्यों कबूली।

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Harrison Masih
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Jashpur. छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पुलिस जांच, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और न्यायिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस युवक को पुलिस ने हत्या का शिकार मानते हुए मृत घोषित कर दिया, उसी युवक ने 61 दिन बाद जिंदा हालत में पुलिस थाने पहुंचकर कहा- “मैं जिंदा हूं, मेरा मर्डर नहीं हुआ।” यह पूरा मामला सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र का है।

पुलिस मुश्किल में

युवक का नाम सीमित खाखा (30 वर्ष) है। पुलिस के अनुसार, 22 अक्टूबर को जशपुर के पुरनानगर–बालाछापर के बीच तुरीटोंगरी जंगल में एक युवक की अधजली लाश मिली थी। पुलिस ने इस शव को सीमित खाखा का बताकर मर्डर केस सॉल्व कर दिया था।

इस मामले में सीमित के तीन दोस्तों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने पुलिस और मजिस्ट्रेट के सामने हत्या कबूल भी की थी। लेकिन अब वही सीमित खाखा जिंदा सामने आ गया है।

शनिवार रात थाने पहुंचा युवक, पूरी कहानी पलटी

शनिवार रात मामला तब पलट गया, जब तथाकथित मृतक सीमित खाखा ग्राम पंचायत सिटोंगा की सरपंच कल्पना खलखो के साथ सिटी कोतवाली थाने पहुंचा। सरपंच कल्पना खलखो ने बताया कि सीमित झारखंड से आने वाली बस से उतरा और सिटोंगा जाने के लिए ऑटो में बैठा।

ऑटो चालक सीमित को पहचानता था। उसने तुरंत फोन कर सूचना दी कि जिस युवक की हत्या के आरोप में लोग जेल में हैं, वही युवक जिंदा है। इसके बाद सीमित को सीधे पुलिस थाने लाया गया।

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सीमित खाखा ने पुलिस को क्या बताया?

पुलिस पूछताछ में सीमित खाखा ने बताया कि वह रोजगार की तलाश में झारखंड गया था। रांची पहुंचने के बाद वह अपने साथियों से बिछड़ गया। गिरिडीह जिले के सरईपाली गांव में खेतों में मजदूरी करने लगा। 

उसके पास मोबाइल फोन नहीं था, इसलिए परिवार या गांव से संपर्क नहीं कर सका। वह क्रिसमस मनाने के लिए घर लौट रहा था, तभी उसे इस पूरे मर्डर केस की जानकारी मिली। सीमित का कहना है कि उसे नहीं पता कि उसके नाम पर किसकी हत्या कर दी गई।

पुलिस के सामने खड़े हुए बड़े सवाल

सीमित के जिंदा मिलने के बाद पुलिस कई गंभीर सवालों से घिर गई है—

  • जिस अधजली लाश को सीमित बताया गया, वह असल में कौन था?
  • सीमित के दोस्तों ने किसकी हत्या की?
  • आरोपियों ने मजिस्ट्रेट के सामने हत्या कबूल क्यों की?
  • परिवार ने लाश की पहचान कैसे कर ली?
  • पोस्टमॉर्टम और फोरेंसिक रिपोर्ट में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?

SSP बोले– विशेष जांच टीम गठित

जशपुर के एसएसपी शशि मोहन सिंह ने बताया कि— “वास्तविक मृतक की पहचान के लिए राजपत्रित अधिकारी के नेतृत्व में विशेष जांच टीम गठित की गई है। परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर पहले कार्रवाई की गई थी। फिलहाल मामले की दोबारा जांच चल रही है। गिरफ्तार आरोपियों की रिहाई के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा रही है।”

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क्या था पूरा मामला? 

22 अक्टूबर को तुरीटोंगरी जंगल में एक युवक की अधजली लाश मिली,चेहरा और शरीर का अधिकांश हिस्सा जला हुआ था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत को हत्या बताया गया। पुलिस ने बीएनएस की धारा 103(1), 238(क) के तहत केस दर्ज किया।

पुलिस की थ्योरी अब सवालों के घेरे में

पुलिस के अनुसार सीमित खाखा अपने दोस्तों के साथ मजदूरी से लौट रहा था। शराब के दौरान कमीशन को लेकर विवाद हुआ। रामजीत राम ने चाकू से हमला किया। वीरेंद्र राम ने लोहे की रॉड से वार किया हत्या के बाद शव को जंगल में ले जाकर पेट्रोल डालकर जलाया गया।

सीमित की मां, पिता और भाई ने मजिस्ट्रेट के सामने शव की पहचान की। आरोपियों ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने हत्या कबूल की। सीन ऑफ क्राइम का रीक्रिएशन भी कराया गया। सभी प्रक्रियाओं की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई।

अब फिर से खुली पूरी फाइल

सीमित खाखा के जिंदा मिलने के बाद हत्या का पूरा केस दोबारा जांच के घेरे में आ गया है। गिरफ्तार आरोपी निर्दोष। असली मृतक की पहचान अब तक रहस्य बना हुआ है। यह मामला अब छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण जांचों में से एक बन गया है।

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